Wednesday, January 22, 2025
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जो द्वारका अब हुई कब्जा मुक्त, वहाँ बने अवैध ढाँचों से ड्रग्स और विस्फोटकों की होती थी तस्करी: हाई कोर्ट को गुजरात सरकार ने बताया क्यों बुलडोजर एक्शन जरूरी

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का दावा किया है कि संबंधित संपत्ति वक्फ संपत्ति है। वहीं, राज्य सरकार का दावा है कि यह भूमि गौचर भूमि (चारागाह भूमि) है। कोर्ट के सवालों का जवाब देते हुए वकील विर्क ने कहा कि विर्क ने कहा कि पब्लिक ट्रस्ट रजिस्टर से पता चलता है कि जिस संपत्ति पर सवाल उठाया जा रहा है, वह वक्फ संपत्ति नहीं है।

गुजरात सरकार ने हाई कोर्ट के समक्ष द्वारका में धार्मिक संरचनाओं पर कार्रवाई को यथास्थिति बनाए रखने के आदेश का विरोध किया है। सरकार ने तर्क दिया कि इन संरचनाओं का उपयोग मादक पदार्थों और विस्फोटकों की तस्करी के लिए किया जाता है। राज्य सरकार ने कहा कि क्षेत्र में बम विस्फोट हो चुके हैं और कुछ दरगाहों को विस्फोटकों के भंडारण का उपयोग करते हुए पाया जा चुका है।

मामले की सुनवाई के दौरान 20 जनवरी को राज्य सरकार की ओर से पेश सरकारी वकील जीएच विर्क ने जस्टिस मौना एम भट्ट के समक्ष तर्क प्रस्तुत किया। वकील ने कहा कि राज्य ने संरचना को छोड़कर सभी अतिक्रमण हटा दिए हैं। यह कोर्ट के यथास्थिति के आदेश के तहत है। उन्होंने तर्क दिया कि रिट याचिका अदालत को धोखा देने के अलावा कुछ नहीं था।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने तर्क दिया कि जिन संरचनाओं को यथास्थिति में रखा जा रहा है, उनका उपयोग मादक पदार्थों की तस्करी, विस्फोटकों की तस्करी के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में बम विस्फोट हो चुके हैं और कुछ दरगाहों के मुजाहिदों (दीन के लड़ने वाले मुस्लिम) को विस्फोटकों के भंडारण के लिए इनका उपयोग करते हुए पाया गया है।

इस पर कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का दावा किया है कि संबंधित संपत्ति वक्फ संपत्ति है। वहीं, राज्य सरकार का दावा है कि यह भूमि गौचर भूमि (चारागाह भूमि) है। कोर्ट के सवालों का जवाब देते हुए वकील विर्क ने कहा कि विर्क ने कहा कि पब्लिक ट्रस्ट रजिस्टर से पता चलता है कि जिस संपत्ति पर सवाल उठाया जा रहा है, वह वक्फ संपत्ति नहीं है।

उन्होंने यह भी कहा कि एक याचिका में यह गौचर भूमि (चारागाह भूमि) है और दूसरी याचिका में यह कब्रिस्तान है। उन्होंने सवाल किया कि कब्रिस्तान पर कोई विशाल भव्य संरचना कैसे बना सकता है। उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो के माध्यम से रिकॉर्ड पर रखे गए उपग्रह चित्रों के बारे में जानकारी दी और हर तरफ से निर्माण किए हुए ऐसे परिसरों में ड्रग्स तस्करी की बात कही।

इस कोर्ट ने सवाल किया कि कब्रिस्तान तो आमतौैर पर वक्फ संपत्ति होती है। इसका जवाब देते हुए वकील विर्क ने कहा कि ये सारी सरकारी भूमि है, जो राजस्व दस्तावेजों में अंकित है और सरकार ने इस भूमि को कब्रिस्तान के उद्देश्य से आवंटन किया था। विर्क ने कहा कि तीन मामलों में से दो मामलों में राजस्व सर्वे नंबर दिया जा चुका है।

बता दें कि गुजरात में श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका के 7 द्वीपों को अतिक्रमण से मुक्त कर दिया गया है। यहाँ अवैध रूप से बनाए गए 36 ढाँचे तोड़ दिए गए हैं। यह कार्रवाई राज्य सरकार ने तेजी के साथ की है। राज्य के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने 21 जनवरी 2025 को बताया है कि द्वारका के द्वीप अब अतिक्रमण से शत प्रतिशत मुक्त हैं।

उन्होंने वहाँ के वीडियो भी सोशल मीडिया साइट X (पूर्व में ट्विटर) पर शेयर कीं। इन वीडियो में दरगाह जैसे कुछ ढाँचे पहले खड़े दिखाई देते हैं, जिन्हें बाद में जमींदोज कर दिया गया है। यह ढाँचे 7 अलग-अलग द्वीपों पर बने हुए थे। इन अतिक्रमण वाले ढांचों ने जमीन का बड़ा हिस्सा कब्जाया हुआ था। द्वारका के बाकी इलाकों में भी अतिक्रमण पर कार्रवाई करते हुए सैकड़ों ढाँचे गिराए जा चुके हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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