यह पहला मौक़ा नहीं कि जब एएमयू की घरती पर देश के ख़िलाफ जहर उगला गया हो। एक बार नहीं बल्कि सैकड़ों बार एएमयू की धरती से ‘हिंदुओं की कब्र’ खोदने की बात कही गई। एक बार फिर एएमयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ने कहा कि अग़र बर्बाद करने पर आए तो किसी देश को छोड़ेंगे नहीं, इतना गुस्सा है।
महीनों से सीएए के विरोध में एएमयू अलीगढ़ में चल रहे धरने पर आंदोलनकारी छात्रों को संबोधित करते हुए एएमयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष फ़ैजुल हसन ने कहा कि अमित शाह आएँ और हमारे 12वीं क्लास के स्टूडेंट के साथ सीएए पर डिबेट करें। उम्मीद है कि वो हमारे एएमयू के छात्र से जीत नहीं पाएँगे। वो इस विषय पर हमें संतुष्टी के लिए अग़र पांच प्वाइंट भी दे दें तो मैं उनके साथ खड़ा हो जाऊँगा और सीएए के पक्ष में प्रोटेस्ट करूँगा।
फैजुल हसन AMUSU के पूर्व अध्यक्ष: अमित शाह आएं और हमारे 12वीं क्लास के स्टूडेंट के साथ डिबेट करें। उम्मीद है वो जीत नहीं पाएंगे। वो पांच प्वाइंट भी दे दें तो मैं उनके साथ खड़ा हो जाऊंगा प्रोटेस्ट करूंगा CAA के पक्ष में। pic.twitter.com/OMXy6CIF0b
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 23, 2020
इतना ही नहीं फैजुल हसन ने अपने संबोधन में आगे कहा, “सब्र की अगर सीमा देखना चाहते हैं तो 1947 के बाद 2020 तक हिंदुस्तानी मुस्लिमों के सब्र की सीमा देखिए। कभी कोशिश नहीं की कि हिंदुस्तान टूट जाए, वरना हम उस कौम से हैं कि अग़र बर्बाद करने पर आए तो छोड़ेंगे नहीं किसी देश को इतना गुस्सा है।”
फैजुल हसन AMUSU के पूर्व अध्यक्ष: सब्र की अगर सीमा देखना चाहते हैं तो 1947 के बाद 2020 तक हिंदुस्तानी मुसलमानों के सब्र की सीमा देखिए। कभी कोशिश नहीं की कि हिंदुस्तान टूट जाए वरना हम उस कौम से हैं कि अगर बर्बाद करने पर आए तो छोड़ेंगे नहीं किसी देश को इतना गुस्सा है। https://t.co/cdynhDubfm pic.twitter.com/VM6WJJ2Hm6
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 23, 2020
इसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने फ़ैजुल को जमकर अपने निशाना पर लिया। एक यूजर ने ट्वीट करते हुए लिखा, “तो ये भारत भी 1947 वाला नही है और हम भी 2020 के हिन्दू हैं। तुम जैसे देश तोड़ने वाले सपोलों को कुचलना अच्छी तरह आता है। 1947 में हमारे पूर्वजों ने रहम दिखा दी थी, हम नही दिखाएँगे।”
तो ये भारत भी 1947 वाला भी नही है और हम भी 2020 के हिन्दू हैं। तुम जैसे देश तोड़ने वाले सपोलों को कुचलना अच्छी तरह आता है।
— लगभग मुख्यमंत्री उत्तराप्रचंड वाले (@gappbaaj) January 23, 2020
1947 में हमारे पूर्वजों ने रहम दिखा दी थी, हम नही दिखायेगें।
दरअसल एएमयू के आंदोलनकारी छात्र विश्वविद्यालय के बाबे सैयद गेट पर पिछले करीब 37 दिनों से सीएए के ख़िलाफ धरने पर बैठे हुए हैं। सीएए के विरोध में धरने पर आए दिन किसी न किसी को बुलाया जाता है। आपको बता दें कि 15 दिसंबर को विश्वविद्यालय में हुई हिंसा के बाद इसे 5 जनवरी तक के लिए बंद कर दिया गया था। इसके बाद 13 जनवरी को विश्वविद्यालय को पूर्ण रूप से खोल दिया गया, लेकिन विश्वविद्यालय के खुलते ही आंदोलनकारी छात्रों ने कक्षाओं का बहिष्कार कर दिया।
इसके बाद एएमयू इंतजामियाँ ने आंदोलनकारी छात्रों के दवाब में आकर सभी कॉलेजों में होने वाली परीक्षाओं को स्थगित कर दिया। इसके बाद भी आंदोलनकारी छात्र सीएए के ख़िलाफ और एएमयू वीसी से इस्तीफा देने की माँग पर डटे हुए हैं। गौरतलब है कि फैज़ुल हसन पहले भी कई बार अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में आ चुके हैं।