Saturday, July 27, 2024
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स्कूल आती हैं हिजाब-बुर्का पहन, लेकिन यूनिफॉर्म के लिए ले लेती हैं सरकारी पैसा: मना करने पर प्रधानाध्यापक को हत्या की धमकी, स्कूल में करेंगे तालाबंदी

"हमारे बच्चे क्या पहनेंगे, यह तय करने वाला प्रधानाध्यापक कौन होता है? हिजाब और बुर्का मुस्लिमों का निजी मामला है, इससे छेड़छाड़ न की जाए और न ही विवाद को गैरजरूरी तूल दिया जाए।"

बिहार के शेखपुरा जिले के एक स्कूल में प्रधानाध्यापक को छात्राओं को हिजाब की जगह स्कूल ड्रेस में आने को कहना भारी पड़ गया। उनकी इस बात से नाराज मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हिजाब न पहनने देने पर स्कूल में ही ताला लटकाने की धमकी दी। प्रधानाध्यापक को भी हत्या की धमकी दे डाली।

प्रधानाध्यापक सत्येंद्र चौधरी ने इस विद्यालय की कुछ छात्राओं को हिजाब पहनकर आने से मना किया था। उनकी इस बात पर खासा बवाल खड़ा हो गया। गुस्साए मुस्लिम समुदाय के लोग 29 नवंबर 2023 को विद्यालय में घुस आए। उन्होंने प्रधानाध्यापक चौधरी को जान से मारने की धमकी देने के साथ ही स्कूल बंद करने की चेतावनी दी।

इस पूरे मामले को लेकर प्रधानाध्यापक चौधरी का कहना है कि जब-जब छात्राओं को विद्यालय में बुर्का और हिजाब की जगह स्कूल ड्रेस पहनकर आने के लिए कहा जाता है, तब-तब मुस्लिम अभिभावक आकर धमकी देते हैं। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानाध्यापक सत्येंद्र कुमार चौधरी ने जिला शिक्षा पदाधिकारी तथा जिला पदाधिकारी को अलग-अलग पत्र लिखकर सुरक्षा की माँग की है।

शेखपुरा जिले के शेखोपुरसराय पंचायत के उत्क्रमित मध्य विद्यालय चरुआवां से संबंधित इस मामले को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि यह बेहद गंभीर मामला है और विद्यालय में नियमों के मुताबिक ड्रेस पहनकर आना जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि इस घटना के बारे में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को जाँच करके रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।

इस मामले पर ऑपइंडिया ने शनिवार (2 दिसंबर,2023) को जिला शिक्षा पदाधिकारी ओम प्रकाश सिंह से बात की। उन्होंने बताया कि इस मामले की जाँच को लेकर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी रमेश प्रसाद को विद्यालय में दोनों पक्षों के साथ बैठक के लिए भेजा गया है। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानाध्यापक सत्येंद्र कुमार का पत्र मिला है, उनकी सुरक्षा को लेकर प्रशासन से भी बात करेंगे।

इसे लेकर शिक्षक संघ ने भी प्रधानाध्यापक के जानमाल की सुरक्षा और सरकारी विद्यालयों में सरकारी व्यवस्था को सख्ती से लागू करने की माँग की है। जिस स्कूल में ये घटना हुई है, वो जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर है।

इस स्कूल में मुस्लिम छात्र-छात्राओं की अच्छी खासी तादाद है। सरकारी योजना के तहत सभी को स्कूली ड्रेस के लिए पैसे मिलते हैं। छपी रिपोर्ट और प्रधानाध्यापक सत्येंद्र कुमार चौधरी के आरोप के अनुसार मुस्लिम छात्राएँ स्कूल ड्रेस की जगह हिजाब और बुर्का पहन स्कूल पहुँचती हैं।

गाँव के मुस्लिमों ने इसे अपने मजहब और दीन से जुड़ा मामला बताते हुए विद्यालय के प्रधानाध्यापक और शिक्षकों पर इसे जरूरत से अधिक तूल देने का आरोप जड़ा है। गाँव के पूर्व मुखिया और ग्रामीण मोहम्मद असलम ने विवाद बढ़ने के हालात में स्कूल में ताला लगाने की चेतावनी दी है।

मोहम्मद असलम का कहना है कि उनके बच्चे क्या पहनेंगे, यह तय करने वाला प्रधानाध्यापक कौन होता है? उसके अनुसार इस मामले को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी से मुलाकात कर सारी स्थिति स्पष्ट कर दी गई है। उसने बताया कि वो जिला शिक्षा पदाधिकारी से यह भी कह चुका है कि हिजाब और बुर्का मुस्लिमों का निजी मामला है, इससे छेड़छाड़ न की जाए और न ही विवाद को गैरजरूरी तूल दिया जाए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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