बिहार के कटिहार में महज एक अफवाह के आधार पर पुलिस थाने को फूँक डाला गया, पुलिस के साथ झड़प की गई और लोगों को मारा-पीटा गया। आबादपुर थाने में उपद्रवियों ने ऐसा आतंक मचाया कि पुलिस जीप सहित कई अन्य वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया। दरअसल, लोगों के बीच अफवाह फ़ैल गई थी कि वार्ड सदस्य मोहम्मद मोहसिन की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई है, जिसके बाद ये घटना हुई। घटना की जानकारी मिलते ही बारसोई के एसडीपीओ सहित कई थानाें की पुलिस घटनास्थल पर पहुँची। इसके बाद भीड़ वहाँ से भाग खड़ी हुई।
आबादपुर पुलिस ने उपद्रवियों को तितर-बितर करने के लिए हवाई फायरिंग की और लाठीचार्ज का सहारा लिया। हालाँकि, वरिष्ठ अधिकारियों के पहुँचने से पहले आक्रोशित दंगाइयों ने उलटा पुलिस को ही खदेड़ दिया था। मोहम्मद मोहसिन धुमतोला का निवासी था, जिसे पुलिस शनिवार (फरवरी 8, 2020) की शाम गिरफ़्तार कर के थाने ले गई थी। उसके ख़िलाफ़ वॉरंट जारी किया गया था। पूछताछ के दौरान जब पुलिस ने थोड़ी सी सख्ती दिखाई तो मोहसिन बेहोशी का नाटक करने लगा। इसके बाद उसके मौत की अफवाह फ़ैल गई।
गिरफ़्तार 45 वर्षीय मोहम्मद मोहसिन का पुराना आपराधिक रिकॉर्ड है। उसके ख़िलाफ़ कई मामले दर्ज हैं। आर्म्स एक्ट के मामले में उसके विरुद्ध वॉरंट जारी किया गया था। उसने आरोप लगाया है कि पुलिस ने पूछताछ के दौरान उसकी पिटाई की। पुलिस ने बताया कि वो घायल कैसे हुआ, इसकी जाँच की जाएगी। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि अगर कोई पुलिसकर्मी दोषी पाया जाता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही यह भी कहा गया है कि उपद्रवियों को चिह्नित किया जाएगा और उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
दंगाई भीड़ ने पूरे थाने को आगे के हवाले कर डाला। थाने के रिकॉर्ड रूम और और मालखाना को भी फूँक दिया। भीड़ में कम से कम 1000 लोग शामिल थे। क़रीब 3 घंटे तक आक्रोशित उपद्रवियों ने तांडव मचाया। दरअसल, अफवाह तब फैली थी जब पुलिस मोहसिन को लेकर अस्पताल जा रही थी। आतंक का आलम ये था कि थाने के बगल में स्थित झोपड़ी को भी जला डाला गया। सरकारी कागज़ात फाड़ डाले गए और कम्प्यूटरों व फर्नीचरों को तोड़ डाला गया। मोहम्मद मोहसिन अभी पूरी तरह सुरक्षित है।
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