Wednesday, November 13, 2024
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‘मंत्री सौरभ भारद्वाज के इशारे पर ऑफिस तोड़ा, संवेदनशील रिकॉर्ड की फोटोकॉपी हुई’: CM केजरीवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार की जाँच कर रहे सतर्कता अधिकारी का दावा

राजशेखर कई अन्य मामलों की जाँच कर रहे थे, जिनमें आबकारी विभाग की चार्जशीट और पीओसी (भ्रष्टाचार निवारण) अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत उनकी मंजूरी, एक अलग खुफिया इकाई की स्थापना से संबंधित एफबीयू मामला, राजनीतिक विज्ञापनों पर अधिक खर्च एवं भ्रष्टाचार के आरोप शामिल हैं।

सतर्कता (Vigilance) के विशेष सचिव वाईवीवीजे राजशेखर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, दिल्ली के भ्रष्टाचार निरोधक शाखा और उपराज्यपाल कार्यालय को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने अपने कार्यालय में रात में तोड़ने, आबकारी नीति की जाँच, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के नवीनीकरण और संवेदनशील फाइलों की फोटोकॉपी किए जाने की शिकायत की है।

दरअसल, अरविंद केजरीवाल के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पिछले सप्ताह राजशेखर को हटा दिया था। इसके बाद 15-16 मई की रात 3 बजे दिल्ली सचिवालय में विशेष सचिव (सतर्कता) के कमरा नंबर 403 को तोड़ दिया गया था। पत्र में यह भी आशंका व्यक्त की गई है कि उनके कार्यालय की जासूसी की गई हो सकती है।

अपने पत्र में राजशेखर ने कहा कि दिल्ली सरकार के मंत्री (सतर्कता) सौरभ भारद्वाज ने सहायक निदेशकों को भ्रष्टाचार के मामलों से संबंधित फाइलों को सतर्कता अधिकारी को जमा नहीं करने का निर्देश दिया था। यह पत्र उनके पुरानी रिपोर्ट का अगला हिस्सा है।

पत्र में कहा गया है, “माननीय मंत्री के ये निर्देश जब दिनांक 15.05.2023 को पूर्वाह्न 11.30 बजे प्राप्त हुए, उस समय अधोहस्ताक्षरी के गोपनीय खंड में लगभग 76 फाइलें थीं। इन फाइलों को माननीय मंत्री (सतर्कता) के निर्देशानुसार जाँच किए बिना केवल रिकॉर्ड करने के लिए सचिव (सतर्कता) को भेज दिया गया था। ये ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि माननीय मंत्री ने अधोहस्ताक्षरी को फाइलों की जाँच नहीं करने का निर्देश दिया।”

राजशेखर का कहना है कि ‘principle of arms length’ के तहत किसी भी परिस्थिति में मंत्री को फाइलें स्थानांतरित करने का मानदंड नहीं है। इसका अनिवार्य रूप से मतलब है कि मंत्री को सतर्कता अधिकारी की जाँच से दूरी बनाए रखनी चाहिए, ताकि निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके। हालाँकि, अपने-अपने काम को पूरा करने के सिद्धांत का उल्लंघन किया गया।

सतर्कता अधिकारी का कहना है कि सहायक निदेशक (सतर्कता) बुनियाद सिंह ने 15 मई की रात 9:14 बजे उन्हें फोन किया और कहा कि अधिकारियों को कुछ रिकॉर्ड निकालने के लिए सतर्कता अधिकारी के कमरे को खोलने का निर्देश दिया गया है। राजशेखर का कहना है कि उन्होंने फोन पर ही सौरभ भारद्वाज द्वारा दिए गए इन निर्देशों का और फाइलों को ले जाने का कड़ा विरोध किया।

पत्र में कहा गया है, “हालाँकि, प्रारंभिक जाँच से समझा जा सकता है कि श्री मनीष (मल्टी टास्क स्टाफ) ने अधोहस्ताक्षरी का कमरा खोला है और कथित तौर पर 15 मई 2023 की रात से 16 मई 2023 की सुबह 3:00 बजे तक के सभी रिकॉर्ड की फोटोकॉपी की है। अधोहस्ताक्षरी निश्चित नहीं है कि क्या कोई रिकॉर्ड/फाइल ले ली गई थी या अन्यथा उसके साथ छेड़छाड़ की गई थी या फोटोकॉपी की गई थी। वर्तमान परिदृश्य में यह एक गंभीर चूक है।”

राजशेखर का कहना है कि ऑफिस में निम्नलिखित फाइलें थीं:

(1) आबकारी मामलों और नीति में पीओसी अधिनियम 1998 की धारा 17 ए के तहत मंजूरी देने के लिए सीबीआई की प्रस्ताव फाइल।

(2) 6 फ्लैग स्टाफ, सिविल लाइंस की निविदा फाइलें और नियम एवं शर्तें।

(3) 6 फ्लैग स्टाफ, सिविल लाइंस की अनुवर्ती परिवर्तन और अतिरिक्त फाइलें।

(4) ठेकेदारों द्वारा 6 फ्लैग स्टाफ से संबंधित जमा किए गए चालानों के संबंध में पीडब्ल्यूडी द्वारा किए गए भुगतानों के संबंधित पुस्तिकाएँ।

(5) 6 फ्लैग स्टाफ, सिविल लाइंस की निविदा आमंत्रित करने की सूचना संबंधी फाइलें।

(6) 6 फ्लैग स्टाफ, सिविल लाइंस की डेविएशन फाइलें।

(7) 6 फ्लैगस्टाफ, सिविल लाइंस के बेहतर विनिर्देशों के लिए संशोधित अतिरिक्त मद।

(8) 6 फ्लैग स्टाफ, सिविल लाइंस के निर्माण का पर्यवेक्षण करने वाले व्यक्तियों की तस्वीरें।

(9) “Talk to A.K. File” (DIP)

(10) सामान्य कारण से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के फैसले और बिलों के अवैध भुगतान के संबंध में डीआईपी मामले।

(11) विभागों से संबंधित कुछ फाइलें, जहाँ मामला मौजूदा प्रावधानों/नियमों के तहत केंद्रीय जाँच एजेंसियों को भेजा गया था।

(12) आबकारी नीति के संदर्भ में आबकारी विभाग के अधिकारियों के अभियोजन स्वीकृति आदि से संबंधित अन्य विभिन्न फाइलें/दस्तावेज।

पत्र में आगे कहा गया है, “अधोहस्ताक्षरी आशंकित है कि रिकॉर्ड नष्ट कर दिए जाएँगे या समय के साथ आगे नष्ट हो सकते हैं।” राजशेखर ने कहा कि उन्होंने सभी सतर्कता निदेशकों को इस तरह के निर्देशों का पालन नहीं करने का निर्देश दिया था, क्योंकि उन्हें मंत्री से मौखिक आदेश नहीं लेना चाहिए जब तक कि वे आपातकाल की स्थिति में न हों।

पत्र में कानून का हवाला देते हुए सतर्कता अधिकारी का कहना है कि जब तक लिखित में निर्देश नहीं दिए जाते, तब तक सतर्कता विभाग के अधिकारियों को जाँच की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए मंत्री को कोई फाइल/दस्तावेज उपलब्ध नहीं करानी चाहिए।

पत्र में आगे लिखा गया है, “मुझे गंभीर आशंका है कि हमारे कमरों में सेंध लगी हो सकती है और गोपनीयता भंग होने, अभिलेखों में छेड़छाड़, रिकॉर्ड में हेरफेर आदि की पूरी आशंका है। मैं वरिष्ठ अधिकारियों से जल्द से जल्द उचित कार्रवाई करने का अनुरोध करता हूँ। इस दौरान अधोहस्ताक्षरी ने दिल्ली सचिवालय के सहायक निदेशक (केयर टेकिंग) और दिल्ली पुलिस प्रभारी निरीक्षक को कड़ी हिदायत दी थी कि अधोहस्ताक्षरी की अनुमति के बिना उसके कमरे और गोपनीय अनुभाग, जहाँ सिस्टम मौजूद हैं, में किसी को छुने या प्रवेश करने नहीं दिया जाए।”

दिल्ली सरकार का कहना है कि संबंधित अधिकारी को उसके कर्तव्यों से वंचित कर दिया गया था, क्योंकि उसके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप थे। सरकार ने कुछ फाइलों को अपने पास रखने में राजशेखर की ‘रुचि’ पर सवाल उठाया। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने यह भी कहा कि इसके बावजूद ब्रेक-इन के आरोपों की गहन जाँच की जाएगी।

दिल्ली सरकार ने अपने बयान में कहा, “उनके खिलाफ कई शिकायतें मिली हैं कि वह प्रोटेक्शन मनी की माँग करते हैं। आधिकारिक तौर पर 13 मई को उनसे काम छीन लिया गया…। अगर उनसे आधिकारिक तौर पर काम वापस ले लिया गया है… तो फिर भी उनके पास सभी फाइलें कैसे हैं? जब उसका काम अन्य अधिकारियों को सौंपा जाता है तो कार्यालय प्रक्रिया की माँग होती है कि उसे आधिकारिक रूप से सभी फाइलों को नए अधिकारियों को सौंप देना चाहिए।”

दिल्ली सरकार ने आगे कहा, “उन्हें हटाए जाने के बावजूद कुछ फाइलों को रखने में उनकी क्या दिलचस्पी है? उनके इस आरोप के बारे में कि किसी ने रात में उनके कार्यालय में घुसने की कोशिश की, सरकार इसकी पूरी जाँच करवाएगी कि यह सच है या नहीं। अगर यह सच है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने अधिकारी से उनके सभी कर्तव्यों को ‘वापस’ ले लिया था

आप मंत्री सौरभ भारद्वाज ने विशेष सचिव सतर्कता वाईवीवीजे राजशेखर को हटा दिया था। उन्होंने शराब घोटाले और भ्रष्टाचार के मामले की जाँच की थी, जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी निजी हवेली बनाने के लिए करदाताओं का करोड़ों का पैसा खर्च किया था। भारद्वाज ने दावा किया था कि अधिकारी पर भ्रष्टाचार और जबरन वसूली के आरोप थे।

13 मई के एक नोट में, भारद्वाज ने कहा, “ऐसी शिकायतें हैं कि वाईवीवीजे राजशेखर जबरन वसूली का रैकेट चला रहे हैं और सुरक्षा के लिए पैसे की माँग कर रहे हैं। यह आरोप काफी गंभीर है, जिसकी जाँच किए जाने की जरूरत है… वाईवीवीजे राजशेखर को सौंपे गए सभी काम एतदद्वारा वापस लिए जाते हैं।”

भारद्वाज ने सतर्कता विभाग को यह कहते हुए अतिरिक्त निदेशकों (एडी) के बीच राजशेखर द्वारा जाँच किए जा रहे मामलों और कार्यों को वितरित करने का निर्देश दिया है कि एडी सीधे सचिव (सतर्कता) को रिपोर्ट करेंगे। आदेश में आगे कहा गया है: “एडी को सीधे सचिव (सतर्कता) के सामने फाइलें रखनी चाहिए।”

वहीं, राजशेखर के करीबी अधिकारियों का कहना है कि उनके खिलाफ दर्ज मामलों में जाँच एजेंसियों ने उन्हें बरी कर दिया था। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी ने दावा किया, “उसे निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि वह पिछले एक दशक से विभिन्न सरकारी संगठनों में प्रवर्तन और सतर्कता विभागों में तैनात हैं और उन्होंने कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है।” जब राजशेखर को उनके कर्तव्यों से वंचित किया गया था तो उन्होंने कहा था कि AAP सरकार द्वारा उठाया गया कदम अवैध है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपने जवाब में राजशेखर ने कहा कि उन्हें विभाग से ‘अवैध रूप से स्थानांतरित’ करना ‘शीर्ष अदालत के निर्देशों को पलटने के अलावा कुछ नहीं है, क्योंकि अधिकारियों को केवल सिविल सेवा बोर्ड के विचार-विमर्श के माध्यम से स्थानांतरित किया जा सकता है’।

गृहमंत्रालय और एलजी को भेजे गए पत्र में कहा गया है, “अधोहस्ताक्षरी (राजशेखर) को कर्तव्यों का पालन करने से रोका जा रहा है और मुझे आबकारी मामले, 6 फ्लैग स्टाफ रोड, सिविल लाइंस, डीआईपी (सूचना और प्रचार विभाग) जैसे संवेदनशील मामलों से संबंधित रिकॉर्ड के गंभीर खतरे और हेरफेर की आशंका है … अनुरोध है कि मंत्री (सतर्कता) द्वारा जारी आदेश पर रोक लगाने के लिए इस मामले को उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाया जाए।” बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री आवास के जीर्णोद्धार की रिपोर्ट तैयार कर ली गई है और कथित रूप से एलजी को भेजी जाने वाली है।

AAP सरकार के खिलाफ राजशेखर द्वारा जाँच किए जाने वाले मामले

राजशेखर कई अन्य मामलों की जाँच कर रहे थे, जिनमें आबकारी विभाग की चार्जशीट और पीओसी (भ्रष्टाचार निवारण) अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत उनकी मंजूरी, एक अलग खुफिया इकाई की स्थापना से संबंधित एफबीयू मामला, राजनीतिक विज्ञापनों पर अधिक खर्च एवं भ्रष्टाचार के आरोप शामिल हैं।

दिल्ली की AAP सरकार द्वारा मोहल्ला क्लीनिकों के लिए किराए के स्थानों में AAP कार्यकर्ताओं का फेवर, शराब घोटाला और अरविंद केजरीवाल द्वारा करदाताओं के पैसे से अपनी महलनुमा हवेली के निर्माण आदि मामले भी इसमें शामिल हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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