Friday, March 29, 2024
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बदरुद्दीन अजमल का निजी बोर्ड चलाता है 1000 मदरसे, सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने दिया जिहादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन

इस नेटवर्क के मास्टरमाइंड मुस्तफा उर्फ ​​मुफ्ती मुस्तफा को बुधवार 27 जुलाई 2022 को अन्य संदिग्धों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था। वह मोरीगाँव के सहरिया के सरूचला अल-जमीअतस सलीहाट मदरसातुल बनत में आलिम था।

असम में लगभग 1,000 निजी मदरसों पर हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार लगाम कसने जा रही है। यह एक्शन इसलिए लिया जा रहा है क्योंकि हाल ही में मोरीगाँव, बारपेटा, गुवाहाटी और गोलपारा जिलों में अल-कायदा (एक्यूआईएस) और बांग्लादेश स्थित अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) सहित कई अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी समूहों से जुड़ाव की वजह से 11 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया था।

इस नेटवर्क के मास्टरमाइंड मुस्तफा उर्फ ​​मुफ्ती मुस्तफा को बुधवार 27 जुलाई 2022 को अन्य संदिग्धों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था। वह मोरीगाँव के सहरिया के सरूचला अल-जमीअतस सलीहाट मदरसातुल बनत (Saruchala Al-Jamiatus Salihat Madarasatul Banat) में आलिम था।

इंडिया टुडे नॉर्थईस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, असम में कम से कम 1,000 निजी मदरसे चल रहे हैं। जबकि 2016 के 788 से आँकड़े के संख्या बढ़ी हुई है। हालाँकि, उनकी कोई औपचारिक संख्या या रिकॉर्ड नहीं है। इन मदरसों से संबद्धता के संबंध में सरकारी रिकॉर्ड भी ठीक नहीं हैं। वहीं राज्य सरकार पहले ही सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों को पारंपरिक स्कूलों में बदलने का निर्णय ले चुकी है।

वहीं इस मामले में असम के शिक्षा मंत्री रनोज पेगू ने कहा, “हम रिपोर्ट इकट्ठा कर रहे हैं और जाँच कर रहे हैं कि क्या हम निजी मदरसों में कुछ नियमों को लागू कर सकते हैं और वहाँ आधुनिक शिक्षा प्रदान करने का निर्देश दे सकते हैं। हम कानूनी राय ले रहे हैं। मुझे ऐसे किसी बोर्ड की कोई जानकारी नहीं है जो इन निजी मदरसों को चला रहा हो। हमारे पास इन मदरसों के बारे में कोई विशेष डेटा नहीं है।”

असम पुलिस के महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत ने कहा कि पुलिस ने इन मदरसों का सर्वेक्षण किया था और पूरी जानकारी थी। फिर भी, अधिकारी ने कोई विशेष जानकारी देने से अपना बचाव किया।

एक्शन के मूड में हिमंत बिस्वा सरमा

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि कुछ और मदरसों की पुलिस जाँच करेगी। द सेंटिनल की एक रिपोर्ट के अनुसार, हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “हमने पहले ही दो मदरसों को उनके जिहादी लिंक की वजह से सील कर दिया है। मदरसों के यदि जिहादी लिंक के बारे में कोई ठोस शिकायत मिलने पर सरकार की नीति है कि वह मदरसों को सील कर दे। इसके बाद अधिकारी सील किए गए मदरसों के छात्रों को पास के सामान्य स्कूलों में प्रवेश देंगे।”

उन्होंने कहा, “हमारे राज्य में कोई सरकारी मदरसा नहीं है। हम पहले ही 750 सरकारी मदरसों को बंद कर चुके हैं। केवल निजी रूप से संचालित मदरसे ही चालू हैं। हालाँकि, अगर हमें कट्टरपंथियों के साथ उनके संबंधों के बारे में कोई ठोस जानकारी मिलती है, तो हम उनके खिलाफ कार्रवाई करने के बारे में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।”

मदरसों का संचालन करने वाला एक निजी निकाय

इंडिया टुडे नॉर्थईस्ट की रिपोर्ट से पता चला है कि ऑल असम तंजीम मदारिस कौमिया, जिसका मुख्यालय होजई जिले के नीलबगान में है, असम राज्य के सभी निजी मदरसों को नियंत्रित करता है। यह एक निजी बोर्ड है जो निकटवर्ती राज्यों नागालैंड और मेघालय में भी मदरसों को नियंत्रित करता है। असम के इन मदरसों में करीब एक लाख छात्रों का नामांकन है। इनमें से अधिकांश मदरसे नागाँव, होजई, धुबरी और गोलपाड़ा जिलों में स्थित हैं, जहाँ नामांकन दर भी काफी अधिक है।

इसमें आगे कहा गया है कि जिस मदरसे में मुस्तफा ने पढ़ाया था, सरुचला अल-जमीअतुस सलीहत मदरसातुल बनत, वह भी ऑल असम तंजीम मदारिस कौमिया से संबद्ध है। मोरीगाँव की एसपी अपर्णा नटराजन के मुताबिक मुस्तफा एक अन्य निजी मदरसे को भी चला रहा था, जहाँ से उसे हिरासत में लिया गया था। हालाँकि, सरकारी अधिकारियों के अनुसार, मुस्तफा की गिरफ्तारी का यह मतलब नहीं है कि सभी मदरसों, या उनसे जुड़े छात्रों और आलिमों का आतंकवाद से कोई संबंध है।

ऑल असम तंजीम मदारिस क़ौमिया, जिसे पहले मदारिस-ए क्वामिया के नाम से जाना जाता था। इसकी स्थापना 1955 में न केवल मदरसों की स्थापना करने के लिए बल्कि उनकी प्रशासनिक और शैक्षिक प्रक्रियाओं को संचालित करने के लिए किया गया था। हालाँकि, 1982 में इसे इसका वर्तमान नाम दिया गया था। शुरुआत में इसके संचालन को नागाँव जिले के दक्षिणी हिस्सों तक सीमित करते हुए, बोर्ड ने अपनी पहुँच को लगातार बढ़ाया। AIUDF (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट) के नेता और एक परफ्यूम व्यवसायी बदरुद्दीन अजमल बोर्ड के अध्यक्ष हैं।

हालाँकि, बोर्ड की प्रस्तावना के अनुसार, यह इस्लामिक दर्शन के साथ-साथ “इस्लामिक विज्ञान” और दुनिया भर में ज्ञान की रक्षा और प्रचार करने के लिए स्थापित किया गया था ताकि ऐसे व्यक्ति तैयार किए जा सकें जो इस्लाम और मदरसों के बारे में फैलाए जा रहे तथाकथित झूठ और गलत बयानी का विरोध कर सकें। साथ ही मुस्लिम विरोधी प्रभाव को खत्म करना इनका उद्देश्य तय किया गया था। ऑल असम तंजीम मदारिस क्वामिया के महासचिव मौलाना अब्दुल कादिर कासिमी के अनुसार, बोर्ड मदरसों को अनुदान नहीं देता है, फिर भी, गोपनीयता के वादे के तहत, कई मदरसों के प्रमुखों ने इंडिया टुडे को स्वीकार किया कि उन्हें नियमित रूप से धन मिलता है।

हाल के वर्षों में अधिक छात्राओं ने लिया दाखिला

गौरतलब है कि राज्य में तीन प्रकार के मदरसों में से एक बनत मदरसा है (केवल छात्राओं के लिए है); अन्य दो अरब (समुदाय द्वारा नियंत्रित एक कौमी मदरसा) और हाफिजिया (जहाँ कुरान रटाया जाता है) थे। 2016 और 2021 के बीच असम में बनत मदरसों की संख्या 140 से बढ़कर 219 हो गई, जो तीनों में से सबसे बड़ी वृद्धि को दर्शाती है।

मुस्तफा का मदरसा इस बोर्ड से नहीं था संबद्ध

हालाँकि, मुस्तफा द्वारा चलाया जा रहा मदरसा इस बोर्ड से जुड़ा नहीं था। लेकिन मौलाना अब्दुल कादिर कासिमी ने स्वीकार किया कि मुस्तफा एक मदरसे से थोड़े समय के लिए जुड़ा था जिसे इस बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त थी। कासिमी मानते हैं कि बोर्ड की कड़ी निगरानी के बावजूद गलतियाँ की गई हैं।

उन्होंने कहा, “हमने मदरसों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि कोई भी संदिग्ध व्यक्ति प्रवेश न करे। सिर्फ आलिमों की ही नहीं बल्कि छात्रों की भी जाँच होनी चाहिए। किसी भी अज्ञात व्यक्ति को अतिथि के रूप में रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। कुछ ऐसे भी हैं जो जाँच से बचने का जुगत भिड़ाते रहते हैं और हम हर जगह सीसीटीवी कैमरे तो नहीं लगा सकते हैं।”

कुछ मुस्लिम निकाय मदरसों के विस्तार को लेकर चिंतित

कुछ मुस्लिम नेता जाहिर तौर पर निजी मदरसों के यूँ बढ़ने को लेकर चिंतित हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारी समिति के सदस्य एडवोकेट हाफिज राशिद चौधरी के अनुसार मदरसों की गतिविधियों और कार्यों की निगरानी के लिए एक नियामक एजेंसी की आवश्यकता है।

चौधरी ने कहा, “मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ अंग्रेजी, इतिहास और सामाजिक अध्ययन जैसी आधुनिक शिक्षा को भी शामिल करने की जरूरत है। राष्ट्र की अखंडता को मजबूत करने के लिए तुलनात्मक धर्म पर एक विषय का भी अध्धयन किया जाना चाहिए।”

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन के प्रमुख रेजौल करीम सरकार ने मदरसों की संख्या में बेतहासा वृद्धि की आलोचना की, जिन्होंने अपने मौलिक लक्ष्यों को हासिल नहीं किया। उन्होंने कहा, “हमें मदरसों की जरूरत है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ये संस्थान हर जगह फैलने लगें। ये ऐसे कई काम कर रहे हैं, भले ही वे एक अच्छा छात्र नहीं पैदा कर सकते। ” मौलाना अब्दुल कादिर कासिमी ने भी कहा है कि जरूरत से ज्यादा मदरसे पहले से ही हैं।

वहीं मुफ्ती मुस्तफा की गिरफ्तारी के बाद मदरसों की सरकारी जाँच के बढ़ने की उम्मीद है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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