Saturday, November 16, 2024
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ताहिर पर देशद्रोह का केस चलाने की दिल्ली सरकार ने अब तक नहीं दी है मंजूरी, कोर्ट ने माना- दंगा भड़काने के पर्याप्त सबूत हैं

कोर्ट को ये भी सूचित किया गया कि दिल्ली पुलिस अब तक ताहिर हुसैन के खिलाफ देशद्रोह का मामला चलाने के लिए सम्बंधित प्राधिकरण से मंजूरी नहीं ले सकी है। यही हाल दिल्ली दंगों के अन्य आरोपितों के मामले में भी है। बता दें कि देशद्रोह का मामला चलाने के लिए दिल्ली पुलिस को राज्य सरकार से मंजूरी लेनी पड़ती है।

नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में इस साल फरवरी में भड़के हिन्दू विरोधी दंगों के मुख्य आरोपित ताहिर हुसैन पर कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि ताहिर हुसैन के भड़काने पर ही संप्रदाय विशेष के लोग उग्र हुए और हिन्दू समुदाय के लोगों पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। कोर्ट ने शुक्रवार (अगस्त 21, 2020) को आईबी में कार्यरत रहे अंकित शर्मा की हत्या के मामले में दायर की गई चार्जशीट को संज्ञान में लेते हुए उक्त टिप्पणी की।

हालाँकि, कोर्ट को ये भी सूचित किया गया कि दिल्ली पुलिस अब तक ताहिर हुसैन के खिलाफ देशद्रोह का मामला चलाने के लिए सम्बंधित प्राधिकरण से मंजूरी नहीं ले सकी है। यही हाल दिल्ली दंगों के अन्य आरोपितों के मामले में भी है। बता दें कि देशद्रोह का मामला चलाने के लिए दिल्ली पुलिस को राज्य सरकार से मंजूरी लेनी पड़ती है। अभी तक आम आदमी पार्टी की सरकार ने इस मामले में मंजूरी नहीं दी है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की अक्सर उनकी मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति और संप्रदाय विशेष के आरोपितों के प्रति नरम रुख रखने के कारण आलोचना होती रही है। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पुरुषोत्तम पाठक ने कहा कि दिल्ली सरकार से मंजूरी लेने के लिए कोई निश्चित समयावधि का प्रावधान नहीं है। हालाँकि, वो ये कहने से भी नहीं चूके कि इस मामले की सुनवाई में होने वाली किसी भी प्रकार की देरी उस उद्देश्य को ही गैर-ज़रूरी रूप से ख़त्म कर देगी, जिसके लिए स्पेशल कोर्ट का गठन हुआ।

बता दें कि दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट का गठन किया गया था। स्पेशल कोर्ट को दिल्ली दंगों से जुड़े सभी मामलों को संज्ञान में लेने की अनुमति दी गई है। कोर्ट ने कहा कि आरोपित के खिलाफ पर्याप्त सबूत और साक्ष्य हैं, जिससे आरोपितों के खिलाफ ट्रायल (देशद्रोह का) चलाने के लिए अनुमति ली जा सके। जाँच अधिकारी ने कोर्ट को बताया है कि 22 जून को ही इस मामले में अनुमति के लिए पत्र भेज दिया गया है।

कोर्ट ने कहा कि मंजूरी मिलने में कितना समय लगेगा, इस सम्बन्ध में कुछ भी स्पष्ट नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इन दंगों की तैयारी योजनाबद्ध तरीके से की गई और फिर एक बड़ी साजिश के तहत अंजाम दिया गया। साथ ही ताहिर हुसैन को दंगाई भीड़ का नेता भी करार दिया, जिसके इशारों पर भीड़ ने दंगे किए। कोर्ट ने कहा कि ताहिर हुसैन के भड़काने पर ही संप्रदाय विशेष के लोगों ने हिन्दुओं के घरों में आगजनी की और उनके प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया।

24-25 फ़रवरी को चाँद बाग़ पुलिया के नजदीक स्थित मस्जिद के पास से ताहिर हुसैन दंगाई भीड़ का नेतृत्व कर रहा था और अपने छत पर भी दंगाइयों को सामग्रियाँ उपलब्ध कराई, जिससे दूसरे समुदाय की संपत्ति और जान-माल को खासा नुकसान पहुँचा। इस दौरान हसी, नाजिम, कासिफ, समीर, अनस, फिरोज, जाएद, गुलफाम और शोएब जैसे दंगाई उसके साथ शामिल थे। साथ ही भीड़ ने खतरनाक हथियारों से अंकित शर्मा की हत्या कर सबूत मिटाने के उद्देश्य से उनकी लाश को फेंक दिया।

50 पेज की चार्जशीट में ताहिर हुसैन को मुख्य आरोपित बनाया गया है। बताया गया है कि ताहिर हुसैन के भड़काने पर उनकी पीट-पीट कर हत्या की गई थी। उस पर दंगा, अपराध के समय भड़काते हुए उपस्थित रहने, आगजनी की सामग्रियाँ इस्तेमाल करने, सबूत मिटाने और आपराधिक षड्यंत्र सहित कई मामले दर्ज किए हैं। कहा गया कि ताहिर हुसैन ने वहाँ के निवासियों के मन में डर का माहौल बनाया।

इसी साल फ़रवरी में खबर आई थी कि जेएनयू में 2016 में देश विरोधी नारे लगाने के मामले में तत्कालीन छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उनके साथियों के खिलाफ देशद्रोह का मामला चलाने की अनुमति दिल्ली सरकार नहीं दे रही है। इस संबंध में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने केजरीवाल सरकार के गृह मंत्रालय को पत्र लिखा था। पत्र दिल्ली की एक अदालत द्वारा इस संबंध में राज्य सरकार को रिमाइंडर भेजने का निर्देश दिए जाने के बाद लिखी गई थी। हालॉंकि बाद में दिल्ली सरकार ने इजाजत दे दी थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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