Saturday, November 23, 2024
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ट्रेन जलाओ, गाड़ी फूँको या स्कूल जाते बच्चों पर पथराव करो… उपद्रवियों से नहीं वसूला जाएगा जुर्माना: पटना हाईकोर्ट का फैसला

हालाँकि, याचिका का विरोध करते हुए राज्य के महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि इस आंदोलन से निपटने के लिए राज्य सरकार पूरी तरह मुस्तैद थी। उन्होंने कहा कि सरकार को बदनाम करने के लिए गलत नीयत से जनहित याचिका दायर की गई है।

केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) की महत्वाकांक्षी अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) के विरोध में बिहार (Bihar) में हुई हिंसा और अरबों रुपए के नुकसान की वसूली उपद्रवियों से नहीं की जाएगी। पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने उस जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया, जिसमें सरकारी संपत्ति की हुई नुकसान की भरपाई उपद्रवियों से करने की माँग की गई थी।

याचिका में यह भी माँग की गई थी कि छात्रों को हिंसा और तोड़फोड़ के लिए भड़काने और अराजकता फैलाने के लिए मदद करने वाले लोगों की भी जाँच कराई जाए। इसके साथ ही हिंसक आंदोलन को रोकने में असमर्थ अधिकारियों पर भी कार्रवाई की माँग की गई है।

पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने शुक्रवार (1 जुलाई 2022) को याचिका पर सुनवाई की। राज्य के महाधिवक्ता ललित किशोर का तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। किशोर ने तर्क दिया कि सरकार ने अराजक तत्वों पर कार्रवाई की और पर्याप्त पुलिस बल तैनात किए थे।

याचिका में कहा गया था कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण प्रदेश मे कई सौ करोड़ रुपए की सरकारी संपत्ति को नष्ट कर दिया गया। इसलिए नुकसान हुई संपत्ति का आंकलन कर उसकी भरपाई आंदोलनकारियों से की जाए।

इसके साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और उन पर जुर्माना लगाई जाए। इसके साथ ही आंदोलन में भाग लेने वाली राजनीतिक पार्टियों पर भी जुर्माना लगाने की माँग की गई है। 

याचिका में कहा गया है कि इस हिंसक आंदोलन के कारण न सिर्फ रेलवे और अन्य सरकारी संपत्तियों का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ, बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई। याचिकाकर्ता का दावा है कि अकेले दानापुर रेलमंडल को 260 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

हालाँकि, याचिका का विरोध करते हुए राज्य के महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि इस आंदोलन से निपटने के लिए राज्य सरकार पूरी तरह मुस्तैद थी। उन्होंने कहा कि सरकार को बदनाम करने के लिए गलत नीयत से जनहित याचिका दायर की गई है।

सेना में भर्ती के लिए केंद्र सरकार द्वारा घोषित अग्निपथ योजना के विरोध में देश के अलग-अलग हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन हुए और ट्रेनों में लूटपाट एवं आग लगाई गई थी। यहाँ तक कि स्कूल जाते बच्चों के वाहनों तक पर पथराव किया गया था। राजद और वामदलों ने प्रदर्शनकारियों को अपना समर्थन दिया था।

बिहार में सबसे अधिक हिंसा

हिंसा और विरोध प्रदर्शन से सबसे अधिक प्रभावित बिहार रहा था। यहाँ 11 से अधिक ट्रेनें जला दी गई थीं। जिलों में भी सरकारी सम्पत्तियों को नुकसान पहुँचाया गया था। आरा स्टेशन पर भी तोड़फोड़ हुई। मधुबनी में सड़क मार्ग अवरुद्ध करने के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को माँ की गालियाँ देते हुए मिलने पर काट देने की धमकी दी गई। दरभंगा में स्कूली छात्रों से भरी एक बस पर पथराव किया गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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