Sunday, November 17, 2024
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बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के खिलाफ एकजुट हुए बंगाल के हिंदू, इस्लामी मुल्क के सामानों के खिलाफ चलाया #BoycottBangladesh अभियान

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय, उनके मंदिरों और व्यापारों पर हमले शुरू हुए, तो पश्चिम बंगाल के हिंदुओं ने खुद ही पड़ोसी देश में बने सामानों और सेवाओं के आर्थिक बहिष्कार को शुरू कर दिया।

बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों खास कर हिंदुओं पर हो रहे इस्लामी कट्टरपंथियों के अत्याचारों, हमलों के खिलाफ अब पश्चिम बंगाल के हिंदू एकजुट हो रहे हैं। पश्चिम बंगाल के हिंदू न सिर्फ स्थानीय स्तर पर बांग्लादेशी घुसपैठियों को सबक सिखा रहे हैं, बल्कि बांग्लादेश से आधिकारिक चैनलों से आने वाले सामान का भी बहिष्कार कर रहे हैं। इस पूरे अभियान का एक ही मकसद है- बांग्लादेश के इस्लामी कट्टरपंथियों की जेब पर हमला और आर्थिक बहिष्कार। इसीलिए पश्चिम बंगाल के हिंदुओं ने बाकायदा #बायकॉटबांग्लादेश नाम से कैंपेन भी शुरू कर दिया है।

‘बांग्लादेश आउट’ कैंपेन की शुरुआत इस ज़रूरत से हुई कि एक ऐसे देश को आर्थिक मदद न दी जाए, जो इस साल 5 अगस्त से कट्टरपंथी इस्लामी लोगों के चंगुल में आ चुका है। जब बांग्लादेश में हिंदू समुदाय, उनके मंदिरों और व्यापारों पर हमले शुरू हुए, तो पश्चिम बंगाल के हिंदुओं ने खुद ही पड़ोसी देश में बने सामानों और सेवाओं के आर्थिक बहिष्कार को शुरू कर दिया।

OpIndia ने #BoycottBangladesh अभियान के आयोजक मयुख पाल से बात की। उन्होंने बताया कि शुरुआत में यह आंदोलन अनौपचारिक था। लोग अपने आप जुड़ने लगे, फंड इकट्ठा किया और ये सिर्फ एक महीने में 12 जिलों तक फैल गया। वो भी सिर्फ मौखिक प्रचार मात्र से।

मयुख पाल और उनके साथियों ने बांग्लादेशी सामानों के बहिष्कार से जुड़े पोस्टर छपवाए हैं और पूरे राज्य के सबसे व्यस्त इलाकों में लगवाए हैं।

पश्चिम बंगाल में हिंदुओं ने बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए प्रदर्शन कर सुरक्षा की माँग की

पाल और उनके कार्यकर्ताओं ने पोस्टर छपवाए और पश्चिम बंगाल के सबसे व्यस्त इलाकों में लगाए, जैसे बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, और बाजार। स्वयंसेवकों ने लोगों से संपर्क किया, उन्हें बांग्लादेश की स्थिति के बारे में बताया और उस देश के उत्पादों का बहिष्कार करने की शपथ लेने के लिए प्रेरित किया। कई लोगों ने कैमरे के सामने यह शपथ ली कि वे बांग्लादेशी कपड़ों और सेवाओं का उपयोग नहीं करेंगे।

पश्चिम बंगाल के हिंदू बंगालियों की माँगें

मयुख पाल ने OpIndia को बताया कि उन्होंने 2500 से अधिक पोस्टर वितरित किए और 1 लाख से अधिक हिंदुओं को प्रभावित किया।

BoycottBangladesh अभियान से जुड़े हिंदू कार्यकर्ता आर बंगोपाध्याय ने बंगाली हिंदुओं की चार मुख्य माँगें बताईं हैं:

  • बांग्लादेशी नागरिकों के लिए वीजा जारी करना तुरंत बंद किया जाए।
  • जो बांग्लादेशी नागरिक भारत में रहकर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं, उन्हें देश से बाहर निकाला जाए।
  • कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों को ब्लैकलिस्ट किया जाए, जो हिंदुओं के खिलाफ नफरत फैलाते हैं।
  • बांग्लादेश में बने उत्पादों का बहिष्कार किया जाए।
पश्चिम बंगाल में दीवारों, पेड़ों और रेलवे स्टेशनों पर ‘बांग्लादेश आउट’ के पोस्टर लगे

आर बंगोपाध्याय ने बताया कि पहले तीन माँगें भारतीय सरकार से हैं, जबकि चौथी माँग हिंदू समुदाय के लिए है।

#BoycottBangladesh आंदोलन किस तरह से आगे बढ़ा?

OpIndia ने ‘बांग्लादेश आउट’ अभियान के पोस्टरों को भी देखा। अंग्रेजी पोस्टरों में हिंदुओं के नरसंहार को रोकने, समुदाय को बचाने की जरूरत और चल रहे अत्याचारों के खिलाफ चुप्पी तोड़ने पर जोर दिया गया है, तो बांग्ला पोस्टरों में हिंदू समुदाय के मंदिरों और घरों के विनाश, हत्याओं, अपहरण और बलात्कार को उजागर किया गया था।

#BoycottBangladesh अभियान का अंग्रेजी पोस्टर

बंगाली पोस्टर में लिखा था, “हिंदुओं के खून से रंगे बांग्लादेशी कपड़ों का बहिष्कार करें।” इसमें ज़ारा, एचएंडएम, जीएपी जैसे ब्रांडों का नाम भी शामिल था।

बंगाली पोस्टर में उन कपड़ों की भी लिस्ट है, जो बांग्लादेश से मंगाए जाते हैं- जैसे साड़ी, चूड़ीदार, टी-शर्ट, शर्ट, जीन्स, स्वेटर, और लुंगी।

बांग्ला भाषा के पोस्टर

बांग्लादेशी सामानों के बहिष्कार का ये आंदोलन राज्य के व्यस्ततम इलाकों में पोस्टर लगाने से शुरु हुआ था और धीरे-धीरे आम लोग उससे जुड़ते चले गए। लोगों में जागरुकता लाने के लिए इस अभियान से जुड़े स्वयंसेवकों ने लोगों को जागरुक भी करना शुरू किया और लोगों को मौखिक रूप से भी इस अभियान की जरूरत को समझाया। उन्होंने बंगाली हिंदू समुदाय से सोशल मीडिया के माध्यम से हो रहे भ्रामक प्रचार से भी सावधान रहने की अपील की, जिसमें बांग्लादेश के हिंदु समुदाय पर हो रहे अत्याचारों को दबाने, छिपाने की कोशिशें की जाती हैं।

रेलवे स्टेशनों और अन्य व्यस्त जगहों पर पोस्टर लगाते युवा स्वयंसेवक

कई वीडियो में बंगाल के हिंदुओं को बांग्लादेशी वस्त्रों का बहिष्कार करते हुए देखा गया। जनता की प्रतिक्रिया जबरदस्त थी। बंगाली हिंदुओं ने यहाँ तक कसम खाई कि वे पद्मा नदी की हिलसा मछली नहीं खाएँगे।

OpIndia ने बताया था कि बांग्लादेश सरकार ने दुर्गा पूजा के दौरान भारत को हिलसा मछली भेजने की परंपरा को रोक दिया था। लेकिन बाद में इस फैसले को पलट दिया गया। इसके बावजूद, बंगाली हिंदुओं ने यह साफ किया कि उनके लिए एक हिंदू का जीवन सबसे महत्वपूर्ण है।

यह भावना बंगाल के हिंदुओं के वीडियो इंटरव्यू में भी झलकती है, जिन्होंने ‘बॉयकॉट बांग्लादेश’ अभियान का समर्थन किया।

कुछ जूनियर डॉक्टर और छात्र भी इस अभियान में शामिल हो गए हैं। एक डॉक्टर ने बंगाली में कहा, “बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति बेहद चिंताजनक है। महिलाएँ अत्याचार का शिकार हो रही हैं। हिंदू मंदिर नष्ट किए जा रहे हैं। इसलिए हम बांग्लादेश का बहिष्कार कर रहे हैं।”

ममता सरकार के खिलाफ कोलकाता पुलिस के वॉटर कैनन का सामना करने वाले हिंदू संत ने भी इस अभियान का समर्थन किया और बांग्लादेशी उत्पादों के बहिष्कार की माँग की।

‘बांग्लादेश आउट’ आंदोलन को सोशल मीडिया पर भी समर्थन मिला है, जिसमें प्रसिद्ध यूट्यूबर्स और कार्यकर्ता जैसे रुद्र प्रसाद बनर्जी और सौरिश मुखर्जी शामिल हैं।

बायकॉट बांग्लादेश अभियान की अगुवाई कर रहे मयुख पाल ने ऑपइंडिया से बताया कि उनका आंदोलन उत्तर 24 परगना से शुरू हुआ और पूरे राज्य में फैल गया। उन्होंने बताया कि उन्होंने भारत के अन्य हिस्सों में भी जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने पोस्टरों की सॉफ्ट कॉपी भेजी है।

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों के मामले बढ़े

बांग्लादेश में हिंदुओं से घृणा के मामले हमले से सामने आते रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ समय में हिंदू मंदिरों, दुकानों और व्यवसायों पर कम से कम 205 हमले हो चुके हैं, विशेषकर शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद।

बांग्लादेश में दुर्गापूजा के लिए बनाई जा रही मूर्तियों को इस्लामी कट्टरपंथियों ने तोड़ दिया और हिंदुओं से पैसों की उगाही की जा रही है।

चटगाँव में एक हिंदू युवक को ईशनिंदा के आरोप में उसकी मॉब लिंचिंग के लिए इस्लामी कट्टरपंथियों की भीड़ ने पूरे थाने को ही घेरा लिया और आर्मी की गाड़ियों तक में आग लगा दी थी।

ओपइंडिया ने पहले बताया था कि कैसे खुलना के सोनाडांगा इलाके में एक मुस्लिम भीड़ ने हिंदू लड़के उत्सव मंडल को ‘ईशनिंदा’ के आरोप में लगभग मार डाला था।

यह भी खुलासा हुआ था कि मुस्लिम छात्रों ने 60 से अधिक हिंदू शिक्षकों, प्रोफेसरों और सरकारी अधिकारियों को अपने पदों से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया है।

हाल ही में, मानवाधिकार कार्यकर्ता और निर्वासित बांग्लादेशी ब्लॉगर असद नूर ने बताया कि अल्पसंख्यक समुदाय को ‘जमात-ए-इस्लामी’ में शामिल होने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

6 सितंबर को चटगांव के कादम मुबारक इलाके में गणेश उत्सव के दौरान हिंदू भक्तों की एक शोभायात्रा पर भी हमला हुआ था।

बांग्लादेश में पिछले 6 दिनों में कुल 16 हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों और तीन मंदिरों पर हमला किया जा चुका है। लेकिन हमेशा की तरह अब भी हिंदुओं के खिलाफ हिंसा को ‘फर्जी‘, या ‘ राजनीति से प्रेरित ‘ बताकर बांग्लादेशी सरकार इस्लामी कट्टरपंथियों की मदद करे हिंदुओं पर अत्याचार को समर्थन दे रही है।

मूल रूप से ये रिपोर्ट अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित है। मूल रिपोर्ट को यहाँ क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

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Dibakar Dutta
Dibakar Duttahttps://dibakardutta.in/
Centre-Right. Political analyst. Assistant Editor @Opindia. Reach me at [email protected]

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