Friday, November 22, 2024
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ब्राह्मण होने के कारण जलाया गया ग्राम कसार का मुकेश? पत्नी ने कहा- उनको सजा नहीं हुई तो वहीं पेट्रोल छिड़ककर मरूँगी

किसान नेता भले मुकेश को जिंदा जलाने के दावे को खारिज कर रहे हैं, पर स्थानीय लोगों का दावा है कि यह टिकैत की लगाई आग है। सरकार को बदनाम करने की साजिश के तहत इस घटना को अंजाम दिया गया है।

हरियाणा के झज्जर जिले के बहादुरगढ़ तहसील का ग्राम कसार ब्राह्मण बहुल है। इसी गाँव का रहने वाला था 42 साल का मुकेश। उसे जिंदा जलाने का आरोप कथित किसान प्रदर्शनकारियों पर है। दिल्ली से जब आप हिसार की तरफ बढ़ते हैं तो टिकरी बॉर्डर के आगे सड़क के एक तरफ इन्हीं प्रदर्शनकारियों का कब्जा है। इनके टेंट सड़क पर ही बने हैं। इसी सड़क (जिसे बाइपास कहते हैं) से सटा है कसार।

बाइपास से एक सड़क अलग होती है जो कसार गाँव को जाती है। इस सड़क के दोनों ओर खेत हैं। पास में ही ओमेक्स की एक टाउनशिप परियोजना का काम चल रहा है। गाँव की शुरुआत में ही व्यायामशाला है। तालाब हैं। एक शानदार मैदान भी। इसके बाद शुरू होती है बस्ती, जिसकी एक गली में 70 साल के जगदीश चंद्र का घर है। जगदीश चंद्र, मुकेश के पिता हैं। इस गाँव में शुक्रवार (18 जून 2021) को जब हम पहुँचे तो सन्नाटा पसरा था। मुकेश के साथ हुई घटना के कारण ग्रामीण सहमे हुए थे। जो थोड़ी बहुत चहल-पहल थी वह एक-एक कर आ रहे कुछ मीडियाकर्मियों की वजह से थी।

इस घटना के बाबत हमने जब जगदीश चंद्र से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कैमरे के सामने आने से मना कर दिया। फूट- फूटकर रोते हुए इस वृद्ध पिता का कहना था कि अब मुकेश के परिवार को कौन देखेगा। उन्होंने बताया कि मुकेश अपने पीछे पत्नी रेणु और 9 साल के बेटे राहुल को छोड़ गया है। मुकेश तीन भाइयों में सबसे बड़ा था। बकौल जगदीश चंद्र, उनके परिवार के पास खेती नहीं है। उनके बेटे अलग-अलग काम-धंधा कर अपना घर चलाते हैं। मुकेश ड्राइवर था। लॉकडाउन की वजह से अभी उसका काम नहीं चल रहा था। वे कहते हैं, “मैं बस यही चाहता हूँ कि जो दोषी हैं उनको सजा मिले और मुकेश के परिवार की चिंता सरकार करे।”

‘आंदोलन वालों ने जलाया’

शकुंतला ने बताया कि बुधवार (16 जून 2021) की शाम मुकेश घर में खाना बनाने के लिए कहकर निकला था। बाद में उन्हें पता चला कि उनके बेटे को शराब पिलाकर कुछ लोगों ने जिंदा जला दिया। जब हमने उनसे जलाने वाले लोगों के बारे में पूछा तो उनका जवाब था: ये आंदोलन वाले। मुकेश उधर करने क्या गया था, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि टहलने के लिए गया था। ध्यान देने वाली बात यह है कि कसार के लोगों के खेत उस जगह से सटे हैं, जिधर किसानों के टेंट हैं। इस गाँव के लोगों को दिल्ली, हिसार, बहादुरगढ़ कहीं भी जाना हो तो उन्हें बाइपास पर जाना होगा, जिसके एक हिस्से पर प्रदर्शनकारियों ने महीनों से कब्जा जमा रखा है।

‘पेट्रोल छिड़कर माचिस लगा दिए, बहुत बुरी तरह जला दिए’

मुकेश की पत्नी रेणु ने बताया कि उन्हें इस घटना के बारे में उनके देवर ने सबसे पहले बताया। वह कहती है कि वे 5 बजे घर से निकले तो सब कुछ ठीक था। कोई लड़ाई-झगड़ा कुछ नहीं था। रेणु ने बताया, “उन्होंने कहा था खाना बनाकर रखना मैं जल्दी आ जाऊँगा। मैंने कहा कि अपना फोन लेकर जाइए तो कहा कि नहीं, मैं जल्दी आ जाऊँगा।” आगे वह कहती हैं, “गए वहाँ पर। बैठाए होंगे वे लोग। दारू पिलाए होंगे। पेट्रोल छिड़कर माचिस लगा दिए। बहुत बुरी तरह जला दिए उसको। मैं किसके सहारे जिऊँगी। मेरा कौन है। एक छोटा सा बच्चा है, उसका भी अब कौन सहारा रहा।”

हमने जब रेणु से पूछा कि क्या मुकेश पहले भी शराब पीता था, तो उन्होंने कहा, “पीते थे। लेकिन इतना नहीं कि कभी खुद को नुकसान पहुँचाए।” फिर वह कहती हैं, “ये जो लोग पड़े हैं, वही ये काम किए हैं। ये लोग किसान नहीं हैं। ये लोग अपराधी हैं। दारू पिए रहते हैं। होश में नहीं रहते हैं। एक साल हो गया ये लोग जा नहीं रहे यहाँ से। गदर मचा रखा है यहाँ पर।”

इससे पहले कभी प्रदर्शनकारियों से किसी तरह का विवाद होने को लेकर पूछे जाने पर रेणु का जवाब था कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। उनका कहना है, “जो ये किया है सरकार उसको सजा दिलाए। मेरा तो जो गया वो गया, उनलोगों को सजा मिलनी चाहिए। सजा नहीं मिली तो मैं वहीं पर जाकर पेट्रोल छिड़ककर मरूँगी। उनके बीच में जाऊँगी। किसी के काबू में नहीं आऊँगी। मैं छोड़ूँगी नहीं। आज मेरे आदमी के साथ हुआ, कल किसी और के साथ होगा। कब तक बर्दाशत करेगा कोई इनको।”

मुकेश के छोटे भाई मंजीत का कहना है कि उनके गाँव का एक आदमी बाइपास के पास स्थित पेट्रोल पंप पर नौकरी करता है। उसने ही सबसे पहले बुधवार की रात करीब 9 बजे उनलोगों को इस घटना की सूचना दी थी। मंजीत ने बताया कि वे लोग जब मौके पर पहुँचे तो मुकेश जला हुआ था। उसे ये लोग पहले सिविल हॉस्पिटल बहादुरगढ़ और फिर एक निजी अस्पताल लेकर गए, जहाँ मुकेश की मौत हो गई। मंजीत ने बताया, “सिविल हॉस्प्टिल में हमने भाई से इस घटना के बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि तीन-चार आदमी थे। उन्होंने उसे रोक लिया और कहा कि ‘इकट्ठा’ ही घर भेज देंगे।”

बाइपास के एक हिस्से पर प्रदर्शनकारियों ने इसी तरह कब्जा जमा रखा है

‘ये जो बीमारी रोड पर पड़ी है प्रशासन उसको हटाए’

मंजीत के अनुसार जो लोग रोड पर जमे हैं, वे किसान नहीं हैं। वे पूछते हैं कि किसान हाथ में हल लेगा या तलवार? उनके अनुसार मुकेश को ‘शहीद’ होने के नाम पर बहलाया-फुसलाया गया होगा। उन्होंने कहा, “इस घटना के बाद गाँव का बच्चा-बच्चा गुस्से में है। इनके कारण शाम के 7 बजे के बाद रोड पर चलना मुश्किल हो जाता है। प्रशासन को कार्रवाई के लिए एक सप्ताह का समय दिश गया है। यदि कुछ नहीं हुआ तो फिर आर-पार की लड़ाई होगी।” मंजीत के अनुसार इस मामले में अब तक प्रशासन की भूमिका से वे लोग संतुष्ट हैं। साथ ही वे कहते हैं कि वे लोग इस मामले को जाति-धर्म से नहीं जोड़ना चाहते। वे बस इतना चाहते हैं कि दोषियों को सजा मिले। वे कहते हैं, “ये जो बीमारी रोड पर पड़ी है, प्रशासन उसको हटाए नहीं तो कई बेगुनाह मारे जाएँगे।”

इस गाँव के सरपंच हैं टोनी कुमार। उनको भी बुधवार की रात 9 बजे के करीब ही इस घटना की सूचना मिली थी। उन्होंने बताया, “जब मैं मौके पर पहुँचा तो मुकेश बुरी तरह जल चुका था। उसे जब हम सिविल हॉस्पिटल बहादुरगढ़ लेकर जा रहे थे तो उसने बताया कि उसके ऊपर एक किसान ने तेल गिरा दिया और एक ने माचिस लगा दी। उसने इनके नाम भी बताए। कृष्ण, प्रदीप, संदीप।” उनके अनुसार मुकेश का सिविल हॉस्पिटल में दिया गया बयान डॉक्टर के पास भी है।

राकेश टिकैत ने लगाई जाति की आग?

सरपंच आगे बताते हैं, “मुकेश को हॉस्पिटल पहुँचाकर मैं किसानों के टेंट में आया और आवाज लगाई कृष्ण। एक आदमी बाहर आया जो नशे में धुत था। उससे जब कहा कि मुकेश ने तुम्हारा नाम लिया है तो उसने जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल किया।” इस घटना के बाद टोनी कुमार ने एक फेसबुक पोस्ट लिखी थी और दावा किया था कि मुकेश को ‘ब्राह्मण’ होने के कारण निशाना बनाया गया। इस संबंध में पूछे जाने पर वे कहते हैं कि मेरे पास कृष्ण का वीडियो है, जिसमें उसने यह बात कही है। वे यह भी दावा करते हैं कि इस सबके पीछे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत हैं। टोनी कुमार ने कहा कि टिकैत ने ही सबसे पहले कहा था कि ब्राह्मणों से हिसाब लिया जाएगा। जब उनके नेता जहर भरेंगे तो नीचे के वही काम करेंगे। वे इसके पीछे साजिश की आशंका जताते हुए कहते हैं कि इस घटना को सरकार को बदनाम करने के लिए अंजाम दिया गया।

‘ये किसान नहीं, कसाई हैं’

टोनी कुमार के अनुसार इस मामले में प्रशासन की भूमिका सही है, लेकिन कई बार शिकायत के बावजूद सड़क पर कब्जा जमाए बैठे प्रदर्शनकारियों को नहीं हटाया गया है। इससे होने वाली परेशानियों को लेकर वे बकायदा शिकायत भी कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि इस घटना के बाद स्थानीय विधायक नरेश कौशिक गाँव में पहुँचे थे। साथ ही उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते कि कोई किसान नेता हमारे गाँव में आए। टोनी कुमार ने बताया, “ये किसान नहीं, कसाई हैं। इस मामले में पुलिस-प्रशासन ने पूरी मदद की है। हमने झुग्गियाँ हटाने के लिए प्रशासन को एक सप्ताह का समय दिया है। एक हफ्ते में झुग्गियाँ नहीं हटीं तो आर-पार की लड़ाई होगी।”

बाइपास से कटकर यही सड़क कसार गाँव को जाती है

‘किसान आंदोलन’ में कसार गाँव

महीनों से चल रहे कथित किसान आंदोलन से कसार गाँव के लोग किस तरह जुड़े हैं? इस संबंध में पड़ताल करने पर सरपंच टोनी कुमार ने बताया कि ग्राम खाप से जो जिम्मेदारी मिलती है उसको वे लोग पूरा करते हैं। इसमें मुख्य काम गाँव से चंदा जुटाकर ‘आंदोलनकारियों’ को देना है। मुकेश के भाई संजीत ने भी इनके लिए गाँव में चंदा जुटाए जाने की पुष्टि की। लेकिन आंदोलन में सक्रिय भागीदारी को लेकर यहाँ के लोग इनकार करते हैं।

ग्रामीणों के अनुसार आते-जाते कुछ लोगों से दुआ-सलाम का उनका रिश्ता बन गया है। टोनी कुमार के अनुसार कुछ प्रदर्शनकारी गाँव में आते रहते हैं। उन्होंने बताया कि टिकैत के भड़काउ बयान के बाद भी उनलोगों ने चंदा दिया है। वे कहते हैं, “हम माहौल खराब नहीं करना चाहते। हम भाईचारा बनाए रखना चाहते हैं। लेकिन वे लोग माहौल खराब करने में लगे हैं।”

हुड़दंग, छेड़खानी के भी आरोप

आंदोलनकारियों द्वारा शाम को नशे में धुत होकर यहाँ के लोगों को परेशान करने की शिकायत आम है। प्रशासन को दी शिकायत (जिसकी कॉपी ऑपइंडिया के पास है) में इन्होंने कहा है, “पिछले 6-7 महीनों से गाँव कसार के साथ लगती सड़क पर कथित किसानों ने गदर मचा रखा है। ये गाँव में आकर शराब पीकर हुड़दंग करते हैं। ट्रैक्टर पर घूमते हैं। महिलाओं से छेड़खानी करते हैं। इन्हें तुरंत प्रभाव से गाँव कसार की परिधि से हटाया जाए।”

क्या मुकेश ने आत्महत्या की?

किसान एकता मोर्चा ने एक अस्पष्ट वीडियो जारी कर दावा किया है कि मुकेश गृ​हक्लेश से परेशान था और उसने आत्महत्या की। इस दावे को मुकेश के परिजन और कसार के लोग सिरे से नकार देते हैं। सबका एक ही सवाल है कि जब बुधवार की रात को घटना हुई तो इतनी देर बाद क्यों वीडियो जारी किया गया? उनका कहना है कि उनके पास मुकेश का अंतिम समय का वीडियो बयान है, जो स्पष्ट करता है उसके साथ क्या हुआ था।

सरपंच टोनी कुमार कहते हैं कि यदि वह​ गृहक्लेश से परेशान था तो उनके ही टेंट में आग लगाने क्यों चला गया? जब वह पैसे लेकर घर से निकला नहीं था तो शराब और पेट्रोल कहाँ से खरीद ली? मुकेश के भाई संजीत का भी कहना है कि उनके पास भाई के बयान का वीडियो है, जबकि किसान संगठनों ने सफाई में जो वीडियो जारी किया है, वह असली नहीं है। मुकेश की पत्नी रेणु का दावा है कि उसमें आवाज भी उनके पति की नहीं है। वह कहती हैं, “दस साल से साथ में थी। उनकी आवाज मैं नहीं पहचानूँगी?” शकुंतला का भी दावा है कि किसान संगठनों द्वारा जारी वीडियो में आवाज उनके बेटे की नहीं है।

गौरतलब है कि कथित किसान आंदोलन से रेप जैसी घृणित घटना भी सामने आ चुकी है। प्रदर्शनकारियों के हुड़दंग को लेकर भी शिकायतें आती रहती है। 26 जनवरी को जो कुछ हुआ, वह पूरे देश ने देखा है। लिहाजा यह केवल एक मुकेश या एक कसार गाँव का भोगा ही नहीं लगता। यह उन तमाम गाँवों की पीड़ा लगती है जो सड़क के किनारे कब्जा जमाए बैठे प्रदर्शनकारियों की दबंगई से पीड़ित हैं। क्या पता कब किसके गाँव का मुकेश इस साजिश में जल जाए।

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अजीत झा
अजीत झा
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