लखनऊ यूनिवर्सिटी के हिंदूफोबिक प्रोफेसर रविकांत चंदन को राहत देने से इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया है। अदालत ने उसके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की अपील ठुकरा दी है। हालाँकि उसकी गिरफ्तारी से पहले सभी कानूनी औपचारिकताओं का पालन करने का निर्देश पुलिस को दिया गया है। हाई कोर्ट का यह आदेश शुक्रवार (20 मई 2022) को आया। रविकांत चंदन ने काशी विश्वनाथ और हिन्दू साधु-संतों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
रविकांत चंदन के खिलाफ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने लखनऊ के हसनगंज थाने में FIR दर्ज करवाई थी। FIR में हिन्दू भावनाओं को ठेस पहुँचाने का आरोप लगाया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एसोसिएट प्रोफेसर रविकांत चंदन इसी FIR को निरस्त करवाने की माँग के साथ इलाहाबाद हाई कोर्ट गया था। उसकी याचिका पर जस्टिस अरविन्द कुमार मिश्रा और जस्टिस मनीष माथुर की बेंच ने सुनवाई की।
हाई कोर्ट में प्रोफेसर रविकांत चंदन ने कहा, “मेरे ऊपर दर्ज धाराओं में अधिकतम 7 वर्ष की सजा है। लेकिन इसके बाद भी पुलिस लगातार मेरी गिरफ्तारी के प्रयास कर रही है। यह CRPC के सेक्शन 41(1)(b) और 41(A) का उल्लंघन है।” नियमानुसार ऐसे मामलों में गिरफ्तारी से पहले पुलिस आरोपित को नोटिस देती है। हाई कोर्ट ने पुलिस को इसका पालन करने को कहा। हाई कोर्ट ने प्रोफेसर द्वारा FIR को निरस्त करने की माँग ठुकराते हुए कहा कि अदालत के पास इसे निरस्त करने की कोई वजह नहीं है।
लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्रों ने प्रोफेसर रविकांत चंदन की टिप्पणी पर नाराजगी जताई है। छात्रों ने उसे बर्खास्त करने की माँग के साथ कुलपति कार्यालय पर धरना दिया। छात्रों ने आरोपित प्रोफेसर को कुंठित मानसिकता का बताते हुए जातिवादी करार दिया। एक छात्रनेता पर आरोपित प्रोफेसर की पिटाई का भी आरोप लगा था।
आज लखनऊ विश्वविद्यालय मे कुलपति महोदय को हिंदी विभाग के अराजक जातिवादी मानसिकता से ग्रसित प्रोफेसर रविकांत चंदन का विरोध कर निष्कासन के लिए ज्ञापन दिया गया। रविकांत चंदन विश्वविद्यालय परिसर मे कशी विश्वनाथ मन्दिर पर धार्मिक टिप्पणी कर शिक्षा के स्थान मे ऊँच-नीच का भेद भाव कर pic.twitter.com/mBNXZztwg9
— Amit Tripathi (@AmitTri13880517) May 19, 2022
लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र अंकित तिवारी द्वारा ट्विटर पर 19 मई 2022 को कुलपति को दी गई शिकायत की कॉपी शेयर की गई है। इस शिकायत में प्रोफेसर रविकांत चंदन के बयानों के कुछ अंश बताए गए हैं। इस शिकायत के मुताबिक प्रोफेसर रविकांत ने कहा, “महाराणा प्रताप की पत्नी के अकबर से नाजायज संबंध थे। वे रात में सोने के लिए अकबर के पास जाया करती थीं। कृष्ण के अनुयायी बलात्कारी हैं। सीता रावण के घर अपनी मर्जी से रुकी थीं।” प्रोफेसर पर सोशल मीडिया के माध्यम से अराजक तत्वों को यूनिवर्सिटी कैम्पस में बुलाने का भी आरोप है।