Tuesday, November 12, 2024
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ममता बनर्जी सरकार पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने लगाया ₹50 लाख का जुर्माना, करोड़ों के घोटाले का है मामला: जज बोले- केस 3 दिन में CBI-ED को सौंपो

कोर्ट ने जुर्माने की रकम को दो हफ्ते में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पास जमा कराने के लिए कहा है। इसके साथ ही इस केस से जुड़े सारे कागजात को 3 दिन के अंदर CID से लेकर केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपने का आदेश दिया है।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के एक मामले की जाँच प्रवर्तन निदेशालय या सीबीआई को सौंपने का आदेश नहीं मानने पर पश्चिम बंगाल की ममता सरकार पर 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। यह मामला पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले की महिला सहकारी समिति में हुए घोटाले से जुड़ा हुआ है। इसकी जाँच फिलहाल CID कर रही है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने जुर्माना लगाने के साथ ही ममता सरकार को कड़ी फटकार भी लगाई है।

न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। दरअसल, वर्ष 2020 में बंगाल के अलीपुरद्वार जिले की महिला सहकारी समिति में 50 करोड़ रुपए से अधिक के गबन का मामला सामने आया था। इस गड़बड़ी के कारण सहकारी समिति बंद हो गई थी और इसमें पैसा जमा करने वालों को भी उनकी धनराशि वापस नहीं मिल पाई थी।

कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय
न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय (चित्र साभार:ABP)

इस सम्बन्ध में मामला दर्ज करके जाँच राज्य की CID को सौंपी गई थी। सीआईडी इस मामले में बीते तीन वर्ष से जाँच कर रही है और अभी तक पाँच लोगों को गिरफ्तार किया है। एजेंसी अभी तक यह पता नहीं लगा पाई है कि समिति से गबन किया गया पैसा कहाँ गया। सीआईडी की धीमी कार्रवाई से कलकत्ता हाईकोर्ट खफा हो गया और यह कदम उठाया है।

इससे पहले 24 अगस्त 2023 को इसी मामले में सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल सरकार को आदेश दिया था कि इसकी जाँच सीआईडी से लेकर केन्द्रीय एजेंसियों ईडी और सीबीआई को सौंपे। कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल सरकार को यह भी आदेश दिया था कि केन्द्रीय एजेंसियों को सभी ब्यौरा तीन दिनों के भीतर उपलब्ध कराया जाए।

बंगाल सरकार द्वारा इस आदेश की अवहेलना की गई और इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसी को देखते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने यह जुर्माना लगाया और कहा कि यदि अब आदेश का पालन नहीं होता है तो वह राज्य के गृह सचिव को कोर्ट में तलब करेंगे। कोर्ट ने डाँट लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार गरीबों के पैसे के साथ खिलवाड़ कर रही है।

कोर्ट ने जुर्माने की रकम को दो हफ्ते में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पास जमा कराने के लिए कहा है। इसके साथ ही इस केस से जुड़े सारे कागजात को 3 दिन के अंदर CID से लेकर केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपने का आदेश दिया है।

जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा कि जाँच शुरू हुए तीन साल हो चुके हैं, लेकिन CID को अभी भी नहीं पता है कि पैसा कौन ले गया। उन्होंने कहा, “कोर्ट के साथ खेल रहे हैं? CID को नहीं पता है, लेकिन मुझे पता है। ये वही लोग हैं, जो कभी साइकिल चलाकर गरीबों का पैसा खाते थे, वे अब कार से चल रहे हैं।”

बताते चलें कि न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय इससे पहले भी बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार की गड़बड़ियों वाले कई मामलों में सुनवाई की थी। इसको लेकर सरकार सकते आ गई थी। इसी कारण से तृणमूल कॉन्ग्रेस के नेता उन पर अक्सर बयानबाजी करते रहते हैं।

यह भी पढ़ें: बंगाल की अवैध फैक्ट्री में विस्फोट से 8 मौतें, BJP नेता शुभेंदु बोले – बनाया जा रहा था बम: मलबे में दबे कई लोग, आसपास के घर भी क्षतिग्रस्त

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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