विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और नीति आयोग के बाद अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने कोरोना वायरस संक्रमण के रोकथाम के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार और उनके ‘यूपी मॉडल’ की सराहना की है। बॉम्बे हाई कोर्ट मुख्यतः बच्चों को Covid-19 से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए गए उपायों से संतुष्ट नजर आई।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में कहा गया कि प्रदेश सरकार द्वारा महामारी से लोगों को बचाने और संक्रमण पर अंकुश लगाने की मुहिम को बॉम्बे हाईकोर्ट ने सराहा है।
प्रदेश सरकार द्वारा महामारी से लोगों को बचाने और संक्रमण पर अंकुश लगाने की मुहिम को बॉम्बे हाईकोर्ट ने सराहा है।
— Government of UP (@UPGovt) May 16, 2021
प्रदेश सरकार के कोविड प्रबंधन की @WHO और @NITIAayog पहले ही तारीफ कर चुका है। pic.twitter.com/rlLfLbaQNr
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि बॉम्बे हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कोरोना वायरस संक्रमण से बच्चों को बचाने के लिए किए गए उपायों पर आधारित मीडिया रिपोर्ट्स पर संज्ञान लेते हुए महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि क्या उनके द्वारा भी ऐसे उपाय किए जा रहे हैं? बॉम्बे हाई कोर्ट की इस पीठ में मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और जस्टिस गिरीश कुलकर्णी थे।
बता दें कि महाराष्ट्र में 10 वर्ष की आयु के लगभग 10,000 बच्चे संक्रमित हो चुके हैं, ऐसे में हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र की सरकार से उत्तर प्रदेश की तरह बच्चों को सुरक्षित रखने के उपायों पर विचार करने को कहा।
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस संक्रमण से बच्चों को बचाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य के प्रत्येक बड़े शहर में 50 से 100 पीडियाट्रिक बेड और अन्य चिकित्सा सुविधाओं से लैस पीआईसीयू बनाने का निर्णय लिया है। इसके अलावा हर जिले में आईसीयू की तर्ज पर संक्रमण के इलाज के संसाधनों से युक्त बेड्स की व्यवस्था अस्पतालों में की जाएगी।
इससे पहले नीति आयोग ने भी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की ऑक्सीजन परिवहन और ट्रैकिंग रणनीति की सराहना की थी। नीति आयोग ने उत्तर प्रदेश के ऑक्सी-ट्रैकर मॉनिटरिंग सिस्टम का उदाहरण देते हुए कहा कि इसके माध्यम से ऑक्सीजन टैंकर्स और ऑक्सीजन आपूर्ति की रियल टाइम मॉनिटरिंग हो रही है जिससे राज्य अब 250 मीट्रिक टन की जगह 1000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति कर पा रहा है।
इसके अलावा आयोग ने उत्तर प्रदेश के 90,000 गाँवों में Covid-19 के मरीजों तक पहुँचने और उनके इलाज के लिए सरकार द्वारा अपनाई गई ‘ट्रिपल टी’ (TTT) रणनीति को अन्य राज्यों द्वारा अपनाने की सलाह दी। ट्रिपल टी का अर्थ है टेस्ट, ट्रेस और ट्रीट।
House to house visits undertaken in a mammoth drive in over 90,000 villages of UP to identify & isolate COVID+ve citizens & trace contacts should serve as a model for other states to replicate. Such proactive test-trace-treat model is a highly effective way of tackling the surge!
— NITI Aayog (@NITIAayog) May 13, 2021
गौरतलब है कि पिछले दिनों भारत में कोरोना संक्रमण के फैलते प्रकोप के बीच वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने योगी सरकार के डोर-टू-डोर कैम्पेन की तारीफ की थी। WHO ने अपने एक लेख में बताया था कि कैसे योगी सरकार ने महामारी के समय में आवश्यक कदम उठाते हुए उन्हें जमीनी स्तर पर लागू किया।