ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index) GHI-2020 की रिपोर्ट जारी हो गई है और भारत ने सूचकाँक में पिछले वर्ष की तुलना में बड़ा सुधार दिखाया है। पिछली बार, यानी वर्ष 2019 में ग्लोबल हंगर इंडेक्स में शामिल 117 देशों में से भारत की रैंकिंग 102 थी। वहीं वर्ष 2020 में भारत को 107 देशों में से 94 वाँ स्थान दिया गया है। हालाँकि, अभी भी सिर्फ 13 देश ही ऐसे हैं, जिनसे भारत आगे है। ये देश – रवांडा, नाइजीरिया, अफगानिस्तान, लीबिया, मोजाम्बिक और चाड आदि हैं।
‘कंसर्न वर्ल्डवाइड’ और ‘Welthungerhilfe’ संयुक्त रूप से मिलकर ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट हर साल जारी करते हैं। इसे वैश्विक, क्षेत्रीय और विभिन्न देशों में भूख को मापने और ट्रैक करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, भारत में भूख का स्तर अभी भी गंभीर स्थिति में है। हालाँकि पिछले एक साल में भारत ने पर्याप्त प्रगति भी की है। भारत ने अपने GHI स्कोर (ग्लोबल हंगर इंडेक्स स्कोर) में भी सुधार किया है।
2019 में भारत का GHI स्कोर 30.3 था, 2020 में भारत ने अपने स्कोर को 27.2 तक सुधार लिया है।
हालाँकि वर्ष 2020 में, GHI स्कोर 27.2 हो गया है।
गौरतलब है कि जिस पैमाने को ‘गंभीर’ माना जाएगा, वह दोनों वर्षों में एक जैसा है। दोनों पैमानों का कहना है कि 20.0 से 34.9 के बीच का स्कोर देश को ‘गंभीर’ श्रेणी में रखा जाएगा।
बता दें कि भारत में काफी वर्षों के बाद इसमें सुधार देखा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत की करीब 14% जनसंख्या कुपोषण की शिकार है। वहीं, भारत के बच्चों में ‘स्टंटिंग रेट’ 37.4% है। ‘स्टन्ड’ बच्चे वो कहलाते हैं जिनकी लंबाई उनकी उम्र की तुलना में कम होती है और जिनमें भयानक कुपोषण दिखता है।
कैसे तय होती है रैंकिंग
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में दुनिया के तमाम देशों में खानपान की स्थिति का विस्तृत ब्योरा होता है। जैसे- लोगों को किस तरह का खाद्य पदार्थ मिल रहा है, उसकी गुणवत्ता और मात्रा कितनी है और उसमें कमियाँ क्या हैं। हर साल अक्टूबर में ये रिपोर्ट जारी की जाती है।
GHI रिपोर्ट में भूख की स्थिति के आधार पर देशों को 0 से 100 के बीच अंक दिए गए हैं। इस रिपोर्ट में 0 अंक होने का अर्थ ‘सबसे अच्छा’ और भूख की स्थिति का नहीं होना है। रिपोर्ट में 10 से कम अंक का मतलब है कि देश में भूख की बहुत कम समस्या है। इसी प्रकार से रिपोर्ट में 20 से 34.9 अंक का मतलब भूख का गंभीर संकट है। रिपोर्ट में 35 से 49.9 अंक का मतलब हालत बहुत ही चुनौतीपूर्ण है और 50 या इससे ज्यादा अंक का मतलब है कि देश में भूख की बहुत ही भयावह स्थिति है। इस रिपोर्ट में भारत को 27.2 मिले हैं जबकि 2019 में 30.3 अंक मिले थे।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स एक ऐसा मामला रहा है, जो भारत में हर साल मीडिया की सुर्खियाँ और राजनीतिक पार्टियों को मुद्दा बनाने में मदद करता है। कॉन्ग्रेस ने वर्ष 2019 में दावा किया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को तब बर्बाद कर दिया। जब कॉन्ग्रेस पार्टी सत्ता में थी तब भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में ‘उदारवादी’ श्रेणी में था, जबकि 2014 के बाद से ही भारत को ‘गंभीर’ श्रेणी में रखा गया।
हालाँकि यह दावा पूरी तरह से निराधार था। ग्लोबल हंगर इंडेक्स स्पष्ट रूप से बताता है कि जीएचआई स्कोर की तुलना एक वर्ष में अन्य देशों के साथ की जा सकती है, लेकिन उनकी तुलना अन्य वर्षों के साथ नहीं की जा सकती है। जीएचआई वेबसाइट का कहना है कि “वर्तमान और ऐतिहासिक डेटा जिस पर जीएचआई स्कोर आधारित हैं, को संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों द्वारा लगातार संशोधित और उनका सुधार किया जा रहा है, और प्रत्येक वर्ष की जीएचआई रिपोर्ट इन परिवर्तनों को दर्शाती है। रिपोर्ट के बीच स्कोर की तुलना करने से यह धारणा बन सकती है कि भूख किसी विशिष्ट देश में साल-दर-साल सकारात्मक या नकारात्मक रूप से बदल गई है, जबकि कुछ मामलों में परिवर्तन आंशिक रूप से या पूरी तरह से डेटा संशोधन का प्रतिबिंब हो सकता है। ”
गौरतलब है कि अगर देखा जाए तो 2014 में हंगर इंडेक्स का पैमाना पूरी तरह से अलग था और 2020 का पैमाना अलग है। उदाहरण के लिए 2014 में, 10.0 से 19.9 के पैमाने को ‘गंभीर’ माना जाता था और 2020 में, 20.0 से 34.9 के पैमाने को गंभीर माना जाता है। भारत को 2014 में, 17.8 का स्कोर मिला, जबकि 2020 में भारत को 27.2 का स्कोर मिला।
प्रोपेगेंडा आधारित मीडिया और राजनेताओं के लिए इसका अर्थ यह होगा कि भारत अपने स्कोर में पीछे चला गया जबकि उन्होंने सच्चाई को किनारे रख लोगों को गुमराह करने की कोशिश की। क्योंकि लगातार इसके पैमाने बदलते रहते हैं। 2014 और 2020 दोनों साल भारत ‘गंभीर स्थिति’ की श्रेणी में था।