एक ही प्रकार के मामले में BMC का दोहरा चरित्र सामने आया है। बुधवार को बीएमसी ने कंगना रनौत के पाली स्थित ऑफिस को अवैध निर्माण का हवाला देते हुए ध्वस्त कर दिया। वहीं बीएमसी ने अब फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा को उनकी इमारत में अवैध बदलाव के लिए नोटिस जारी किया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीएमसी ने फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा को अपने रडार पर लेते हुए आरोप लगाया है कि उन्होंने अपने रेजिडेंशियल स्पेस को अवैध तरीके से कमर्शियल प्रॉपर्टी में बदलने के लिए अपेक्षित अनुमति नहीं ली थी।
बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के दफ्तर के ठीक बगल में मुंबई के बांद्रा में पाली हिल पर नरगिस दत्त रोड पर स्थित मनीष के बंगले पर बीएमसी ने अवैध निर्माण को लेकर एक नोटिस जारी किया है। बीएमसी ने परिसर में एक स्टॉप-वर्क नोटिस भी चिपकाया है। साथ ही अवैध निर्माण का स्पष्टीकरण देने के लिए 7 दिन का समय दिया है।
7 सितंबर को जारी अपने नोटिस में, बीएमसी ने आरोप लगाया कि ग्राउंड फ्लोर पर केबिन बनाया गया जो अवैध तरीके से बनाया गया। दफ्तर में अनधिकृत परिवर्तन (unauthorised alterations) और निर्माण को भी इंगित किया गया है। फैशन डिजाइनर पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने अधिकृत अनुमति के बिना यह बदलाव किया है।
मनीष को नोटिस MMC एक्ट की धारा 342 और 345 के तहत भेजा गया है। नोटिस के मुताबिक इस मामले में मल्होत्रा को संतोषजनक जवाब देने के लिए बीएमसी द्वारा 7 दिन का समय दिया गया है।
दिलचस्प बात यह है कि मल्होत्रा के दफ्तर से ठीक बगल कंगना रनौत के दफ्तर पर अवैध निर्माण के आरोपों का जवाब देने के लिए बीएमसी अधिकारियों ने मात्र 24 घंटे का समय दिया था। जिस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए बीएमसी ने उसे ध्वस्त कर दिया। बीएमसी ने MMC अधिनियम की धारा 354 (ए) के तहत रानौत को एक नोटिस जारी किया था, जो बीएमसी को 24 घंटे के भीतर कार्रवाई करने की अनुमति देता है।
गौरतलब है कि बीएमसी अधिकारियों ने मंगलवार को कंगना के कार्यालय (मणिकर्णिका फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड) का निरीक्षण किया था। जिसके बाद उन्होंने दफ्तर में स्टॉप वर्क नोटिस ’चिपकाया था। अभिनेत्री को 24 घंटे के भीतर इस मामले में जवाब देने के लिए कहा गया था।
हालाँकि, अगले दिन ही कंगना के दफ्तर पर बीएमसी अधिकारियों ने पहुँचकर उसकी संपत्ति के एक हिस्से को ध्वस्त कर दिया। उस वक्त बॉलीवुड क्वीन मनाली से मुंबई के लिए निकल चुकी थी और रास्ते में थी। बीएमसी अधिकारियों ने दावा किया था कि बीएमसी की अनुमति के बिना परिसर में कई बदलाव किए गए थे। बाद में बीएमसी की इस कार्रवाई पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी।