Thursday, March 28, 2024
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अयोध्या, मथुरा, काशी सहित मंदिर तोड़ कर बनाई गई 11 मस्जिदें हिन्दुओं को लौटाओ: वसीम रिजवी

"न सिर्फ़ अयोध्या बल्कि मथुरा और कशी सहित उन सभी 11 मस्जिदों को हिन्दुओं को सौंप दी जानी चाहिए, जो मुग़ल बादशाहों ने मंदिर तोड़ कर बनवाए थे।"

शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने राम मंदिर को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि अयोध्या की विवादित ज़मीन हिन्दुओं को दे दी जानी चाहिए। शिया वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन रिजवी ने कहा कि न सिर्फ़ अयोध्या बल्कि मथुरा और कशी सहित उन सभी 11 मस्जिदों को हिन्दुओं को सौंप दी जानी चाहिए, जो मुग़ल बादशाहों ने मंदिर तोड़ कर बनवाए थे। इसमें दिल्ली की क़ुतुब मीनार परिसर में स्थित मस्जिद सहित गुजरात की मस्जिदें भी शामिल हैं। रिजवी के इस बयान से सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को तगड़ा झटका लग सकता है, जो अयोध्या मामले में मुस्लिमों की तरफ़ से केस लड़ रहा है।

ये इसीलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को भी इस बात का डर है कि अयोध्या में हिन्दुओं के हक़ में फ़ैसला जाने के बाद अब अन्य मस्जिदों को लेकर भी विवाद खड़ा हो सकता है, जहाँ इस्लामी आक्रांताओं ने मंदिरों को तोड़ कर मस्जिदें बनाईं। भारत के कई बड़े मस्जिदों के बारे में पता चलता है कि उनको बनवाने के लिए वहाँ स्थित मंदिर को तबाह कर दिया गया। इसीलिए, सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने जिन शर्तों के आधार पर राम मंदिर वाली ज़मीन पर दावा छोड़ने की बात कही थी, उसमें एक शर्त ये भी थी कि हिन्दू पक्ष बाकी के मस्जिदों पर दावा नहीं ठोकेंगे।

वसीम रिजवी ने दावा किया कि अयोध्या की विवादित ज़मीन सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति है ही नहीं, वो शिया वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति है। इसके पीछे तर्क देते हुए उन्होंने कहा कि बाबर के जिस सेनापति ने इस मस्जिद को बनवाया था, वो एक शिया मुसलमान था। यूपी सेंट्रल शिया वक़्फ़ बोर्ड ने भी विवादित ज़मीन पर दावा किया था लेकिन बाद में उसने राम मंदिर के पक्ष में अपना दावा वापस ले लिया। अब बोर्ड ने फिर से वहाँ पर राम मंदिर बनवाए जाने की वकालत की है। यूपी में संपत्ति और आय के स्रोत के मामले में शिया और सुन्नी, दोनों ही बोर्ड योगी सरकार की रडार पर है।

रिजवी ने बताया कि शिया बोर्ड की तरफ़ से सारे काग़ज़ात सुप्रीम कोर्ट को सौंपे जा चुके हैं। वर्ष 2010 में इलाहबाद हाईकोर्ट ने विवादित ज़मीन को तीन हिस्सों में बाँटने का आदेश दिया था। इसमें रामलला विराजमान, निर्मोही अखाडा और मुस्लिम पक्ष के बीच ज़मीन बाँटने को कहा गया था। शिया बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि जो ज़मीन मुस्लिमों के पक्ष में आई है, वो शिया वक़्फ़ बोर्ड को नहीं चाहिए। एक प्रार्थना पत्र के माध्यम से बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि ये ज़मीन हिन्दुओं को दे दी जाए।

राम मंदिर मामले में 6 अगस्त को शुरू हुई नियमित सुनवाई अब ख़त्म हो चुकी है और सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय पीठ ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है। 16 अक्टूबर को सुनवाई ख़त्म होने के बाद कहा गया था कि 23 दिनों के भीतर फ़ैसला सुनाया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई नवंबर में रिटायर होने वाले हैं, अतः नियमानुसार उन्हें रिटायरमेंट से पहले ही फ़ैसला सुनाना होगा। जहाँ हिन्दुओं को फ़ैसला अपने पक्ष में आने की उम्मीद है, मुस्लिम पक्ष ने पहले ही धमकी भरे अंदाज़ में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट फ़ैसला देते समय भविष्य का भी ध्यान रखे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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