मस्जिदों में नमाज़ अदा क्यों नहीं की जा सकती है?
यह वह सवाल है, जो गुरुग्राम के कई निवासी पिछले कुछ हफ्तों से पूछ रहे हैं। गुरुग्राम निवासी पिछले काफी दिनों से यह देख-देख कर थक गए हैं कि सार्वजनिक स्थानों जैसे पार्कों, सड़कों और अन्य स्थानों को ब्लॉक करके नमाज पढ़ा जा रहा है, खासकर शुक्रवार को। इतना ही नहीं, इन जगहों को ये लोग अवैध रूप से ‘नमाज’ अदा करने की जगह भी बता रहे हैं।
गुरुग्राम के कई सेक्टरों के निवासी मुस्लिमों द्वारा नमाज़ के लिए सार्वजनिक स्थानों को ब्लॉक करने के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं और पूछ रहे हैं कि वे यह मस्जिदों में क्यों नहीं कर सकते। इसके बाद यहाँ के निवासियों को पुलिस कार्रवाई और ‘सेक्युलर-लिबरल’ मीडिया की कड़ी निंदा का सामना करना पड़ा, क्योंकि उन्होंने एक विशेष समुदाय के मजहबी कार्यों के लिए सार्वजनिक स्थानों के दुरुपयोग के खिलाफ आवाज उठाई थी।
ताजा रिपोर्टों के मुताबिक, कुछ सिख संगठनों ने कहा है कि मुस्लिम समुदाय गुरुद्वारे में जुमे की नमाज अदा कर सकते हैं।
Gurugram’s Sadar Bazaar Gurudwara offers space for Namaz
— ANI (@ANI) November 18, 2021
It’s ‘Guru Ghar’, open for all communities with no discrimination. There shouldn’t be any politics here. Basement is now open for Muslim brothers who want to offer ‘Jumme ki namaz’: Sherdil Singh Sidhu Gurudwara president pic.twitter.com/6gNW3eSuAz
गुरुग्राम के सदर बाजार गुरुद्वारा ने एक बयान जारी कर कहा है कि उनका गुरुद्वारा ‘गुरु घर’ है और वहाँ सभी समुदायों का बिना किसी भेदभाव के स्वागत है। गुरुद्वारा अध्यक्ष शेरदिल सिंह सिंधु ने कहा है कि ‘मुस्लिम भाई’ शुक्रवार को जुमे की नमाज अदा करने के लिए बेसमेंट का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे पहले अक्षय यादव नाम के एक हिंदू बिजनेसमैन ने शुक्रवार की नमाज अदा करने के लिए मुस्लिमों को सेक्टर 12 में अपनी दुकान देने की पेशकश की थी।
गुरुद्वारा और यादव के पेशकश को मीडिया और सोशल मीडिया में सहिष्णुता और भाइचारे के मिसाल का तौर पर प्रदर्शित किया जा रहा है। हालाँकि, इस दिखावटी सेक्युलरिज्म में, एक फैक्ट की अनदेखी की जा रही है और वह यह कि मुस्लिम मस्जिदों में नमाज़ क्यों नहीं पढ़ सकते हैं और उन्हें हर शुक्रवार को नमाज़ अदा करने के लिए सार्वजनिक स्थानों और गैर-मुस्लिमों के स्थानों की जरूरत क्यों है?
सेक्टर 47, सेक्टर 12 और अन्य जगहों पर स्थानीय निवासियों द्वारा विरोध-प्रदर्शन कभी भी नमाज़ से इनकार करने या मुस्लिमों को नमाज़ पढ़ने से रोकने को लेकर नहीं था। विरोध-प्रदर्शन सार्वजनिक स्थानों जैसे पार्कों और सड़कों को नमाज के लिए ब्लॉक किए जाने और सुरक्षा, विशेषकर महिलाओं की चिंताओं को लेकर था। सार्वजनिक स्थान सार्वजनिक उपयोग के लिए हैं। निवासियों का सवाल है कि मुस्लिम समुदाय उन स्थानों को क्यों ब्लॉक करता है जब वे मस्जिदों में नमाज अदा कर सकते हैं।
गुरुग्राम में इतनी सारी मस्जिदें हैं, मुस्लिमों को नमाज़ के लिए सड़कों, पार्कों और दुकानों आदि की क्या ज़रूरत?
गूगल पर एक सामान्य सा सर्च करने पर ही आपको गुरुग्राम सेक्टर 47 और उसके आसपास के इलाकों में कई मस्जिद नजर आएँगे। राजीव चौक मस्जिद या ईदगाह मस्जिद, अंजुमन जामा मस्जिद, हजरत बिलाल, पीर बाबा की मजार जैसे नाम वाले कई जगह मुस्लिमों के मजहबी रिवाज पूरा करने के लिए हैं। इसके आसपास ही गुरुग्राम मरकज, सदर बाजार मस्जिद, मस्जिद-ए-शरीफ, जामा मस्जिद वगैरह हैं।
सदर बाजार में जहाँ के गुरुद्वारे ने नमाज के लिए अपना बेसमेंट देने की बात की है, उसके करीब कम से कम दो मस्जिद हैं। जामा मस्जिद जिसकी गिनती बड़े मस्जिदों में होती है, वह गुरुद्वारे से महज 7 मिनट की पैदल दूरी पर है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब गुरुग्राम में दर्जनों मस्जिदें हैं फिर नमाज के लिए रोड या पार्क को ब्लॉक करने की क्या जरूरत है?
इसमें कोई बुराई नहीं है कि सिख नमाज पढ़ने के लिए गुरुद्वारा देने की पेशकश करें या फिर कोई हिंदू अपनी निजी संपत्ति इसके लिए दे। हिंदुओं का ऐतराज मजहबी कार्यों के लिए सार्वजनिक जगहों के इस्तेमाल को लेकर है। इसके कारण आम लोगों को होने वाली परेशानियों को लेकर वे संघर्षरत हैं। गुरुग्राम प्रशासन ने जब नमाज के लिए सार्वजनिक जगह अलॉट की तो उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से इसका विरोध किया। यह उनका अधिकार संवैधानिक अधिकार है। किसी के द्वारा मजहबी कार्यों के लिए अपनी निजी संपत्ति की पेशकश करना उनसे यह अधिकार न तो छीन लेता है और न इससे उनके संघर्ष का महत्व कम होता है।
गौरतलब है कि पिछले शुक्रवार (12 नवंबर) को हिंदू संगठनों ने सेक्टर 12 ए में नमाज स्थल पर यह कहते हुए डेरा डाला दिया था कि वे वहाँ पर वॉलीबॉल कोर्ट बनाएँगे। सुबह से ही हिंदू संगठन के लोग नमाज़ पढ़ने वाली जगह पर बैठकर मूँगफली खा रहे थे। इससे पहले उसी जगह पर गोवर्धन पूजा आयोजित की गई थी। इसमें बीजेपी नेता कपिल मिश्रा भी शामिल हुए थे। इस दौरान यहाँ पर गोबर के उपले लगाए गए थे, जिसे हिंदू संगठनों ने हटाने नहीं दिया था।
गुरुग्राम के सेक्टर 12 ए की साइट उन 37 जगहों में शामिल थी, जहाँ पर कथित तौर पर प्रशासन ने नमाज पढ़ने की अनुमति दी थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों से यहाँ पर कुछ हिंदूवादी संगठन खुले में नमाज का विरोध करते हुए प्रदर्शन कर रहे थे। काफी विवादों के बाद आखिरकार प्रशासन ने इस साइट पर से नमाज पढ़ने की अनुमति वापस ले ली थी।