दिल्ली में चले रहे ‘किसान आंदोलन’ में शामिल संगठनों ने शनिवार (फ़रवरी 6, 2021) को पूरे देश में ‘चक्का जाम’ का ऐलान किया है। किसान नेताओं ने कहा कि उस दिन दोपहर 12 बजे से लेकर 3 बजे तक सभी राष्ट्रीय और स्टेट राजमार्गों पर ट्रैफिक बाधित किया जाएगा। ये सब तब हो रहा है, जब केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि आम बजट में किसानों के सारे संशयों को स्पष्ट कर दिया गया है।
उन्होंने किसानों से इस दिशा में सकारात्मक रूप से सोचने की अपील की। उन्होंने कहा कि APMC मंडियों के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता बजट में ही दिखाई दे जाती है। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर भी बजट में सरकार की मंशा साफ़ कर दी गई है। बता दें कि ताज़ा आम बजट में APMC मंडियों को कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स दिए गए हैं, जिससे उनके आधुनिकीकरण में मदद मिलेगी।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में ये भी गिनाया कि कैसे 2013-14 के मुकाबले अब सरकार कई गुना ज्यादा अनाज की खरीद कर रही है और इसके लिए MSP से 1.5 गुना अधिक तक दाम चुकाए गए हैं। साथ ही यूपीए सरकारों के मुकाबले MSP में बढ़ोतरी भी हुई है। जबकि किसान संगठन अब पूछ रहे हैं कि कृषि और उससे जुड़े विभागों के संयुक्त बजट में कटौती क्यों की गई है?
The protesting farmers said that they would block national and state highways for three hours between 12 pm and 3 pm on February 6.#chakkaJam #farmersprotest #farmlaws | (@Milan_reports) #RE https://t.co/fjBQWunSJ7
— IndiaToday (@IndiaToday) February 2, 2021
उनका कहना है कि 2020-21 में कृषि के लिए 1.54 लाख करोड़ रुपए के मुकाबले अबकी 1.48 लाख करोड़ रुपए के फंड्स का प्रावधान है। योगेंद्र यादव का कहना है कि पिछले वर्ष कृषि के लिए GDP का 5.1% दिया गया था, जो अब मात्र 4.3% रह गया है। वहीं किसान नेता दर्शन पाल ने ‘चक्का जाम’ में 3 मुद्दों पर विरोध की बात कही – तीनों कृषि कानूनों, सरकार के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ ‘दमनकारी अभियान’ और बजट में किसानों के प्रति ‘अन्याय’।
वहीं दूसरी तरफ अब दिल्ली पुलिस को हिंसक प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार किया जा रहा है। दिल्ली पुलिस को पहनने के लिए खास शील्ड दिए गए हैं, जो उन्हें तलवारों से हमले से बचाएँगे। साथ ही स्पेशल डिजाइन वाले तलवार भी उन्हें दिए गए हैं, जिससे तलवारधारी प्रदर्शनकारियों को उनसे दूर रखने में मदद मिलेगी। जनवरी 26 और उसके बाद से पुलिस पर तलवार से हमले की कई घटनाएँ हो चुकी हैं।
उधर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाँवों से गाजीपुर विरोध स्थल पर जाने वाले सभी ‘किसान प्रदर्शनकारियों’ का एक डेटाबेस तैयार किया जा रहा है। जिसके चलते किसान संगठन के नेताओं को अब कानूनी कार्रवाई होने का भय सताने लगा है। बताया जा रहा है कि जल्द ही इन सभी किसानों को नोटिस दिए जा सकते हैं। किसान नेताओं का दावा है कि पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारी किसानों के परिवारों पर उनसे विरोध स्थल से घर लौट आने को कहने का दबाव बनाया जा रहा है।