Saturday, November 16, 2024
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मंदिर तोड़ कर मूर्ति तोड़ी… नवरात्र की पूजा नहीं होने दी: मेवात की घटना, पुलिस ने कहा – ‘सिर्फ मूर्ति चोरी हुई है’

स्थानीय लोगों ने बताया कि गाँव में अल्पसंख्यक आबादी में रह रहे हिंदू कुछ बोल नहीं पाते हैं। मगर उन्हें अपनी बैठक में पता चला है कि मंदिर से थोड़ी दूर में एक मदरसा है, कुछ लोग उसी मदरसे का रोल इस घटना के पीछे देख रहे हैं।

हरियाणा के मेवात में एक बार फिर से हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का प्रयास हुआ है। खबर है कि नवरात्र के पावन अवसर पर मेवात के नगीना खंड के माँडीखेड़ा गाँव में दुर्गा माता की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी मगर मात्र दो ही दिन में मंदिर की मूर्ति को तोड़ दिया गया। दुर्गा माँ के मंदिर में अब मूर्ति की जगह सिर्फ़ शेर के पंजे बचे हैं।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि पहले भी इस तरह की घटनाएँ होती आई हैं और मंदिर से कुछ दूरी पर बने मदरसे के मौलवी के इशारों पर यह काम किया गया। हालाँकि, पुलिस की मानें तो पूरे मामले में अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज हुआ है।

मूर्ति चोरी के बाद मंदिर के पास इकट्ठा हुई भीड़

ऑपइंडिया को प्राप्त जानकारी के मुताबिक, यह घटना 19 अक्टूबर की रात की है। नवरात्र के पहले दिन यानी, 17 अक्टूबर को मंदिर में मूर्ति की स्थापना हुई थी। सभी लोगों ने पूजा-पाठ के लिए मंदिर को सजाया था। लेकिन नवरात्र दिन पता चला कि मूर्ति वहाँ से गायब है।

मूर्ति चोरी के बाद गठित हुए 11 सदस्यों की पंचायत समिति

माता की मूर्ति को टूटी देख हिंदू समुदाय के लोग आक्रोशित हैं। उन्होंने मामले में एफआईआर दर्ज करवाई और जल्द से जल्द कार्रवाई करने की माँग की है। इस केस में 20 अक्टूबर को एक 11 सदस्य पंचायत समिति का गठन भी हुआ। 

इस समिति के ही एक सदस्य धर्मपाल आर्या से ऑपइंडिया का संपर्क हुआ। उन्होंने पूरे मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि माँडीखेड़ा गाँव में 19 अक्टूबर की रात्रि यह घटना हुई। कुछ अज्ञात लोग मंदिर का ताला तोड़ कर मूर्ति को खंडित कर दिया। घटना को 5 दिन बीत गए हैं मगर आरोपितों का अभी तक कुछ पता नहीं है। किसी पर कोई कार्रवाई भी नहीं हुई है।

वह बताते हैं कि गाँव में अल्पसंख्यक आबादी में हिंदू कुछ बोल नहीं पाते हैं। मगर उन्हें अपनी बैठक में पता चला है कि मंदिर से थोड़ी दूर पर एक मदरसा है। कुछ लोग उसी मदरसे को शक की निगाह से देख रहे हैं।

मंदिर और उसके भीतर की तस्वीर

उनका कहना है कि जब मंदिर की चारदीवारी करवाई गई थी या इससे पहले जब मूर्ति स्थापित हुई थी तब भी ऐसी घटनाएँ सामने आई थीं, इसलिए संभावना है कि उसी (मदरसे का रोल इस बार भी) का हाथ हो।

धर्मपाल के अनुसार, यह मंदिर बहुत पुराना है, लेकिन साल 2016 में एक ऐसी ही घटना घटी थी, तब लोगों ने आपस में बात करके समझौता कर लिया था और माफी भी माँगी गई थी। इस घटना में मुस्लिम समाज ने हिंदुओं के सामने घटना का खेद प्रकट किया था। उन्हें आश्वासन दिया था कि दोबारा ऐसी घटनाएँ नहीं होंगी। 

इसी के बाद इस मंदिर पर चारदीवारी करवाई गई और मूर्ति की इन नवरात्रियों में प्राण प्रतिष्ठा हुई, लेकिन फिर दो दिन बाद यह घटना हो गई। अब समाज के लोगों का कहना है कि वह पुलिस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है क्योंकि मामले में ढुलमुल रवैया अपनाया जा रहा है।

पेशे से पत्रकार और समिति के सदस्य धर्मपाल की मानें तो इस पूरे केस में हिंदू संगठनों में भी काफी नाराजगी है। उन्होंने कहा है कि यदि मामला नहीं सुलझता तो फिर उन्हें सड़कों पर उतरने को मजबूर होना पड़ेगा।

स्थानीय लोगों का क्या कहना है?

इसी प्रकार एक अन्य स्थानीय का कहना है कि पुलिस ने उन्हें इस मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया है, लेकिन उनके लिए बात केवल आश्वासन की नहीं है। यदि यह घटना दूसरे पक्ष के साथ हो गई होती, तो अभी तक पूरा मेवात बंद हो जाता। 

घटना के बाद मंदिर के पास मौजूद लोगों की एक वीडियो भी सामने आई है। पत्रकार गौरव मिश्रा ने इस वीडियो को शेयर करते हुए बताया कि मेवात के माँडीखेड़ा गाँव के मंदिर में ‘शांतिदूतों’ ने नवरात्र की पूजा नहीं होने दी। जो मूर्ति स्थापित की गई थी, उसे भी ‘शांतिदूतों’ ने तोड़ दिया और मंदिर का गेट भी तोड़ दिया। उन्होंने लिखा कि पथरावी मंदिर से स्थापित देवी माँ की प्रतिमा को तोड़ डाला गया।

इस वीडियो में देख सकते हैं कि मंदिर के सामने कुछ लोग खड़े हैं। वह कहते हैं कि उनके मंदिर को दूसरी बार तोड़ा गया है। पहली बार में जब उन लोगों ने कुछ नहीं कहा तो दूसरी बार भी उनके साथ ऐसा हुआ। दूसरा व्याक्ति वीडियो में कहते सुना जा सकता है कि ये लोग जानबूझकर ऐसा काम करते हैं और फिर बच्चों का नाम लगा दिया जाता है।

घटनास्थल पर पहुँची पुलिस

वीडियो में व्यक्ति स्पष्ट रूप से कहता है कि मदरसे वाला जो मुफ्ती है, वो आस-पास के लोगों को इकट्ठा करके यह काम करवाता है। 17 अक्टूबर को मूर्ति आई थी और अब इसे तोड़ दिया गया। ये लोग हिंदू धर्म को भंग कर रहे हैं। कल को कुछ और भी करेंगे। लोगों की माँग है कि प्रशासन इस मामले पर कार्रवाई करे और उन्हें न्याय दिलाए।

एक अन्य वीडियो भी इस केस में सामने आई है, इसमें कहता सुना जा सकता है कि मंदिर में सिर्फ़ शेर के पंजे बचे हैं और उत्पाती बाकी पूरी मूर्ति को तोड़ दिए।

पुलिस कार्रवाई

ऑपइंडिया ने इस मामले में कार्रवाई संबंधी जानकारी के लिए नगीना थाने के एसएचओ रमेश चंद से बात की। उन्होंने मंदिर में तोड़फोड़ की बात को नकारा और कहा कि मंदिर से मूर्ति की चोरी हुई है। इस मामले में एफआईआर दर्ज है और पूरे मामले की तफ्तीश की जा रही है। अभी तक कोई भी व्यक्ति हिरासत में नहीं लिया गया है। मगर, जल्द से जल्द  इस मामले के निष्कर्ष में पहुँचा जाएगा। साल 2016 में मंदिर पर हुए हमले की बात को भी एसएचओ ने ऑन रिकॉर्ड होने से मना किया। उन्होंने कहा कि उनके नोटिस में बस हालिया मामला है।

गौरतलब है कि पिछले दिनों हरियाणा का मेवात दलितों पर अत्याचार के कारण चर्चा में आया था और अब भी वहाँ हिंदू के साथ भेदभाव की घटनाएँ थमी नहीं है। पिछले दिनों नगीना थाने के उलेटा गाँव में ही एक दलित परिवार बहुसंख्यक आबादी की बर्बरता का शिकार हुआ था। राहुल नाम के दलित लड़के के सिर पर धारदार फरसा मार कर कहा गया था कि अगर गाँव में रहना है तो उनकी जूती के नीचे रहना होगा। इस मामले पर भी पुलिस का आज भी यही कहना है कि मामले में जाँच चल रही है।

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