Monday, September 16, 2024
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’16 राज्यों की बिजली काट देंगे’: राकेश टिकैत ने दी केंद्र सरकार को खुलेआम धमकी

"केंद्र में कोई सरकार नहीं। देश को व्यापारी लोग चला रहे, इन व्यापारियों ने सभी सरकारी संस्थानों को बेच दिया है... किसानों के खेतों से जाने वाली 16 राज्यों की बिजली लाइन काट दी जाएगी।"

राजस्थान के दौसा में किसान पंचायत में भाग लेने पहुँचे किसान नेता राकेश टिकैत ने सरकार को अब सीधे तौर पर धमकी दी है। उन्होंने कहा कि अगर किसानों की माँगे नहीं मानी गईं तो 16 राज्यों की बिजली कट जाएगी। शनिवार (मार्च 27, 2021) को भरतपुर में एक बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि अपनी माँगों को लेकर किसान आंदोलन पर डटे रहेंगे। उन्होंने कहा कि अगर किसानों के आंदोलन स्थल की बिजली कटी तो किसानों के खेतों से जाने वाली 16 राज्यों की बिजली लाइन कट जाएगी।

उन्होंने कहा इस समय देश में सरकार नहीं बची है। केंद्र में कोई सरकार नहीं। देश को व्यापारी लोग चला रहे हैं और इन व्यापारियों ने सभी सरकारी संस्थानों को बेच दिया है। टिकैत ने कहा कि देश की जनता अब सब समझ गई है और जनता को उन्हें सरकार से बाहर का रास्ता दिखाने की जरूरत है।

राकेश टिकैत ने कहा कि जब भी कोई पार्टी विधानसभा में या फिर लोकसभा में पूर्ण बहुमत पाती है तो वह तानाशाह की तरह अपना व्यवहार दिखाती है। उन्होंने कहा कि इस समय केंद्र का रवैया भी एक तानाशाह की ही तरह है। राकेश टिकैत ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार सरकारी संस्थानों को बेचने के बाद अब धीरे धीरे किसानों की जमीन को व्यापारियों को बेचने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारी और भुखमरी बढ़ती जा रही है। युवाओं के भविष्य को लेकर सरकार के पास किसी तरह की योजना नहीं है।

उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “केंद्र में कोई सरकार नहीं है, जबकि कारोबारी देश को चला रहे हैं। उन्होंने सभी सरकारी संस्थाएँ बेच दी हैं और देशवासियों को उन्हें सरकार से बाहर निकाल कर फेंकना चाहिए।” बकौल टिकैत, “कोई भी दल संसद या फिर विधानसभा में पूर्ण बहुमत पाता है, तब वह तानाशाह बन जाता है। केंद्र सरकार हमारी (किसानों की) जमीनों को बेचने की साजिश रच रही है, जबकि आम लोग बेरोजगारी और भुखमरी की मार झेल रहे हैं।”

उन्होंने विपक्ष पर भी हमला किया। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन पाँच से छ: महीने और जारी रहेगा, लेकिन यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण हैं कि सरकार की नीतियों का कोई विरोध नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर एक मजबूत विपक्ष होता और विपक्ष जिंदा होता तो आज किसानों की लड़ाई को आदर्श और मजबूती के साथ संसद में लड़ी जाती। उन्होंने कहा कि नवंबर-दिसंबर में जाकर किसान आंदोलन का फैसला होगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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