Saturday, November 16, 2024
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दीप सिद्धू को भाजपा एजेंट बताने वाले ‘किसानों’ ने अरेस्ट होते ही बदला रंग, रिहाई का रो रहे रोना

लाल किले पर हुए उत्पात में दीप सिद्धू का नाम आते ही कॉन्ग्रेस और कृषि कानून विरोधी इकोसिस्टम तब केंद्र सरकार पर दीप सिद्धू को गिरफ्तार नहीं किए जाने को लेकर भाजपा पर आरोप लगा रहे थे।

मंगलवार (फरवरी 09 2021) को, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जानकारी दी कि उन्होंने अभिनेता और खालिस्तान समर्थक दीप सिद्धू को गिरफ्तार किया है। दीप सिद्धू की भूमिका किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान गणतंत्र दिवस पर हिंसा भड़काने और लाल किले पर उत्पात में पाई गई थी।

सोमवार रात करीब 10.30 बजे दीप सिद्धू को करनाल से गिरफ्तार किया गया है। वह पुलिस के रडार पर कई दिन से था। गिरफ्तारी से पूर्व, दिल्ली पुलिस ने दीप सिद्धू, जुगराज सिंह, गुरजोत सिंह और गुरजंत सिंह की सूचना देने वाले को 1 लाख रूपए का नकद इनाम देने की घोषणा की थी।

दीप सिद्धू का ‘किसान’ से ‘भाजपा एजेंट’ तक का सफर

पिछले साल 28 नवंबर को सोशल मीडिया पर दीप सिद्धू का वीडियो वायरल होने के बाद अभिनेता और खालिस्तान समर्थक दीप सिद्धू प्रमुखता से किसान आन्दोलन के बीच चेहरा बनकर सामने आए। सिद्धू ने झूठे आरोप लगाए थे कि सरकार ने किसानों की जमीनों को छीनने के लिए कृषि कानूनों को पारित किया है।

दीप सिद्धू के वीडियो को ट्विटर पर आम आदमी पार्टी (AAP), कॉन्ग्रेस और वाम-उदारवादियों का खूब समर्थन भी मिला। उन्हें ‘किसान’, ‘किसान का बेटा’ कहकर शुरू से ही किसान-विरोधी कानून आंदोलन से जोड़ दिया गया। यह और तथ्य है कि दीप सिद्धू ने बरखा दत्त के साथ एक साक्षात्कार में खालिस्तानी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले की निंदा करने से इनकार कर दिया था।

खालिस्तान के प्रति उनके खुले समर्थन के बावजूद कृषि कानूनों का विरोध कर रहे लोगों ने दीप सिद्धू को अपना पूरा समर्थन दिया। भारत के 71वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर, यही दीप सिद्धू उन्मादी भीड़ का हिस्सा थे। इस भीड़ ने 26 जनवरी को लाल किले पर भारतीय तिरंगे का अपमान करते हुए सिखों के मजहबी झंडे को फहरा दिया था और उन्हें उकसाने वालों में दीप सिद्धू प्रमुख आरोपित हैं।

इस घटना के सामने आने के फ़ौरन बाद, वाम-उदारवादियों ने उन्हें ‘भाजपा एजेंट’ साबित करना शुरू कर दिया। इन लोगों ने फ़ौरन अभिनेता और भाजपा सांसद सनी देओल के साथ दीप सिद्धू की तस्वीरों को प्रसारित करना शुरू कर दिया।

हालाँकि, खुद दीप सिद्धू ने इस बात का खुलासा किया था कि वह भाजपा से नहीं जुड़े थे और 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सनी देओल के चुनाव प्रचार में शामिल होने के लिए वो खेद व्यक्त कर चुके थे।

लाल किले पर हुए उत्पात में दीप सिद्धू का नाम आते ही कॉन्ग्रेस और कृषि कानून विरोधी इकोसिस्टम तब केंद्र सरकार पर दीप सिद्धू को गिरफ्तार नहीं किए जाने को लेकर भाजपा पर आरोप लगा रहे थे। और अब, जब दिल्ली पुलिस ने सिद्धू को गिरफ्तार कर लिया है, तो कई कार्यकर्ता दीप सिद्धू की रिहाई की माँग कर रहे हैं।

दीप सिद्धू के गिरफ्तार होते ही फूट पड़े ‘किसान समर्थक’

जाने-माने ‘किसान’ कार्यकर्ता, पपलप्रीत सिंह, ने सिद्धू की गिरफ्तारी के बाद खालिस्तान से सहानुभूति रखने वाले दीप सिद्धू को अपना खुला समर्थन दिया है। अभिनेता की एक तस्वीर पोस्ट करते हुए, उन्होंने जोर देकर कहा कि वह अभिनेता के साथ खड़े हैं।

एक अन्य ट्विटर यूजर, एच बरार ने ट्वीट किया, “हम वीर (बहादुर) दीप सिद्धू के लिए प्रार्थना करते हैं। सतगुर हर कीमत पर उसकी रक्षा करें। किसानों के विरोध में उनके द्वारा निभाई गई भूमिकाओं को न भूलें, उन्होंने युवाओं को कितना प्रेरित किया है। ”

एक अन्य ट्विटर यूजर ने लिखा, “दीप सिद्धू को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए। ये दुख की बात है।” कुंवरवीर ने लिखा, “दीप सिद्धू के खून की जिम्मेदारी संघ (किसान) नेताओं की होगी।”

एक अन्य कृषि कानून विरोधी, नेहा शर्मा ने दीप सिद्धू को किसानों के अधिकारों का ‘योद्धा’ बताया और जोर देकर कहा कि वह सिद्धू के साथ खड़ी हैं। उसने सिद्धू की गिरफ्तारी पर निराशा व्यक्त की।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कॉन्ग्रेस पार्टी, जो कि कृषि कानूनों का विरोध करने में सबसे आगे रही है और पंजाब में अपनी ही सरकार होने के बावजूद किसानों के विरोध प्रदर्शनों को प्रायोजित कर रही है, ने किसान की आवाज के रूप में सिद्धू का महिमामंडन किया।

नवंबर माह में, जैसे ही दीप सिद्धू मोदी सरकार के खिलाफ विरोध का चेहरा बने, कॉन्ग्रेस पार्टी ने खुले तौर पर पगड़ी पहने अभिनेता के ‘किसान’ होने का दावा किया था और कृषि कानूनों के खिलाफ उनके विरोध का समर्थन किया था।

कुछ किसान नेताओं के अनुसार, गणतंत्र दिवस पर लाल किले पर झंडा फहराने के लिए दीप सिद्धू और उनके समर्थकों का गिरोह जिम्मेदार था। बूटा सिंह बुर्जगिल, अध्यक्ष बीकेयू (डकौंडा), ने ‘द प्रिंट’ से कहा था, “दीप सिद्धू और उनके समूह ने लाल किले पर झंडे फहराए। वे पहले दिन से आंदोलन में समस्या पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। हम उसी परेड वाले रास्ते पर जा रहे हैं, जिसकी हमने घोषणा की थी।”

हालाँकि, तथाकथित किसान विरोध के वास्तविक इरादे सामने आने के बाद, कॉन्ग्रेस के इकोसिस्टम ने पंजाब के अभिनेता को अपने राजनीतिक बयान को बनाए रखने के लिए बलि का बकरा बना दिया, और सिद्धू को ‘भाजपा एजेंट’ के रूप सामने रखना शुरू कर दिया।

कॉन्ग्रेस आईटी सेल के सदस्य गौरव पाँधी, जिसने 28 नवंबर को दीप सिद्धू के कार्यों का बचाव किया था, ने सिद्धू की पीएम मोदी के साथ ली गई एक बेहद रेंडम तस्वीर के आधार पर सिद्धू को भाजपा से जोड़ दिया था।

मंगलवार को दीप सिद्धू की गिरफ्तारी के साथ ही दीप सिद्धू के भाजपा समर्थक होने के वाम-उदारवादी तर्क ध्वस्त हो गया है। ऐसे में, अब जबकि खालिस्तान समर्थक का बचाव करने के लिए कुछ भी नहीं बचा है, इनमें से कई लोगों ने सोशल मीडिया पर चुप्पी बना रखी है। हालाँकि, बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी ‘किसानों’ ने अपनी गरिमा का भी त्याग कर दिया है और दीप सिद्धू की रिहाई की माँग करते हुए खुलकर आगे आए हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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