वाराणसी में स्थित ‘बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU)’ के छात्र एक बार फिर से धरने पर है। छात्रों के विरोध प्रदर्शन का कारण है प्रोफेसर शोभना नार्लीकर, जो बात-बात में SC/ST एक्ट लगाने की धमकी देती रहती है। उनके कई वीडियोज भी वायरल हुए हैं। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि स्थानीय पत्रकारों से लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया तक उनके मुद्दे को नहीं उठा रहे। हालाँकि, विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
प्रोफेसर शोभना नार्लीकर को BHU के पत्रकारिता विभाग का अध्यक्ष (HOD) बनाया गया है। कुछ छात्र ‘प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया’ में इंटर्नशिप के लिए चयनित हो गए थे। जब वो प्रोफेसर शोभना नार्लीकर के पास हस्ताक्षर के लिए गए, तो उन्होंने बिना कारण मना कर दिया। छात्रों का कहना है कि जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उनके साथ न सिर्फ गाली-गलौच की गई, बल्कि उन पर झूठा मुकदमा भी दायर कर दिया गया।
इसके बाद BHU पत्रकारिता विभाग के दर्जनों छात्र विश्वनाथ मंदिर की तरफ जाने वाली सड़क को अवरुद्ध कर के डिपार्टमेंट के सामने ही धरने पर बैठ गए। लगभग 15 दिनों तक चले इस धरने के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने जाँच का आश्वासन दिया, तब जाकर धरना रुका। लेकिन, छात्रों का यह विरोध प्रदर्शन जल्द फिर से शुरू हो सकता है। छात्रों की माँग थी कि न सिर्फ एक समिति बना कर शोभा नार्लीकर पर लगे आरोपों की जाँच हो, बल्कि तब तक उन्हें पदमुक्त कर के भी रखा जाए।
एक वीडियो में तो ये जूता दिखाते हुए भी दिख रही हैं। छात्रों का कहना है कि जब वो इंटर्नशिप या किसी अन्य दस्तावेज पर हस्ताक्षर कराने जाते हैं तो उनके साथ गाली-गलौच की जाती है। pic.twitter.com/45ZxS35CUc
— Anupam K. Singh (@anupamnawada) June 8, 2023
ऑपइंडिया से बात करते हुए प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा कि उनके खिलाफ अमानवीय हरकतें कर उलटा साजिश रचे जाने की करतूतों को अब वो बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस दरम्यान धरने पर बैठे छात्रो से चीफ प्रॉक्टर समेत विश्वविद्यालय के आला अधिकारियों ने कई राउंड बातचीत कर मामले को सुलझाने का प्रयास किया, लेकिन छात्रों का गुस्सा कम नहीं हुआ। बता दें कि BHU के कला संकाय के अंतर्गत आने वाले पत्रकारिता के छात्र अब भी आक्रोशित हैं।
हमने इन छात्रों से पूछा कि आखिर उनके प्रदर्शन का कारण क्या है? इस पर उन्होंने बताया कि छात्रों, प्राध्यापकों और कर्मचारियों के साथ विभागाध्यक्ष का रवैया अच्छा नहीं है। छात्रों ने बताया कि पूर्व में कई प्राध्यापकों पर प्रोफेसर शोभना नार्लीकर द्वारा SC/ST एक्ट के तहत मुकदमा दायर किया जा चुका है, लेकिन इनमें से अधिकतर निर्दोष साबित हो चुके हैं। स्कॉलरशिप, इंटर्नशिप या खेल के अलावा हॉस्टल वगैरह से जुड़े दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराने आए छात्रों से वो दुर्व्यवहार करती हैं।
छात्रों का कहना है कि उन्हें मना कर के वापस भेज दिया जाता है, जिससे उनके करियर पर भी प्रश्नचिह्न लग जाता है। एक छात्र ने बताया कि जब वो विभाग में अव्यवस्था को लेकर शिकायत लेकर गया तो प्रोफेसर शोभना नार्लीकर ने उसका करियर खा जाने की धमकी दी। परीक्षा की कॉपियाँ अपने अंतर्गत लेकर छात्रों के प्राप्तांकों से मनमाने छेड़छाड़ का भी आरोप है। एक छात्रा ने बताया कि उसे अपशब्द कह कर प्रोफेसर शोभना नार्लीकर ने अपने दफ्तर से भगा दिया।
सिर्फ छात्र ही नहीं, बल्कि कुछ प्रोफेसर भी उनके खिलाफ हैं। पठन-पाठन के कार्य में इस प्रकरण के कारण बाधा आने की बात कही जा रही है। आरोप है कि वो हर बात पर अपने पद व अपनी कुर्सी की धमक दिखाती है। छात्रों का कहना है कि उनकी माँगों पर अमल नहीं किया गया तो वो भविष्य में आमरण अनशन भी करेंगे। खास बात ये है कि पूर्व में कई प्रोफेसरों ने भी उनके खिलाफ सड़क पर विरोध प्रदर्शन का रुख अख्तियार किया था।
उसी विभाग में एक प्रोफेसर पंकज कुमार हैं, जिन पर SC/ST एक्ट के तहत शोभना नार्लीकर ने मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद 65 शिक्षकों का एक समूह कुलपति के समक्ष शिकायत लेकर पहुँचा था। तब भी कुलपति ने दोनों तरफ के आरोपों की न्यायिक जाँच का भरोसा दिया था। रिटायर्ड जस्टिस कलीमुल्लाह के नेतृत्व में एक समिति बनी भी थी। ऑपइंडिया के पास वो FIR कॉपी भी मौजूद है, जिसमें प्रोफेसर पंकज पर शोभना नार्लीकर ने मामला दर्ज कराया है।
इसी तरह एक हैं प्रोफेसर शिशिर बसु, जिन पर SC/ST एक्ट के तहत शोभना ने मुकदमा दायर किया था। लेकिन, वाराणसी की ही एक कोर्ट ने उन्हें लगभग 10 साल बाद 2022 में निर्दोष करार दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पीड़िता ने 2003 से ही प्रताड़ना की बात कही थी, लेकिन शिकायत दर्ज कराने में एक दशक लगा दिया गया। अदालत ने इसे शैक्षणिक विवाद करार देते हुए कहा कि अभियोजन घटना या इसकी दिन-तारीख़ को साबित करने में नाकाम रहा।
वहीं पंकज कुमार के खिलाफ लगाए गए आरोप में शोभना नार्लीकर ने कहा था कि उन्हें जातिसूचक शब्द कह कर गंदी-गंदी गालियाँ दी गईं। ऑपइंडिया के पास अदालत के इस आदेश की भी प्रति मौजूद है, जिसमें लिखा है कि पीड़िता BHU के कामकाज से विक्षुब्ध रही है और उसने इसमें यौन शोषण का आरोप लगा दिया। शोभना नार्लीकर ने प्रोफेसर बसु द्वारा उनके खिलाफ छात्रों से अश्लील हरकत कराए जाने का आरोप लगाया था, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इसका कोई गवाह-सबूत नहीं मिला।
कोर्ट ने ये भी पाया कि FIR और अन्य बयानों में अंतर था। एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें प्रोफेसर शोभना नार्लीकर एक अन्य प्रोफेसर के लिए अपशब्दों का प्रयोग कर रही हैं। एक तस्वीर सामने आई है, जिसमें उनके कपड़े फटे हुए हैं। छात्रों का कहना है कि वो खुद ये सब कर के ताने पहुँच जाती है, ताकि शिकायत दर्ज करा सके। एक वीडियो में व जूता निकाल कर मारने की बात करती दिख रही हैं। वहीं उनके सामने वीडियो बनाते हुए एक अन्य छात्र ने आरोप लगाया कि उन्हें माँ-बहन तक की गाली दी जाती है।