उत्तर प्रदेश में ‘गोमती रिवर फ्रंट योजना’ घोटाला मामले में CBI ने एक साथ 40 ठिकानों पर छापेमारी की है। CBI ने इस मामले में सोमवार (जुलाई 4, 2021) को कुल 190 आरोपितों के खिलाफ FIR भी दर्ज की। ये परियोजना अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार की सबसे महत्वकांक्षी परियोजनाओं में से एक थी। आरोपितों में अधिकतर सुपरिंटेंड इंजीनियर और अधिशासी इंजीनियर हैं।
CBI ने लखनऊ, कोलकाता, अलवर, सीतापुर, रायबरेली, गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ, बुलंदशहर, इटावा, अलीगढ़, एटा, गोरखपुर, मुरादाबाद और आगरा में एक साथ 40 ठिकानों पर रेड मारी। राजधानी लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने योगी आदित्यनाथ सरकार के निर्देश पर सिंचाई विभाग की ओर से लखनऊ के गोमतीनगर थाने में मामला दर्ज किया था। CBI ने इसी को आधार बना कर कार्रवाई शुरू की है।
‘गोमती रिवर फ्रंट योजना’ के तहत बड़ी गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। आरोप है कि इस परियोजना का काम भी पूरा नहीं हुआ और 95% धनराशि यूँ ही खर्च कर दी गई। ये रुपया कहाँ गया, इस सम्बन्ध में CBI जाँच कर रही है। इस परियोजना में झूठा खर्च दिखा कर पूरी रकम का आपस में ही बंदरबाँट कर लिया गया, ऐसे आरोप हैं। मनमाने तरीके से सरकारी रकम को खर्च कर के इसका दुरुपयोग किया गया।
इस परियोजना के लिए कुल 1513 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे, जिसमें से 1437 करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद भी अभी तक 60% काम भी पूरा नहीं हुआ है। जिस कंपनी को इस काम का ठेका दिया गया, उसे भी संदिग्ध माना जा रहा है। आरोप है कि वो कंपनी पहले से ही डिफॉल्टर थी। 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के साथ ही इस भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ और न्यायिक जाँच बिठाई गई थी।
CBI registers fresh case in Gomti river front project irregularities; searches at over 40 locationshttps://t.co/Nz8PX81wDm
— The Indian Express (@IndianExpress) July 5, 2021
इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति सिफारिश की थी कि इस मामले में संदिग्ध अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और FIR दर्ज की जाए। इसके बाद जून 9, 2017 को सिंचाई विभाग के अधिशासी इंजिनियर डॉक्टर अंबुज द्विवेदी ने गोमतीनगर थाने में धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। अब CBI इस मामले की जाँच कर रही है।
इस परियोजना को 2015 में लॉन्च किया गया था। कई पर्यावरण विशेषज्ञों ने भी कहा था कि नदी के इकोसिस्टम के लिए ये परियोजना ठीक नहीं है। इसी साल मार्च में CBI को उत्तर प्रदेश सरकार ने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए हरी झंडी दिखाई थी। इस मामले में घूस के आदान-प्रदान के कई सबूत CBI को पहले ही मिल चुके हैं। ये घूस बैंक से रुपए निकाल कर कैश के रूप में दिए गए थे।