कथित सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर का एक वीडियो वायरल हुआ है। इसमें वे नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे लोगों को सुप्रीम कोर्ट और संसदीय व्यवस्था के खिलाफ भड़काते नजर आ रहे हैं। वे कह रहे हैं कि ये लड़ाई (CAA विरोध) सुप्रीम कोर्ट में नहीं लड़ी जाएगी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या और कश्मीर के मामले में सेक्युलरिज़्म की रक्षा नहीं की है।
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए मंदर कहते हैं, “ये लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में नहीं जीती जाएगी, क्योंकि हमने सुप्रीम कोर्ट को देखा है- एनआरसी के मामले में, कश्मीर के मामले में, अयोध्या के मामले में। उन्होंने (सुप्रीम कोर्ट) इंसानियत, समानता और सेक्युलरिज्म की रक्षा नहीं की है।” वे आगे कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में हम कोशिश जरूर करेंगे। लेकिन इसका फैसला न संसद में होगा, न सुप्रीम कोर्ट में होगा, बल्कि ये फैसला सड़कों पर होगा।
#Exposed Here is Ultra-Left Activist Harsh Mandar instigating Anti-CAA Protesters and spewing venom against Supreme Court of India, clearly asking protesters not to believe in highest institution of judiciary. pic.twitter.com/nxRmkIxiav
— Jammu-Kashmir Now (@JammuKashmirNow) March 3, 2020
वायरल वीडियो में हर्ष मंदर को वहाँ मौजूद लोगों से कहते सुना जा सकता है कि आखिर वे अपने बच्चों को किस तरह का देश देना चाहते हैं। इसका फैसला कहाँ होगा? इसका फैसला सड़कों पर होगा।
गौरतलब है कि लोगों को उकसा रहे मंदर की मोदी से घृणा छिपी नहीं है। जब नागरिकता संशोधन बिल संसद में आया था तो उन्होंने ऐलान किया था कि यदि यह कानून बना तो वे आधिकारिक रूप से इस्लाम धर्म अपना लेंगे। सरकार उनसे उनके कागज माँगेगी, तो उन्हें कागज़ भी नहीं दिखाएँगे।
If CAB is passed, this is my civil disobedience:
— Harsh Mander (@harsh_mander) December 10, 2019
I will officially register Muslim. I will then refuse to submit any documents to NRC. I will finally demand the same punishment as any undocumented Muslim- detention centre & withdrawn citizenship.
Join this civil disobedience
यूपीए कार्यकाल में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सलाह देने के लिहाज से गठित की गई नेशनल एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य रहे मंदर ने दिल्ली हाई कोर्ट में भाजपा नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ याचिका दायर कर उन पर हेट स्पीच का आरोप लगाया था। अजमल कसाब और याकूब मेमन जैसे आतंकियों के लिए वे दया याचिका भी दायर कर चुके हैं। IAS रहे मंदर खुद को लेखक, स्तंभकार, शोधकर्ता, शिक्षक और मानवाधिकार कार्यकर्ता भी बताते हैं।