भाजपा के आईटी सेल के अध्यक्ष अमित मालवीय ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने एक वीडियो शेयर कर बताया है कि किस तरह संशोधित नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के नाम पर मजहबी उन्माद फैलाने की साज़िश रची जा रही है। यहाँ तक कि मस्जिदों से घोषणा की गई ताकि उपद्रवी सड़क पर उतर कर हिंसा करें। मालवीय ने दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर मस्जिदों से हुई भड़काऊ घोषणाओं को जिम्मेदार ठहराया है।
अमित मालवीय ने कहा कि इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में वहाँ के अल्पसंख्यकों का क्या होता होगा। बता दें कि सीएए भी उन्हीं अल्पसंख्यकों के लिए है, जिन्हें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में प्रताड़ित किया गया और उस प्रताड़ना से तंग आकर वो पिछले 5 वर्षों या इससे अधिक समय से भारत में शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं। मालवीय ने मस्जिदों से भड़काऊ घोषणाओं का जिक्र करते हुए कहा कि ये सारी घटनाएँ बताती हैं कि सीएए ज़रूरी है।
अमित मालवीय ने ‘इंडिया टुडे’ के एक वीडियो को शेयर किया, जिसमें लोग बता रहे हैं कि वो क्यों सड़कों पर उतरे। नीचे संलग्न किए गए ट्वीट में आप मालवीय का बयान और उनके द्वारा शेयर किए गए वीडियो को देख सकते हैं:
दिल्ली की सड़कों पर दंगाइयों को उतरने के लिए सूचना मस्जिदों के loud speakers से दी गयी थी…
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 18, 2019
अगर ये हाल देश की राजधानी में है तो हम सिर्फ़ अन्दाज़ लगा सकते हैं की पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में वहाँ के अल्प संख्यकों का क्या होता होगा।
इसलिए #CAB ज़रूरी है। pic.twitter.com/ni1qxFPZIZ
दिल्ली में हिंसा के दौरान दंगाइयों ने पुलिस पर पत्थरबाजी भी की, जैसा जम्मू कश्मीर में वर्षों से होता आ रहा है। जम्मू कश्मीर में भी कश्मीरी पंडितों को निकाले जाने के बाद से लेकर अब तक, कई बार विभिन्न मस्जिदों से भड़काऊ ऐलान होने की ख़बरें आती रहती हैं। ‘इंडिया टुडे’ से बातचीत में दिल्ली एक एक उपद्रवी ने कहा:
“हमारे क्षेत्र में कई दिनों से अनाउंसमेंट हो रही थी कि कि मंगलवार को इतने बजे एनआरसी और सीएए के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन होगा। कई लोगों को पहले से ही पता था और जिन्हें नहीं पता था, उन्होंने मस्जिदों से अनाउंस कर के कहा गया कि आप सड़क पर उतरो।”
उक्त उपद्रवी की बातों से साफ़ हो जाता है कि मस्जिदों से ऐलान कर लोगों को सड़क पर उतरने को कहा गया। इसके बाद हिंसा भड़की और पुलिस व दंगाइयों के बीच झड़प हुई। पत्थरबाजी में कई पुलिसकर्मी घायल भी हुए।
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