Monday, December 2, 2024
Homeदेश-समाजदरवाजे पर लिखा 'मकान बिकाऊ है' तो जागी पुलिस, लेकिन जेल से बाहर आते...

दरवाजे पर लिखा ‘मकान बिकाऊ है’ तो जागी पुलिस, लेकिन जेल से बाहर आते ही फिर धमकाने लगा शादाब और उसक परिवार: पीड़ित दलित ने जताई अनहोनी की आशंका

पीड़ित दलित परिवार ने अपनी जान का खतरा बताया है। पीड़ितों ने पलायन या आत्महत्या को ही अब अपना अंतिम विकल्प बताया है। हालाँकि पुलिस ने राजेश और उनके परिवार को सुरक्षित बताया है।

मध्य प्रदेश के इंदौर की बगीचे कॉलोनी में रहने वाले एक दलित परिवार ने आरोप लगाया है कि मुस्लिम समुदाय के शादाब और कुछ लोग उन्हें लगातार धमका रहे हैं और उनकी जान को खतरा है। इस परिवार ने रविवार (17 नवंबर 2024) को अपने घर के बाहर पलायन का पोस्टर लगा दिया था। पहले पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए आरोपितों को जेल भेजा था, लेकिन अब उनकी जमानत के बाद पीड़ित परिवार बेहद डरा हुआ है। हालाँकि पुलिस ने राजेश और उनके परिवार को सुरक्षित बताया है।

दैनिक भास्कर के मुताबिक, पीड़ित परिवार के मुखिया राजेश कलमोइया ने बताया कि जमानत पर रिहा हुए आरोपित शादाब के परिवार के लोग उनके परिवार वालों को घूर-घूरकर देख रहे हैं। उन्होंने कहा, “जब से ये लोग जेल से बाहर आए हैं, हमें लग रहा है कि हमारे साथ कुछ भी अनहोनी हो सकती है। पुलिस ने पहले भरोसा दिया था कि आरोपितों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।”

परिवार ने दावा किया है कि उन्हें लगातार धमकियाँ मिल रही हैं। राजेश ने बताया कि पहले पुलिस उनके घर पर लगातार आती थी, लेकिन अब कई दिनों से उनकी गली में भी नजर नहीं आई। परिवार का कहना है कि ऐसे हालातों में उनके पास केवल दो विकल्प बचे हैं- या तो पलायन करें या आत्महत्या। हालाँकि पुलिस ने राजेश को सुरक्षित बताया है। स्थानीय SHO के मुताबिक राजेश की तरफ से अपनी नई शिकायतों के बारे में कोई तहरीर नहीं दी गई है।

17 नवंबर को लगाए थे पलायन के पोस्टर

राजेश ने 17 नवंबर को अपने घर के बाहर पलायन के पोस्टर लगाए थे। उनका आरोप था कि शादाब और अन्य आरोपितों ने उन्हें और उनके परिवार को परेशान किया। मामला तब बढ़ा, जब हिंदू संगठनों ने कार्रवाई की माँग की। इसके बाद पुलिस ने SC/ST एक्ट और अन्य धाराओं के तहत मुख्य आरोपित शादाब समेत 7 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।

केस वापसी का दबाव बनाया और घर के बाहर किया धमाका

राजेश ने बताया कि शादाब और अन्य आरोपित लगातार उन पर केस वापसी का दबाव बना रहे थे। इसमें शादाब के परिवार की महिलाएँ भी शामिल थीं। राजेश के अनुसार, जब उन्होंने केस वापस लेने से मना कर दिया, तो उनके घर के बाहर विस्फोटक से धमाका किया गया। इस मामले में रईस नाम के एक अन्य व्यक्ति को भी नामजद किया गया था।

पुलिस की भूमिका पर उठ रहे सवाल

पीड़ित परिवार ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहले तो पुलिस ने आश्वासन दिया था कि सख्त कदम उठाए जाएँगे, लेकिन अब पुलिस गायब है। परिवार ने पलायन को मजबूरी बताया और कहा कि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई तो उन्हें आत्महत्या का कदम उठाना पड़ सकता है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

सुखबीर बादल को टॉयलेट से लेकर जूठे बर्तनों तक की करनी होगी सफाई, प्रकाश सिंह बादल से छीना ‘फख्र-ए-कौम’: अकाल तख्त ने 2015 की...

सुखबीर सिंह बादल और साल 2015 में उनके कैबिनेट के साथियों को 3 दिसंबर को दोपहर 12 से 1 बजे तक गुरुद्वारे के बाथरूम साफ करने होंगे।

जब हो रही जनसंख्या नियंत्रण पर बहस, तब मोहन भागवत ने यूँ ही नहीं छेड़ी 3 बच्चों की बात: फर्टिलिटी रेट के आँकड़े बता...

RSS मुखिया मोहन भागवत ने कहा है कि देश में दम्पत्तियों को 3 बच्चे पैदा करने की जरूरत है। उनके इस बयान का सीधा संबंध देश के गिरते TFR से है।
- विज्ञापन -