Saturday, April 19, 2025
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अंडमान के जिस द्वीप पर पहुँचने की कोशिश में बाणों से बेध दिया गया था ईसाई प्रचारक, अब वहाँ अमेरिकी यूट्यूबर कोक छोड़ आया: जानिए क्यों है यह सेंटिनल जनजाति के लिए खतरनाक?

यूरोपीय लोगों के संपर्क से अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका की कई जनजातियाँ खत्म हो गईं। क्या हम सेंटिनल को भी ऐसे ही खतरे में डाल दें? मिखाइलो की इस हरकत से लोग गुस्से में हैं।

अंडमान निकोबार का उत्तरी सेंटिनल द्वीप एक बार फिर से चर्चा में है। यहाँ रहने वाली दुनिया की सबसे संवेदनशील सेंटिनल जनजाति से संपर्क की कोशिश में एक अमेरिकी यूट्यूबर को गिरफ्तार किया गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 24 साल के अमेरिकी यूट्यूबर मिखाइलो विक्टरोविच पोल्याकोव अपनी जान जोखिम में डालकर इस प्रतिबंधित द्वीप तक पहुँच भी गया। उसने सेंटिनल लोगों से मिलने की कोशिश की, लेकिन कोई नहीं मिला, जिसके बाद उसे द्वीप पर ही नारियल और डाइट कोक छोड़ दिया। हालाँकि बाद में उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

मिखाइलो कोई आम यूट्यूबर नहीं है। तालिबान जैसे खतरनाक इलाकों में वीडियो बना चुके इस शख्स ने 29 मार्च 2025 को जीपीएस और मोटर से लैस हवा वाली नाव से कुर्मा डेरा बीच से 25 मील का सफर तय किया। 9 घंटे की थकाऊ यात्रा के बाद वह सेंटिनल द्वीप के उत्तर-पूर्वी तट पर पहुँचा।

वहाँ उसने दूरबीन से जनजाति के लोगों को ढूँढने की कोशिश की, एक घंटे तक सीटी बजाई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। फिर उसने नारियल और डाइट कोक छोड़कर वापस लौटने का फैसला किया। मगर किस्मत को कुछ और मंजूर था। एक मछुआरे की नजर उस पर पड़ गई और पुलिस को खबर मिलते ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

तीसरी बार पहुँचा था सेंटिनल लोगों के पास

पुलिस ने बताया कि मिखाइलो ने यह खतरनाक कदम पहले भी उठाया था। अक्टूबर 2024 और जनवरी 2025 में भी वह इस द्वीप पर जा चुका है। इस बार उसने जेमिनी इन्फ्लेटेबल डिंगी नाव का इस्तेमाल किया, जो हल्की और आसानी से ले जाई जा सकती है।

उसके होटल से गो प्रो कैमरा, दूरबीन और लाइफ जैकेट जब्त किए गए। होटल वालों ने उसे रोकने की कोशिश की थी, लेकिन उसकी जिद के आगे हार मान ली। अब वह कानूनी पचड़े में फँस गया है, क्योंकि सेंटिनल द्वीप पर बिना अनुमति जाना भारतीय कानून के खिलाफ है।

बाइबिल लेकर ईसाई बनाने पहुँचे मिशनरी की गई थी जान

वैसे भी, सेंटिनल जनजाति को दुनिया की सबसे खतरनाक और नाजुक जनजातियों में गिना जाता है, क्योंकि ये लोग बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं चाहते। साल 2018 में अमेरिकी मिशनरी जॉन एलन शाओ ने उनसे मिलने की कोशिश की थी, लेकिन जनजाति के लोगों ने तीर मारकर उसकी जान ले ली। उसके पास से बाइबिल बरामद हुई थी।

सबसे नाजुक लोग, कोक से हो सकती है पूरी प्रजाति खत्म

दरअसल, यह घटना सिर्फ एक साहसिक कहानी नहीं, बल्कि उस नाजुक जनजाति के लिए खतरे की घंटी है, जो बाहरी दुनिया के संपर्क से बचकर हजारों सालों से जिंदा है। ये जनजाति इसलिए भी नाजुक है, क्योंकि इनका इम्यून सिस्टम हमारी आम बीमारियों को झेल नहीं सकता। एक छींक या खाँसी भी इनके लिए मौत का पैगाम बन सकती है। ऐसे में बाहरी दुनिया से आई कोक जैसी चीजों की वजह से पूरी जनजाति का ही सफाया हो सकता है।

इतिहास गवाह है कि यूरोपीय लोगों के संपर्क से अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका की कई जनजातियाँ खत्म हो गईं। क्या हम सेंटिनल को भी ऐसे ही खतरे में डाल दें? मिखाइलो की इस हरकत से लोग गुस्से में हैं। सर्वाइवल इंटरनेशनल जैसे संगठन इसे लापरवाही और मूर्खता बता रहे हैं। एक नारियल और कोक की बोतल शायद उसे रोमांचक लगी हो, लेकिन ये जनजाति के लिए जहर से कम नहीं। पुलिस अब उससे पूछताछ कर रही है कि उसका मकसद क्या था।

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रामांशी
रामांशी
लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर। आकाशवाणी के साथ रेडियो प्रसारण का अनुभव। स्थानीय टीवी चैनल लखनऊ टुडे के साथ टेलीविज़न की बारीकियां सीखीं। नवभारत टाइम्स के साथ भी प्रिंट मीडिया कार्य का अनुभव। करीब तीन वर्षों तक ईटीवी भारत जैसे नये प्लेटफ़ॉर्म के साथ जुड़ाव में व्यापक स्तर पर रिपोर्टिंग। भारत सरकार के संस्थान विज्ञान प्रसार के मंच पर क़रीब एक वर्ष विज्ञान संचारक की भूमिका। देश के सबसे बड़े हिन्दी दैनिक दैनिक जागरण के लिए लखनऊ में स्वास्थ्य, संस्कृति एवं शिक्षा सहित कई महत्वपूर्ण बीट्स पर गहन रिपोर्टिंग। जर्मन ब्रॉडकास्टर DW के साथ जुड़ाव रहा।

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