दिल्ली की एक फैमिली कोर्ट ने भारतीय क्रिकेटर शिखर धवन और आयशा मुखर्जी के तलाक पर मुहर लगा दी है। अदालत ने माना है कि शिखर को आयशा मानसिक तौर पर प्रताड़ित करती थीं। उनको बदनाम करने के लिए कई लोगों को अपमानजनक संदेश भेजे थे। शादी के बाद भारत में रहने के वादे को नहीं निभाया। साथ ही संपत्तियों का मालिकाना हक हासिल करने के लिए भी दबाव डाला।
बुधवार (4 अक्टूबर 2023) को फैमिली कोर्ट के जज हरीश कुमार ने धवन के आरोपों को आधार बनाते हुए उन्हें तलाक दे दिया। इनमें से कई आरोपों पर आयशा ने अपना बचाव नहीं किया और कई में वे ऐसा करने में असफल रहीं। अदालत ने माना कि शिखर धवन को उनकी पत्नी लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही थीं। इसमें शिखर धवन को उनके पुत्र से ना मिलने देना और सालों तक उनसे दूर उसे ऑस्ट्रेलिया में रखना भी शामिल है।
शिखर धवन ने तलाकशुदा आयशा मुखर्जी से साल 2012 में शादी की थी। पूर्व पति से आयशा की दो बेटियाँ हैं जो ऑस्ट्रेलिया में उनके साथ रहती हैं। इस जोड़े के संबंधों में तनाव 2021 से ही शुरू हो गया था।
आयशा ऑस्ट्रेलियाई नागरिक हैं। शिखर धवन से उनका एक आठ साल का बेटा है। वह भी अपनी माँ के साथ ऑस्ट्रेलिया में रह रहा है। विवाह के बाद शिखर आयशा के पूर्व पति की बेटियों की पढ़ाई का खर्चा भी उठा रहे थे। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में आयशा के लिए कुछ संपत्ति भी खरीदी थी। अदालत में शिखर धवन ने बताया है कि उनकी पत्नी विवाह के समय किए गए वादे के विपरीत भारत में उनके साथ नहीं रुकी और उनके बेटे को भी ऑस्ट्रेलिया ले गईं।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने कहा, “आयशा का दावा है कि वह भारत में रहना चाहती थीं। लेकिन अपनी बेटियों के प्रति दायित्व के कारण ऑस्ट्रेलिया में रहना उनकी मजबूरी थी। इसलिए वह भारत में नहीं रहीं। इससे जाहिर है कि वह शादी के समय किए गए अपने वादे से पीछे हट गईं। इसके कारण धवन को लंबी दूरी की शादी का सामना करना पड़ा और वर्षों तक अपने ही बेटे से अलग रहने की भारी पीड़ा झेलनी पड़ी।”
कोर्ट में शिखर ने यह भी बताया है कि आयशा ने विवाह के बाद ऑस्ट्रेलिया में उनके अपने पैसे से खरीदी तीन संपत्तियों में 99% हिस्सेदारी ले ली और अन्य दो संपत्तियों में खुद को हिस्सेदार बना लिया। शिखर धवन को परेशान और बदनाम करने के इरादे से आयशा उनके साथी खिलाड़ियों और आईपीएल में उनकी टीम के मालिकों को अपमानजनक मैसेज भेजती थीं। हालाँकि, आयशा का कहना था कि ऐसा उन्होंने समय से गुजारा भत्ता पाने के इरादे से किया था। कोर्ट ने इन्हीं सब बातों को आधार मानते हुए शिखर द्वारा तलाक की अर्जी को मंजूर कर लिया।
धवन और आयशा के बेटे की परमानेंट कस्टडी पर किसी तरह का आदेश पारित करने से अदालत ने इनकार किया है। धवन को भारत और ऑस्ट्रेलिया में उचित अवधि के लिए अपने बेटे से मिलने और उसके साथ वीडियो कॉल पर बातचीत करने का अधिकार दिया है।