राजस्थान के करौली में हिंदुओं पर हमले के बाद से कॉन्ग्रेस का पार्षद मतलूब अहमद फरार है। वह मुस्लिम बहुल इलाके में हिंदू नववर्ष पर हुई हिंसा का मुख्य साजिशकर्ता बताया जा रहा है। अब एक रिपोर्ट से यह बात सामने आई है कि हिंसा करने वाली भीड़ में उसके कुछ रिश्तेदार भी शामिल थे। इतना ही नहीं मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी भी हिंसा के बावजूद तमाशबीन बने हुए थे।
टाइम्स नाउ ने जो वीडियो शेयर किए हैं उसमें भीड़ के आगे कुछ पुलिसकर्मी मौजूद हैं। कुछ लोगों के हाथों में डंडे दिखाई दे रहे हैं। कुछ ने मुँह को कपड़े से ढक रखा है। रिपोर्ट के मुताबिक, “हिंसक भीड़ को पुलिस की तरफ से खुली छूट थी और पुलिस के सीनियर अधिकारी हालात को काबू करने में नाकाम रहे। हमले के बाद सभी आरोपित एक गली से निकल गए। मौके पर मतलूब के परिवार से कम से कम 3 लोग दिखाई रहे हैं।” रिपोर्ट में कहा गया है कि मतलूब अहमद ने हिंसक हालात बनाए और उसके रिश्तेदारों ने इसे भड़काया। वाहनों के साथ तोड़फोड़ करने वाली भीड़ में शामिल उसके रिश्तेदार सक्रिय भूमिका निभा रहे थे।
#KarauliConspiracy
— TIMES NOW (@TimesNow) April 7, 2022
TIMES NOW SIT investigation brings out sensational disclosures.
– Mob was given a free hand by police
– Matloob’s relatives were part of the mob
– Senior cops failed to act@PriyaBahal22, @bhanwarpushpen2 and @Sabyasachi_13 join @roypranesh with details pic.twitter.com/ZGwQf6aupk
वीडियो के आधार पर टाइम्स नाउ ने दावा करते हुए बताया है, “पुलिसकर्मियों के आगे ही चहलकदमी करता भीड़ में सफेद टीशर्ट पहना व्यक्ति मतलूब का रिश्तेदार है। हरे रंग की फुल टीशर्ट में उसी भीड़ में हाथों में लाठी लिए दिख रहा दूसरा व्यक्ति भी मतलूब का रिश्तेदार है। उसके आगे सिविल ड्रेस में एक पुलिसकर्मी भी खड़ा है। उस समय पुलिस बल के साथ डिप्टी SP मनराज मीणा इलाके के SHO रामेश्वर मीणा के साथ मौजूद थे। उनके आगे ही हंगामा करने वालों में से किसी का भी नाम पुलिस द्वारा दर्ज FIR में नहीं है। DJ में भजन बजा रही गाड़ी को इन्ही अधिकारियों के आगे तोड़ा गया। कुछ करने के बजाय वे सिर्फ खड़े हो कर देखते रहे।”
इससे पहले यह बात सामने आई थी कि हिंसा से पहले ही घरों में हथियार जुटा लिए गए थे। मतलूब के घर से भी हथियार मिलने की बात कही गई थी। उसके घर से मिले हथियार उसी तरह के थे, जिस तरह के हथियारों से हिंदुओं के जुलूस को निशाना बनाया गया था। साथ ही पुलिस के भी तमाशबीन बने रहने की बात सामने आई थी। इस संबंध में करौली के SP ने कहा था, “हम फुटेज की जाँच करेंगे और अगर कोई पुलिसकर्मी कर्तव्यों में लापरवाही बरतता पाया गया तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।”
गौरतलब है कि करौली में हिंदू नव वर्ष के जुलूस पर 2 अप्रैल को हिंसा हुई थी। दुकानों में आगजनी की गई। इसमें पुष्पेंद्र नाम का एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसके शरीर पर चाकू से हमले के निशान थे। उपद्रवियों को काबू करते हुए पुलिस के 4 जवान भी घायल हुए थे। कुल 43 लोगों के घायल होने की खबर मीडिया में आई थी। इसके बाद मामले में जाँच शुरू हुई और पीएफआई का एक पत्र सामने आया, जिसने इस हिंसा के सुनियोजित होने की ओर इशारा किया। बाद में कॉन्ग्रेसी नेता मतबूल अहमद की भूमिका भी हिंसा में पाई गई।
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी इस हिंसा को सुनियोजित बताया था। उन्होंने कहा था कि करौली हिंसा के दौरान जिस तरह से पथराव किया गया, उससे साबित होता है कि इसे सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया और इसे रोका जा सकता था।