दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों के मामले में JNU के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को जमानत देने से इनकार कर दिया है। दिल्ली की अदालत ने फरवरी 2020 में हुए दंगों को लेकर गुरुवार (24 मार्च, 2022) को ये फैसला सुनाया। उमर खालिद के खिलाफ इस घटना को लेकर बड़ी साजिश रचने का आरोप है और उस पर IPC के साथ-साथ UAPA के तहत भी मामला चल रहा है। अभी वो जेल में है।
उमर खालिद को 13 सितम्बर, 2022 को गिरफ्तार किया गया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने इस महीने की शुरुआत में ही अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब सुनाया गया है। उमर खालिद की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पैस ने पैरवी की, वहीं स्पेशल प्रॉसिक्यूटर अमित प्रसाद पुलिस की तरफ से पेश हुए। उमर खालिद की तरफ से पैरवी की गई कि दिल्ली पुलिस ने इस मामले में बनावटी चार्जशीट पेश की है।
साथ ही उसके वकील ने दावा किया कि उमर खालिद के खिलाफ सभी आरोप ‘रिपब्लिक टीवी’ और ‘न्यूज़ 18’ जैसे खबरिया चैनलों के वीडियो क्लिप्स पर आधारित हैं, जिसने उन बयानों को गलत तरीके से पेश किया है। महाराष्ट्र के अमरावती में फरवरी 2020 में उमर खालिद ने वो भाषण दिया था। उमर खालिद के वकील का दावा है कि उनके मुवक्किल ने उस दिन शांति और भाईचारा की बात की थी, जिसे CNN-News18 ने नहीं दिखाया।
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— Live Law (@LiveLawIndia) March 24, 2022
Delhi Court denies bail to #UmarKhalid in Delhi riots larger conspiracy case. pic.twitter.com/HZBXYKtLKq
वकील ने ये भी दावा किया कि पुलिस की पूरी की पूरी चार्जशीट मनोज वाजपेयी और सामंथा की वेब सीरीज ‘फैमिली मैन’ की तरह दिख रही है। साथ ही दावा किया कि उसे बिना किसी सबूत के देशद्रोही बता दिया गया। साथ ही कहा गया कि गवाहों के बयान एक-दूसरे को काटते हैं और इसके समर्थन में कोई सबूत नहीं है। वकील पैस ने बताया कि उन्होंने हाल ही “The Trial of Chicago 7” देखी, जिसमें सरकार और पुलिस पहले ही एक व्यक्ति को फँसाने की योजना बना चुकी होती है।