जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 29 अगस्त 2023 को केंद्र सरकार से पूछा था कि जम्मू-कश्मीर में पूर्ण राज्य का दर्जा कब बहाल किया जाएगा? वहाँ चुनाव कब कराए जाएँगे? इस पर केंद्र ने जवाब दाखिल कर बताया कि इसके लिए कोई निश्चित तारीख नहीं बताई जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने मामले में केंद्र सरकार से विस्तृत रिपोर्ट माँगी थी। इस पर केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 31 अगस्त 2023 दिन गुरुवार को कोर्ट में बताया कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने के लिए तैयार है, लेकिन इसे पूर्ण राज्य का दर्जा कब बहाल किया जाएगा, इसको लेकर समयसीमा नहीं दे सकती।
सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का केंद्रशासित प्रदेश बने रहना एक अस्थायी घटना है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव कराने के लिए तैयार है, लेकिन चुनाव का समय चुनाव आयोग तय करेगा। इसके साथ ही आयोग यह भी तय करेगा कि यह चुनाव पंचायत स्तर से शुरू किया जाए या जिला स्तर से। यह आयोग का काम है।
उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थायित्व बहाल करने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं। साल 2019 से पहले की अपेक्षा जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में 42.5 प्रतिशत की कमी आई है। घुसपैठ की घटनाओं में 90.20 प्रतिशत और पत्थरबाजी जैसी घटनाओं में 92 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं, केंद्रशासित प्रदेश में सुरक्षाबलों के हताहत होने के मामलों में 69.5 प्रतिशत की कमी आई है।
उन्होंने कहा कि केंद्रशासित प्रदेश में हालत कितनी सामान्य है, इसके आधार पर केंद्र सरकार उसे पूर्ण राज्य का दर्जा देने के बारे में विचार करेगी। केंद्र ने कहा कि वह केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव कराने के लिए किसी भी समय तैयार है। इसके लिए केंद्र सरकार मतदाता सूची को अपडेट करने का काम लगभग पूरा हो चुका है।
एसजी मेहता ने कहा, “मैं पूर्ण राज्य में परिवर्तन के लिए सटीक समय अवधि देने में असमर्थ हूँ, लेकिन केंद्रशासित प्रदेश केवल एक अस्थायी घटना है। सिर्फ जनवरी 2022 में यहाँ 1.8 करोड़ पर्यटक आए और 2023 में 1 करोड़ पर्यटक आए। ये वे कदम हैं, जो केंद्र द्वारा उठाए जा रहे हैं। केंद्र ये कदम केवल तब तक उठा सकता है, जब तक यह केंद्रशासित प्रदेश है। केंद्र चुनाव के लिए तैयार है, लेकिन राज्य और केंद्रीय चुनाव आयोग को यह तय करना होगा कि इसे कब आयोजित करना है और किस स्तर से शुरू करना है।”
तुषार मेहता ने आगे कहा, “चुनाव पर सबसे अधिक प्रभाव पत्थरबाजी की घटनाओं और बंद/हड़ताल से पड़ा। साल 2018 में पथराव की 1761 घटनाएँ हुई थीं। अब यह शून्य है। सिर्फ पुलिस और सुरक्षा कदमों के कारण नहीं, बल्कि अन्य कदमों जैसे कि युवाओं को लाभप्रद रोजगार देना, जो अलगाववादी ताकतों द्वारा गुमराह किए जाते थे। 2018 में अलगाववादी समूहों द्वारा आयोजित बंद की संख्या 52 थी। अब यह शून्य है।”