नैनीताल पुलिस ने बताया, बनभूलपुरा हिंसा से संबंधित कुछ आरोपितों की जमानत होने पर कुछ सोशल मीडिया एवं समाचार पत्रों में तथ्यहीन और भ्रामक खबरें फैलाई गई कि पुलिस ने समय से चार्जशीट नहीं फाइल की इसी वजह से आरोपितों की जमानत हुई। हालाँकि सच ये है कि यूएपीए के सेक्शन 43डी के अंतर्गत विवेचक को आवश्यकता अनुसार 90 दिन के पश्चात रिमांड अवधि बढ़ाने हेतु आवेदन करने का अधिकार है, उसी को मानते हुए अधीनस्थ न्यायालय द्वारा रिमांड की अवधि 90 दिन से 180 दिन की गई थीं। पुलिस ने 180 दिन से पूर्व चार्जशीट फाइल भी कर दी थी। अत: पुलिस द्वारा समय से चार्जशीट फाइल न करने की खबरें असत्य और भ्रामक हैं।
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— Nainital Police Uttarakhand (@nainitalpolice_) August 29, 2024
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बता दें कि पहले रिपोर्ट्स में कहा गया था कि हिंसा केस के एक आरोपित बनभूलपुरा निवासी गुलजार सहित 50 अन्य ने जमानत की याचिका लगाते हुए कोर्ट में कहा कि पुलिस की ओर से उनके विरुद्ध 90 दिन के भीतर न तो चार्जशीट दाखिल की गई है और न ही रिमांड बढ़ाने का कारण बताया गया और जमानत भी खारिज कर दी गई।
इसी के बाद मीडिया में ये चला कि पुलिस ने चार्जशीट फाइल नहीं की है। हालाँकि पुलिस की सफाई आने के बाद रिपोर्टें अब अपडेट कर दी गई हैं। रिपोर्ट्स में बताया गया कि सरकारी पक्ष ने कोर्ट को बता दिया था कि पुलिस के पास पर्याप्त आधार और कारण हैं कि रिमांड क्यों बढ़ाई गई।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष फरवरी माह में बनभूलपुरा में अवैध मदरसे और नमाज स्थल को तोड़ने को लेकर 8 फरवरी को काफी बवाल हुआ था। उपद्रवियों ने पुलिस , प्रशासन व नगर निगम की टीम पर पथराव कर दिया था और थाने को भी आग के हवाले कर दिया था। घटना में पाँच लोगों की मौत हो गई थी।
पुलिस ने जाँच के बाद मामले में 107 लोगों को गिरफ्तार किया था। इसमें गुलजार, फुरकीन, मोहम्मद वसीम, शहराज हुसैन, सरीम मिकरानी, मो फैजान, नबी हसन, जीशान, मो फिरोज, मो उजैर, हाजरा बेगम, शहनाज, सोनी, शमशीर, अजीम, शाहबुद्दीन, मो आसिफ, आदिल खान, हुकुम रजा, शाहिल अंसारी, अरबाज, अहमद हसन, माजिद, जीशान, मुजम्मिल, रईस अहमद, गुलजार, मो शाद, मो फरीद, जावेद, शरीफ व मो ईश्तकार आदि का नाम शामिल था। वहीं केस को आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 120 बी, 307, 332, 353, 427, 435, उत्तराखंड प्रिवेंशन आफ डैमेज पब्लिक प्रापर्टी, आर्म्स एक्ट आदि के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।