Saturday, July 27, 2024
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सलमान खुर्शीद की किताब पर रोक लगाने से हाई कोर्ट का इनकार, हिंदुत्व की तुलना ISIS और बोको हरम से करने पर बढ़ा विवाद

इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए एडिशनल जज प्रीती परेवा ने किताब पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, "प्रथम दृष्टया अदालत की राय में ऐसा कोई मामला नहीं बनता है कि इस पर एकतरफा आदेश दिया जाय। इसलिए इस मामले को खारिज किया जाता है।"

कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने एक किताब लिखी, जिसका नाम ‘सनराइज ओवर अयोध्या: नेशनहुड इन आवर टाइम्स’ है। किताब प्रकाशित हो चुकी है। इस किताब में खुर्शीद की हिंदुओं के प्रति नफरत साफ देखने को मिली है। किताब के जरिए उन्होंने हिंदुत्व की तुलना खतरनाक इस्लामिक आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट और बोको हरम से की। इसी मुद्दे पर खुर्शीद के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर पुस्तक पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाते हुए उस पर रोक लगाने की माँग की गई, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

कोर्ट ने इस मामले में बुधवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए एकतरफा फैसला देने से इनकार कर दिया। सलमान खुर्शीद द्वारा लिखी गई विवादित पुस्तक के खिलाफ हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर हिंदू भावनाओं को आहत करने के मामले में ‘सनराइज ओवर अयोध्या’ नामक किताब के प्रकाशन, प्रसार और बिक्री को रोकने की माँग की थी।

इसके अलावा उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल और सीएम अरविंद केजरीवाल को भी पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कॉन्ग्रेस नेता पर हिंदू धर्म को बदनाम करने का आरोप लगाया है। याचिका में ये भी बताया गया है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले इस तरह की किताब के जरिए मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश की जा रही है।

कोर्ट ने क्या कहा?

इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए एडिशनल जज प्रीती परेवा ने किताब पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “प्रथम दृष्टया अदालत की राय में ऐसा कोई मामला नहीं बनता है कि इस पर एकतरफा आदेश दिया जाय। इसलिए इस मामले को खारिज किया जाता है।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि लेखक को किताब लिखने और उसे प्रकाशित करने का अधिकार है। न्यायाधीश ने कहा, “इसके अलावा, वादी यह स्थापित करने में विफल रहा है कि सुविधा का संतुलन उसके पक्ष में है। इसलिए, इस स्तर पर अंतरिम एकतरफा राहत के लिए निवेदन को अस्वीकार कर दिया गया है।”

कोर्ट ने कहा कि लेखक और प्रकाशक को किताब लिखने और प्रकाशित करने का अधिकार है। जस्टिस परेवा ने आगे कहा, “वादी यह साबित करने में असफल रहा है कि उसे किताब या उसके कथित विवादित हिस्से से उसे असुविधा हो रही है। दूसरी ओर रोक लगाए जाने से प्रकाशकों को कठिनाई के साथ ही लेखक के भाषण और अभिव्यक्ति के अधिकार का हनन होगा।”

गौरतलब है कि सलमान खुर्शीद ने अपनी नई किताब में हिंदुत्व की तुलना आतंकी संगठन आईएसआईएस से की थी। वहीं हमेशा की तरह इस बार भी कॉन्ग्रेस पार्टी ने उनके बयान से किनारा करते हुए इसे उनका निजी विचार करार दिया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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