Saturday, July 27, 2024
Homeदेश-समाज'विरोध-प्रदर्शन से रोक नहीं सकते, बल प्रयोग हो अंतिम विकल्प': किसानों के 'दिल्ली मार्च'...

‘विरोध-प्रदर्शन से रोक नहीं सकते, बल प्रयोग हो अंतिम विकल्प’: किसानों के ‘दिल्ली मार्च’ पर हाई कोर्ट, कहा- मिलकर निकालें हल

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने मंगलवार (13 फरवरी 2024) को दिल्ली-एनसीआर में चल रहे किसानों के विरोध से संबंधित याचिकाओं पर केंद्र, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा सरकार को नोटिस भेजा है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों सहित सभी पक्षों से मामले में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग नहीं करने का निर्देश दिया है।

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने मंगलवार (13 फरवरी 2024) को दिल्ली-एनसीआर में चल रहे किसानों के विरोध से संबंधित याचिकाओं पर केंद्र, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा सरकार को नोटिस भेजा है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों सहित सभी पक्षों से मामले में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग नहीं करने का निर्देश दिया है।

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधवालिया और न्यायमूर्ति लपीता बनर्जी की खंडपीठ ने विवादों के सौहार्द्रपूर्ण समाधान की सलाह दी और किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन के लिए क्षेत्रों की पहचान करने का सुझाव दिया। इसकी अगली सुनवाई गुरुवार (15 फरवरी 2024) को होगी।

दरअसल, हाई कोर्ट में दायर एक याचिका में प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ कार्रवाई की माँग की गई है। वहीं, दूसरी याचिका में हरियाणा की सीमाओं को सील करने और कुछ जिलों में इंटरनेट निलंबित करने की राज्य सरकार की कार्रवाई को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया है कि ये उपाय नागरिकों को सूचना और संचार के अधिकार से वंचित करके स्थिति को और खराब कर देते हैं।

इसके विपरीत, वकील अरविंद सेठ ने एक अलग जनहित याचिका (पीआईएल) में विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर पूरे पंजाब और हरियाणा में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए निवारक उपाय करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश देने की माँग की है। इसमें कहा गया है कि लोगों को विरोध करने का अधिकार है और उन्हें इससे रोका नहीं जा सकता।

उधार, हाईकोर्ट ने पंजाब और हरियाणा राज्यों से ये भी देखने को कहा है कि प्रदर्शन एक तय जगह पर हो और सभी पक्ष मिलकर विवाद का हल निकालें। याचिकाकर्ता ने कहा, “भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है। यह धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, गणतंत्र के स्तंभों पर आधारित है। अनुच्छेद 13 से 40 इन सिद्धांतों की पृष्ठभूमि है। मौलिक अधिकार सेंसरशिप के बिना स्वतंत्रता के प्रयोग की अनुमति देते हैं। हरियाणा सरकार ने किसानों को रोका है। अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक सड़कों पर कीलें और बिजली के तार लगे हैं।”

इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि लोगों की सुरक्षा के लिए राज्य को भी कदम उठाना होगा। उनके भी अधिकार हैं। हाईकोर्ट ने के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि किसी भी स्थिति में बल प्रयोग अंतिम विकल्प होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार में संतुलन होना चाहिए। कोई भी अधिकार अलग नहीं है। सावधानी और एहतियात को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

प्राइवेट सेक्टर में भी दलितों एवं पिछड़ों को मिले आरक्षण: लोकसभा में MP चंद्रशेखर रावण ने उठाई माँग, जानिए आगे क्या होंगे इसके परिणाम

नगीना से निर्दलीय सांसद चंद्रशेखर आजाद ने निजी क्षेत्रों में दलितों एवं पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू करने के लिए एक निजी बिल पेश किया।

‘तुम कोटा के हो ब#$द… कोटा में रहना है या नहीं तुम्हें?’: राजस्थान विधानसभा में कॉन्ग्रेस विधायक ने सभापति और अधिकारियों को दी गाली,...

राजस्थान कॉन्ग्रेस के नेता शांति धारीवाल ने विधानसभा में गालियों की बौछार कर दी। इतना ही नहीं, उन्होंने सदन में सभापति को भी धमकी दे दी।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -