Friday, April 19, 2024
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DU में क्लास करने वाले छात्रों को बनाया जा रहा निशाना, विरोध करने पर दी जा रही धमकी और प्रताड़ना

“अभी भी हमारे तथाकथित बुद्धिजीवी इन महिलाओं, इन परिवारों की दुर्दशा को अनदेखा करके मानवता, धर्मनिरपेक्षता, संविधान और न जाने किस-किस नाम पर लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं। उनके खिलाफ हो रहे अत्याचार से उन्हें कोई मतलब नहीं है। इसका उनके जीवन पर कोई फर्क नहीं पड़ता।"

दिल्ली हिंसा के बाद अब तरह-तरह से अफवाहें भी फैलाईं जा रही है। दिल्ली पुलिस ऐसे लोगों पर नजर बनाए हुए जो सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाहें फैला रहे हैं। इसी बीच दिल्ली यूनिवर्सिटी में कुछ छात्र जबरन कक्षाओं को बंद करा कर पठन-पाठन का कार्य बाधित करने में लगे हुए हैं। एमए अंग्रेजी विभाग में तरह-तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं, ताकि छात्रों को क्लास से दूर रखा जाए। इस विभाग के छात्र व्हाट्सप्प ग्रुप से तरह-तरह की अफवाहें फैला रहे हैं और क्लास का बहिष्कार करने के लिए कह रहे हैं।

क्लास का बहिष्कार करने के लिए पोस्टर तक तैयार किया गया और राजनीति से दूर रह कर पढ़ाई करने वाले छात्रों से कहा गया कि वो भी उनका साथ दें। जिन छात्रों ने इसका विरोध किया, उन्हें असंवेदनशील बताया गया, उनका मजाक बनाया गया। इसके साथ ही अब वो लोग क्लास करने वालों छात्र-छात्राओं को निशाना भी बना रहे हैं।

इस बारे में अपनी बात करते हुए डीयू की एक छात्रा ने ऑपइंडिया के साथ अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय एक ईको चैंबर बन गया है। जहाँ सिर्फ वामपंथी विचारधारा के अनुरूप ही बात कर सकते हैं। आप सभी को वहाँ वामपंथी विचारधारा का प्रचार करना होगा।

वो आगे कहती हैं, “यहाँ का नैरेटिव है कि वामपंथी जिस विचारधारा को मानते हैं, उसी के बारे में बात किया जाएगा और यदि कोई छात्र इस विचारधारा से इतर अपनी राय के साथ खड़े होने का साहस करते हैं, यदि आप सच बोलने का साहस करते हैं तो आपको टारगेट किया जाएगा। आपको सार्वजनिक रूप से अपमानित किया जाएगा। वे आपके ऊपर कई तरह के आरोप लगाएँगे और आपको डराने के लिए झूठ को बढ़ा-चढ़ाकर बताने लगेंगे। इसके बाद पूरा वामपंथी गिरोह आपके बारे में झूठी बातें फैलाना शुरू कर देते हैं, क्योंकि वो जानते हैं कि जब किसी के बारे में इस तरह की झूठी बातें फैलाई जाती है तो यह मानसिक रूप से कितना दर्दनाक होता है।”

पीड़ित छात्रा के अनुसार विश्वविद्यालय एक ऐसा स्थान बन गया है जहाँ सच, घुटन और जकड़न महसूस करता है। हालिया दंगे की वास्तविकता वह नहीं है जो मेनस्ट्रीम मीडिया हाउस दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। जैसा कि हम सभी ने देखा कि किस तरह से CAA के पास होने और लागू बनने के साथ ही इसके खिलाफ एक्टर्स, मीडिया और नफरत फैलाने वालों ने अफवाह फैलाने शुरू कर दिए। क्योंकि यह कानून उन महिलाओं को आश्रय प्रदान करता है जो अपने जीवन और सम्मान के लिए एक सुरक्षित जगह पाने के लिए आशांवित हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उन देशों में इन महिलाओं का बलात्कार किया जाता था, उनके शरीर का इस्तेमाल जिहाद के लिए किया जाता था। अभी भी पड़ोसी इस्लामिक देशों में गैर-मुस्लिम महिलाओं के साथ इस तरह की घटनाएँ हो रही हैं। उनके साथ ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि वे मुस्लिम नहीं हैं।

वहाँ पर महिलाओं का अपहरण, बलात्कार और जबरदस्ती धर्मपरिवर्तन कराया जाता है और उनसे काफी बड़ी उम्र के पुरुषों से शादी कर दी जाती है। इन अत्याचारों से बचाने के लिए वहाँ के गैर मुस्लिम परिवार जो यहाँ पहले उनके लिए ये कानून लाया गया है।

वो कहती हैं, “अभी भी हमारे तथाकथित बुद्धिजीवी इन महिलाओं, इन परिवारों की दुर्दशा को अनदेखा करके मानवता, धर्मनिरपेक्षता, संविधान और न जाने किस-किस नाम पर लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं। उनके खिलाफ हो रहे अत्याचार से उन्हें कोई मतलब नहीं है। इसका उनके जीवन पर कोई फर्क नहीं पड़ता। ये लोग सीएए के खिलाफ विरोध कर रहे हैं, यह सब करके वो विश्वविद्यालय में अराजकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। मुझे व्यक्तिगत रूप से बार-बार इस तरह के विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए दबाव डाला जा रहा था। मेरे विभाग ने सभी छात्रों से बात किए बिना ही इस तरह के विरोध में एक बयान जारी कर दिया।”

उन्होंने कहा कि यहाँ जो कुछ कहा जा रहा है वह सर्वसम्मत नहीं है लेकिन जो लेफ्ट कह रहे  हैं, वह सही है। यदि आप उनके खिलाफ जाते हैं, तो वो अलग-थलग कर देंगे और धमकियाँ देंगे। वे आपके अस्तित्व पर सवाल उठाएँगे। अब, दिल्ली के दंगों में, जहाँ हमने देखा है कि हिन्दुओं का कितनी बेरहमी से नरसंहार किया जा रहा है और हम जानते हैं कि यह एक सुनियोजित हमला था क्योंकि हम देख रहे हैं कि कैसे इन आंदोलनों में लोगों को मुस्लिम के रूप में एकजुट होने और सड़कों पर आने के लिए कहा गया था। फिर भी वामपंथी इन दंगों को मुस्लिम विरोधी के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए बीजेपी और आरएसएस को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। यह एक सच्चाई है लेकिन वे किसी को सच बोलने नहीं देते।

हिंदू कॉलेज के अंग्रेजी विभाग ने एक बयान जारी किया जिसमें एकतरफा प्रोपेगेंडा को हवा देते हुए दंगों को समुदाय विशेष पर प्रायोजित हमला बताया गया है। कुछ छात्रों ने हिंदू कॉलेज के नाम पर इसी मुद्दे पर विरोध किया। हमारे आस-पास जो हो रहा है, उसे देखना मुश्किल और दिल दहला देने वाला हो गया है। सत्य को दबाया जा रहा है। बोलने की हिम्मत करने वालों को निशाना बनाया जाता है और परेशान किया जाता है।

वहीं एक अन्य पीड़ित छात्रा ने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि यहाँ पर वामपंथी विचारधारा का विरोध करने वाले छात्रों को धमकाया जा रहा है और उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, “मैं खुद सिर्फ इसलिए इनकी गुंडई का शिकार हुई क्योंकि मेरे विचार उनके विचार से मेल नहीं खाते थे। मेरे कुछ सहपाठियों ने कक्षाओं का बहिष्कार करने का फैसला किया और 27 फरवरी, 2020 को विरोध प्रदर्शन का फैसला किया। मैंने सद्भाव लाने के लिए कक्षाओं के बहिष्कार के विचार से असहमति जताई और आवाज उठाई, तो कुछ छात्रों ने मुझे केवल एक अलग राय रखने के लिए उकसाना शुरू कर दिया।”

वो आगे कहती हैं, “मुझे बिना किसी मतलब के इस तरह की आलोचना का सामना करने से डर लगने लगा वो भी अपने सहपाठियों द्वारा, जहाँ पर कभी हमलोग कक्षा की अपडेट के बारे में बात किया करते थे। मुझे परेशान किया गया। मुझे मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित किया गया। मैं अच्छी तरह से सो नहीं सकी। मैं बहुत अकेला महसूस करती थी और कोई भी मेरे लिए बोलने वाला नहीं था। मैं काफी घबरा गई, काफी विचलित हो गई। मुझे रोने जैसा महसूस हुआ। सड़कों पर चलते हुए मुझे डर लगता था। मुझे खुद को शांत करने में कुछ दिन लगे।”

अपना दर्दनाक अनुभव साझा करते हुए वो कहती हैं, “दोस्तों और परिवार के साथ बात करने से थोड़ी मदद मिली क्योंकि यह एक बहुत ही परेशान करने वाला अनुभव था। जब मैंने क्लास का अपडेट भेजा, तब भी मुझे निशाना बनाया गया और धमकाया गया। मुझे ऐसा लगा कि बोलने की आजादी नहीं है। कई अन्य लोग हैं जो महसूस करते हैं कि ये विचारधाराएँ उन पर थोपी गई हैं और उनके लिए बोलने के लिए कोई जगह नहीं बची है। वे सामाजिक और बौद्धिक रूप से बहिष्कृत होने का और हमला होने का डर महसूस करते हैं। अब भी जब मैं यह बयान दे रही हूँ तो मैं बेचैन महसूस कर रही हूँ। आज यह मैं थी, कल यह आप या कोई भी हो सकता है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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