पालघर मॉब लिंचिंग में पुलिस की भूमिका पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सर संघचालक मोहन भागवत ने सवाल उठाए हैं। रविवार (अप्रैल 26, 2020) शाम संघ के ऑनलाइन बौद्धिक वर्ग में उन्होंने यह बात कही।
आरएसएस प्रमुख द्वारा सोशल मीडिया के जरिए इस तरह संवाद का यह पहला मौका था। इस दौरान उन्होंने लॉकडाउन में घरों में रहने और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की अपील की। कोरोना संक्रमण की वजह से अब 30 जून तक RSS ने अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं।
भागवत ने पालघर मॉब लिंचिंग घटना की निंदा करते हुए पुलिस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “2 साधुओं की हत्या। क्या यह होना चहिए? क्या कानून-व्यवस्था किसी को हाथ में लेना चाहिए था? ऐसे में पुलिस की भूमिका क्या होनी चाहिए थी? ये सभी चीजें ऐसी हैं जिन पर सोचा जाना चाहिए।” उन्होंने कहा कि संन्यासियों ने किसी का अहित नहीं किया था। साधुओं का कोई दोष नहीं था।
The murder of two ‘sadhus’. Should this have happened? Should law and order be taken into one’s hands? What should have Police done? All of this is something to think about: RSS Chief Mohan Bhagwat #Palghar https://t.co/yEUD39IRdj
— ANI (@ANI) April 26, 2020
तबलीगी जमात की तरफ इशारा!
संघ प्रमुख ने कहा कि यदि कोई डर या क्रोध की वजह से कुछ उल्टा-सीधा कर देता है तो सारे समूह को उसमें शामिल कर उनसे दूरी बनाना सही नहीं है। माना जा रहा है कि यह संघ प्रमुख का तबलीगी जमात की तरफ इशारा था। उन्होंने कहा, “भारत की 130 करोड़ की आबादी भारत माता के बच्चे और हमारे भाई हैं। यह दिमाग में रखा जाना चाहिए। दोनों पक्षों की तरफ से कोई गुस्सा और डर नहीं होना चाहिए। समझदार और जिम्मेदार लोग अपने समूहों को इससे रक्षा करें। अगर ऐसा नहीं होता है तो क्या होना चहिए?”
साथ ही उन्होंने कहा कि लोगों को लगता होगा कि शाखा बंद है, रोज होने वाले कार्यक्रम बंद हैं तो संघ का काम बंद है। लेकिन ऐसा नहीं है। संघ का काम चल ही रहा है, बस उसका स्वरुप बदल गया है।
मोहन भागवत ने कहा, “हमें COVID-19 से डरने की जरूरत नहीं है। प्रचंड रूप से संघ के सेवा कार्य चल रहे हैं और उसको समाज देख रहा है। स्वयं के प्रयास से अच्छा बनना और समाज को अच्छा बनाना ही अपना काम है। केवल संघ के लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि समाज के लिए भी कुछ बातें स्पष्ट हैं। अपने स्वार्थ की पूर्ति या अपना डंका बजाने के लिए हम काम नहीं कर रहे। यह समाज हमारा है, इसलिए सेवा कर रहें हैं। अहंकार को त्याग कर बिना श्रेय के काम करना है।”
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के पालघर जिले में 16 अप्रैल की रात तीन लोगों की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इसमें दो साधु और एक उनका ड्राइवर था। भीड़ ने उन्हें उनकी कार से निकालकर लाठियों से पीट-पीटकर मार डाला था। मृतकों की पहचान महाराज कल्पवृक्षगिरी (70), सुशीलगिरी महाराज (35) और वाहन चालक निलेश तेलगाडे (30) के तौर पर हुई है। अखिल भारतीय संत समिति ने इस मामले पर यह कहते हुए CBI जाँच की माँग की है कि उन्हें महाराष्ट्र के गृहमंत्री पर भरोसा नहीं है।