Sunday, November 17, 2024
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छत्तीसगढ़ में ₹2161 करोड़ का शराब घोटाला: ED ने PMLA कोर्ट को बताया, कॉन्ग्रेस नेता से लेकर अधिकारी तक सब शामिल

ईडी ने आगे कहा कि त्रिपाठी के नेतृत्व में CSMCL ने देशी शराब सिर्फ उन्हीं से खरीदी, जो प्रति पेटी 75 रुपए का कमीशन दिए। इसके बदले में ढेबर ने उनकी लैंडिंग दरें बढ़ाने का वादा किया। लैंडिंग दर वह दर थी, जो CSMCL द्वारा शराब निर्माताओं को भुगतान की गई।

छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जाँच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने विशेष PMLA कोर्ट में अभियोजन शिकायत दर्ज की है। इसमें आरोप लगाया गया है कि राज्य के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, राजनेताओं और कुछ व्यक्तियों के आपराधिक सिंडिकेट ने लगभग 2,161 करोड़ रुपए को अपनी जेब में डाला, जो कि सरकारी खजाने में जाना चाहिए था।

मंगलवार (4 जुलाई 2023) को दायर अभियोजन शिकायत में नामित आरोपित कॉन्ग्रेस नेता एवं रायपुर के मेयर ऐजाज़ ढेबर के भाई अनवर ढेबर (51) है। इसके अलावा, भारतीय दूरसंचार सेवा अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी (55), व्यवसायी त्रिलोक ढिल्लन (59) और उनके सहयोगी नितेश पुरोहित (51) एवं अरविंद सिंह (48) के भी नाम हैं।

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, ढेबर और ढिल्लन के वकील फैजल रिजवी ने कहा, “मेरे मुवक्किल को झूठे मामले में फँसाया गया है। ED द्वारा कुर्क की गई संपत्ति को मेरे मुवक्किल ने घोटाला होने से बहुत पहले खरीदी थी। ईडी ने उनके कब्जे से 52 लाख रुपए जब्त किए, लेकिन मेरे मुवक्किल के पास उनके आयकर रिटर्न प्रमाणपत्र के अनुसार 97 लाख रुपए थे।”

एजेंसी का कहना है कि उत्पाद शुल्क विभाग में भ्रष्टाचार साल 2019 में शुरू हुआ था और वह साल 2022 तक जारी रहा था। एजेंसी ने आरोप लगाया गया कि सिंडिकेट का नेतृत्व ढेबर और एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ने किया था। इस IAS अधिकारी को अभी तक आरोपित नहीं बनाया गया है।

ED का कहना है कि दोनों ने व्यवस्थित रूप से राज्य की शराब नीति में बदलाव किया और उसका लाभ उठाया। शिकायत में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (CSMCL) को राज्य में शराब की बिक्री और गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए फरवरी 2017 में बनाया गया था, लेकिन सिंडिकेट ने एक समानांतर उत्पाद शुल्क विभाग लागू किया।

ED ने कहा कि सिंडिकेट ने फरवरी 2019 में CSMCL का नेतृत्व करने के लिए अरुणपति त्रिपाठी को चुना और मई में अनवर ढेबर के कहने पर त्रिपाठी को इसका प्रबंध निदेशक बनाया गया। त्रिपाठी को वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों का भी समर्थन हासिल था।

ईडी ने आगे कहा कि त्रिपाठी के नेतृत्व में CSMCL ने देशी शराब सिर्फ उन्हीं से खरीदी, जो प्रति पेटी 75 रुपए का कमीशन दिए। इसके बदले में ढेबर ने उनकी लैंडिंग दरें बढ़ाने का वादा किया। लैंडिंग दर वह दर थी, जो CSMCL द्वारा शराब निर्माताओं को भुगतान की गई।

अभियोजन की शिकायत में कहा गया है, “घोटाले के हिस्से के रूप में पहले वर्ष में हर महीने 800 पेटी देशी शराब ले जाने वाले 200 ट्रक शराब बेचे गए और 2022-23 में यह मात्रा बढ़कर 400 ट्रक हो गई। ढेबर और सेवानिवृत्त आईएएस ने अवैध रूप से अर्जित धन का 15% हिस्सा रखा और शेष 75% राज्य के सर्वोच्च राजनीतिक अधिकारियों के निर्देशों के अनुसार राजनेताओं को दे दिया।”

ढेबर के तीन सहयोगियों को भी विदेशी शराब बेचने का लाइसेंस मिला और बदले में उन्हें कमीशन दिया गया। इस तरह सिंडिकेट द्वारा अवैध रूप से 2,161 करोड़ रुपए कमाए गए, जो सरकारी खजाने में जाना चाहिए था। ईडी ने अब तक प्रोविजनल तौर पर 124 करोड़ रुपए जब्त किए हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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