महाराष्ट्र के पालघर लिंचिंग मामले में कासा पुलिस स्टेशन के एक सहायक उप निरीक्षक और दो हेड कांस्टेबलों को निलंबित कर दिया गया है। इससे पहले इस मामले में मंगलवार (अप्रैल 28, 2020) को दो पुलिस निरीक्षकों को निलंबित किया गया था। 35 पुलिसकर्मियों का तबादला हो चुका है। यह जानकारी पालघर पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी ने दी।
An Assistant Sub Inspector & two Head Constables of Kasa Police Station have been suspended in Palghar lynching case. Two Police Inspectors have already been suspended in the case. 35 policemen of the police station were transferred yesterday: Palghar Police PRO. #Maharashtra
— ANI (@ANI) April 29, 2020
निलंबित किए गए पुलिसकर्मियों को प्राथमिक जाँच में हिंसा न रोक पाने का दोषी ठहराया गया था। साथ ही ये भी कहा गया कि और लोगों पर भी इस तरह की कार्रवाई हो सकती है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों महाराष्ट्र के पालघर के गड़चिनचले गाँव में दो साधुओं और एक ड्राइवर की पीट-पीटकर निर्मम हत्या कर दी गई थी। यह पूरी घटना वहाँ मौजूद कुछ पुलिसकर्मियों के सामने हुई। इसके बाद हुई जाँच में भी पुलिस की लापरवाही सामने आई है। इन तीनों के भीड़ के हाथों पीट-पीटकर मारे जाने की घटना पर पूरे देश में तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। फिलहाल इस पूरे मामले की जाँच सीआईडी कर रही है।
पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए 110 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इनमें से 101 को 30 अप्रैल तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। नौ नाबालिगों को एक किशोर आश्रय गृह में भेज दिया गया है। वहीं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने उद्धव सरकार और पुलिस को साधुओं की हत्या के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है। उन्होंने यह भी कहा कि समझौतावादी राजनीति के चलते शिवसेना और उद्धव ठाकरे हिदुत्ववादी एजेंडे से भटक गए हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में साधु-संत सुरक्षित नही हैं।
वहीं अखिल भारतीय संत समिति केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर इस मामले की सीबीआई जाँच की माँग कर चुकी है। पत्र में उन्होंने हत्या के पीछे बड़ी साजिश की आशंका जताते हुए कहा कि उन्हें महाराष्ट्र के गृह मंत्री पर भरोसा नहीं है।
इसके साथ ही आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, “2 साधुओं की हत्या। क्या यह होना चहिए? क्या कानून-व्यवस्था किसी को हाथ में लेना चाहिए था? ऐसे में पुलिस की भूमिका क्या होनी चाहिए थी? ये सभी चीजें ऐसी हैं जिन पर सोचा जाना चाहिए।”