गुरुग्राम में नमाज को लेकर विवाद हुआ। पब्लिक प्लेस पर नमाज क्यों हो – विवाद का कारण यही था। इस तरह के मामले में पुलिस विवाद की जाँच करती है और सुलझाती है। यहाँ उल्टा हो गया। खुद गुरुग्राम पुलिस फँस गई। फँसी एक ट्वीट के चक्कर में। पहले ट्वीट देख लेते हैं।
मतलब पुलिस खुद बता रही है कि पब्लिक प्लेस पर नमाज हो रही है, दोनों पक्ष (हिंदू-मुस्लिम) सहमत हैं। खैर, पब्लिक प्लेस के मामले में पक्षों की सहमति वाला तर्क कानूनन होता तो गुरुग्राम पुलिस को अपना ट्वीट डिलीट नहीं करना पड़ता।
अवैध अतिक्रमण को नमाज़ के रूप में अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से सही बताने वाली गुरुग्राम पुलिस का अजीब उत्तर किसी के गले नहीं उतरा। राष्ट्रव्यापी बेइज्जती के बाद गुरुग्राम पुलिस को अपना वह ट्वीट डिलीट करना पड़ा।
वहीं इस मामले पर हरियाणा भाजपा के प्रवक्ता रमन मालिक ने गुरुग्राम पोलिस को खट्टर सरकार के स्टैंड से अवगत कराते हुए पुराना सरकारी आदेश जारी किया। उन्होंने ट्वीट किया, “@DC_गुरुग्राम आपको गुरुग्राम पुलिस से जवाब माँगना चाहिए #Sector47 में नमाज़ के मामले में उनकी प्रतिक्रिया पर। मैंने आपको इस मामले में अपनी शिकायत और प्रश्न मेल कर दिए हैं। मई 2018 में ही CM खट्टर ने कहा था, धार्मिक स्थलों पर ही धार्मिक क्रियाकलाप होने चाहिए।”
@DC_Gurugram you must seek an answer from @gurgaonpolice on their response in the matter of #Sector47Namaz.
— Raman Malik🇮🇳 (@ramanmalik) September 29, 2021
I have mailed you my complaint and questions in this matter.
CM @mlkhattar in may2018 had stated, religious practices should happen in religious places.
State is Secular pic.twitter.com/qn9GdDd4BZ
ज्ञात हो कि पिछले कुछ समय से सार्वजनिक स्थल पर नमाज़ियों के अवैध कब्ज़े का गुरुग्राम की जनता ने मुखर विरोध किया है। बार-बार समझाए जाने के बाद भी कब्जाधारियों के न सुधरने पर स्थानीय लोगों ने पुलिस से शिकायत करते हुए सवाल किया कि हिंदू त्यौहारों पर प्रशासन द्वारा थोपे जाने वाले प्रतिबंध और सख्ती इनके (नमाजियों) मामले आने पर कहाँ चली जाती है?
पुलिस और पब्लिक की इस बहस का वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और इस पूरे प्रकरण में पुलिस को स्पष्टीकरण देना पड़ा। स्पष्टीकरण में गुरुग्राम पुलिस ने लिखा:
“सार्वजनिक स्थानों पर ‘नमाज’ के स्थान हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों द्वारा आपसी समझ के बाद तय किए गए हैं और यह जगह उनमें से एक है। सांप्रदायिक सद्भाव और शांति बनाए रखना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है और हम इसे सुनिश्चित करेंगे।”
गुरुग्राम पुलिस के इस ट्वीट पर विरोध की झड़ी लग गई। आखिरकार गुरुग्राम पुलिस ने वो ट्वीट डिलीट कर दिया पर उसका स्क्रीनशॉट अभी तक वाद-विवाद का केंद्र बना हुआ है। ट्वीट को डिलीट करना हालाँकि गुरुग्राम पुलिस को राहत न दे पाई।
सड़क पर अतिक्रमण कर के मज़हबी गतिविधि चलाने को आपसी समझौता बताने वाले जवाब पर हिंदू आईटी सेल के एडवोकेट अभिषेक शर्मा ने RTI दायर कर दी। उन्होंने गुरुग्राम पुलिस से RTI के माध्यम से प्रश्न किया है कि पुलिस पूर्व में अतिक्रमण कर के नमाज़ पढ़ने वालों पर लिए गए एक्शन का ब्यौरा दे और यदि सार्वजनिक स्थलों पर नमाज़ आपसी सहमति से हो रही तो ये समझौता कब हुआ?
इस संबंध में ऑपइंडिया से बात करते हुए हिंदू आईटी सेल के संस्थापक सदस्यों में से एक अक्षित सिंह ने बताया कि 2018 के अपने आदेश में मद्रास हाई कोर्ट ने पब्लिक प्लेस पर नमाज जैसी गतिविधियों को गैरकानूनी बताया था।
A RTI has been duly filed by our Advocate Abhishek Sharma @abhi_adv1 asking @gurgaonpolice to furnish information U/s 6(1) of The RTI Act on the following questions.
— Hindu IT Cell (@HinduITCell) September 29, 2021
We are determined for the Hindu cause and we will inform as soon we get any update on this. pic.twitter.com/ZfjeH8XHA7
फिलहाल ये कहना गलत नहीं होगा कि गुरुग्राम पुलिस के लिए उनका किया गया एक ट्वीट गले की फाँस बन चुका है। इस पूरे मामले का सबसे रोचक पहलू ये है कि सोशल मीडिया की सनसनी बन चुका ये मामला अराजनैतिक रूप में आम जनमानस व पुलिस के मध्य चल रहा है।
यहाँ यह भी जानना उचित होगा कि अवैध अतिक्रमण से होने वाली नमाज़ के चलते ही इससे पूर्व भी गुरुग्राम में अप्रैल 2018, मई 2018, अगस्त 2018, नवम्बर 2018, दिसंबर 2019 और मार्च 2021 में तनाव फैल चुका है। अब तो लोग प्रशासन से इतने नाराज हो चुके हैं कि नमाज की प्रतिक्रिया में ‘सड़कों पर हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू कर दें क्या?’ जैसे सवाल पूछ रहे हैं।