Monday, October 14, 2024
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पाक फैला रहा आतंक, 1 इंच भी जमीन नहीं देंगे: 15 विदेशी राजनयिकों से बोले कश्मीरी

अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के बाद पहली बार विदेशी राजनयिक केंद्र शासित प्रदेश के दौरे पर हैं। इससे पहले यूरोपीय संसद के सांसदों के एक समूह ने जमीनी हकीकत जानने के लिए जम्मू-कश्मीर का दौरा किया था।

विभिन्न देशों का 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मौजूदा स्थिति का जायजा लेने के लिए गुरुवार को दो दिवसीय दौरे पर जम्मू-कश्मीर पहुँचा। अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद विदेशी राजनयिकों की यह पहली यात्रा है। इस समूह के साथ विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और सुरक्षा अधिकारी भी हैं। इससे पहले यूरोपीय संसद के सांसदों के एक समूह ने जमीनी हकीकत जानने के लिए जम्मू-कश्मीर का दौरा किया था।

कश्मीर घाटी का जायजा लेने के बाद विदेशी प्रतिनिधियों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोगों ने पाकिस्तान के उन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है, जिनमें पड़ोसी मुल्क द्वारा कहा जा रहा था कि घाटी में रक्तपात हो रहा है। इसके अलावा प्रतिनिधियों ने बताया कि कश्मीर के लोग पाकिस्तान के झूठ को पूरी तरह से खारिज करते हैं और वहाँ के लोगों का कहना है कि वो पाकिस्तान को एक इंच भी जमीन नहीं देंगे। साथ ही लोगों ने जम्मू-कश्मीर में हत्याओं के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया और दूतों को पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए कहा।

गुरुवार की यात्रा के दौरान राजनयिकों ने पंचायत सदस्यों और स्थानीय निकायों और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की। प्रतिनिधिमंडल को चिनार कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने सुरक्षा स्थिति पर भी जानकारी दी। प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद स्थानीय लोगों को कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। साथ ही उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि क्षेत्र में शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक था।

दो दिवसीय यात्रा के पहले दिन के दौरान प्रतिनिधिमंडल श्रीनगर में सामान्य स्थिति के गवाह भी बने। उन्होंने कहा कि श्रीनगर की सड़कों पर आम दिन की तरह ही दुकानें खुलीं और सब कुछ बिलकुल सामान्य रहा। प्रतिनिधिमंडल ने जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेताओं से भी मुलाकात की। इनमें गुलाम हसन मीर, अल्ताफ बुखारी, शोएब इकबाल लोन, हिलाल अहमद शाह, नूर मोहम्मद शेख, अब्दुल मजीद पद्दर, अब्दुल रहीम राथर और रफी अहमद मीर शामिल थे।

प्रतिनिधिमंडल की यात्रा पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि उनकी पहली बैठक वहाँ के सुरक्षा जवानों के साथ थी, ताकि उन्हें जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के हालातों की जानकारी मिल सके। उन्होंने कहा कि यात्रा का उद्देश्य राजनयिकों को यह दिखाना है कि सरकार ने जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य करने के लिए क्या-क्या प्रयास किए हैं। रवीश कुमार ने बताया कि अमेरिका, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, बांग्लादेश, मालदीव, मोरक्को, फिजी, नॉर्वे, फिलीपींस, अर्जेंटीना, पेरू, नाइजर, टोगो और गुयाना के दूत इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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