Thursday, November 14, 2024
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प्रार्थना की आड़ में 5 साल से चल रहा था ईसाई धर्मांतरण का खेल, पादरी अब्राहम समेत 50 हिरासत में: गरीबों को बनाया निशाना

सहादतपुरा स्थित विजेंद्र राजभर के मकान में पादरी अब्राहम करीब 5 सालों से प्रार्थना सभा आयोजित कर रहा था। धीरे-धीरे यहाँ लोगों की संख्या बढ़ने लगी। इसकी सूचना जब हिंदू संगठनों तक पहुँची, तो उन्होंने इस रैकेट का भंडाफोड़ किया।

उत्तर प्रदेश के मऊ में रविवार (10 अक्टूबर 2021) को अवैध धर्मांतरण मामले में 50 लोगों को गिरफ्तार किया गया। ईसाई मिशनरी पर प्रार्थना की आड़ में लोगों को बहला-फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन करने के आरोप लगाए गए हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मऊ के सहादतपुरा मोहल्ले में रोडवेज के पीछे एक घर में पिछले 5 वर्षों से प्रार्थना सभा के नाम पर धर्मांतरण की साजिश रच रहे लोगों को आज हिंदू जागरण मंच के पदाधिकारियों ने बेनकाब कर दिया। मौके पर पहुँची पुलिस ने प्रार्थना सभा में शामिल पादरी अब्राहम सहित मकान मालिक और लगभग 50 महिलाओं-पुरुषों को हिरासत में ले लिया। सभी को कोतवाली परिसर में लाकर पूछताछ की जा रही है।

पुलिस अधिकारी ने बताया, “हमें सूचना मिली है कि एक व्यक्ति ने अपने घर में ईसाई धर्म के लोगों को बुलाकर उन्हें दूसरा धर्म अपनाने के लिए कहा। इस मामले में FIR दर्ज़ करेंगे। पुलिस मामले की जाँच में जुट गई है।”

बताया जा रहा है कि सहादतपुरा स्थित विजेंद्र राजभर के मकान में पादरी अब्राहम करीब 5 सालों से प्रार्थना सभा आयोजित कर रहा था। धीरे-धीरे यहाँ लोगों की संख्या बढ़ने लगी। इसकी सूचना जब हिंदू संगठनों तक पहुँची, तो उन्होंने इस रैकेट का भंडाफोड़ किया। हिंदू जागरण मंच के जिला प्रभारी भानु प्रताप सिंह एवं अन्य पदाधिकारियों का आरोप है कि यहाँ लोगों की बीमारियाँ दूर करने के लिए न केवल प्रार्थना, बल्कि धर्मांतरण की साजिश रची जा रही थी।

उन्होंने बताया कि धीरे-धीरे यहाँ आसपास के गाँवों और कस्बे से लोग आने लगे थे। ये ज्यादा पढ़े-लिखे लोग नहीं थे, जिसकी वजह से ईसाई मिशनरी के झाँसे में आ गए। ईसाई धर्म से जुड़े लोग इन्हें आस्था एवं विश्वास के नाम पर गुमराह करते थे।

सीओ धनंजय मिश्र ने बताया कि धर्म परिवर्तन कराने की सूचना मिलते ही मौके पर पहुँची पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लिया। धर्मांतरण की पुष्टि होने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। वहीं, पादरी अब्राहम का कहना है कि वहाँ किसी को जबरन नहीं बुलाया जाता था। लोग अपनी मर्जी से आते थे। यहाँ उनकी बीमारी दूर करने के लिए प्रार्थना की जाती थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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