Wednesday, November 13, 2024
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बुर्के पर जबरन दुकान बंद करवा रहे PFI मेंबर्स पर FIR, हाईकोर्ट के फैसले के विरोध में कर्नाटक बंद का जारी हुआ था फतवा

तटीय शहर भटकल को सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। यह उडुपी से 90 किलोमीटर दूर है, जहाँ से हिजाब विवाद शुरू हुआ था। इसे देखते हुए पुलिस ने इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है। 

हिजाब (Hijab) पर कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) के फैसले के खिलाफ राज्य में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस मामले में कर्नाटक पुलिस (Karnataka Police) ने जबरन दुकानें बंद करवाने के आरोप में एक वकील समेत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के कार्यकर्ताओं के खिलाफ बुधवार (16 मार्च 2022) को FIR दर्ज की है। 

पुलिस के अनुसार, भटकल थाने में अजीम अहमद, मोहिद्दीन अबीर, शारिक और वकील तैमूर हुसैन गवई के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 143, 147 और 290 के तहत FIR दर्ज की है।

जानकारी के मुताबिक हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ आरोपितों ने मंगलवार (15 मार्च 2022) को जबरन दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद करा दिए थे। तटीय शहर भटकल को सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। यह उडुपी से 90 किलोमीटर दूर है, जहाँ से हिजाब विवाद शुरू हुआ था। इसे देखते हुए पुलिस ने इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है। 

भटकल में ‘तंजीम’ संगठन ने कस्बे में बंद का आह्वान किया था और कई व्यापारियों ने स्वेच्छा से अपनी दुकानें बंद कर दी थीं। सत्तारूढ़ बीजेपी और हिंदूवादी संगठनों ने आरोप लगाया है कि राज्य में हिजाब विवाद को बढ़ाने के पीछे पीएफआई, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDFI) और कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) हैं।

वहीं, मुस्लिम संगठनों ने गुरुवार (17 मार्च 2022) को कर्नाटक बंद का ऐलान किया है। इसके लिए फतवा जारी किया गया। कर्नाटक के अमीर-ए-शरीयत मौलाना सगीर अहमद खान रश्दी ने कोर्ट के फैसले पर दुख जताया और इसके विरोध में तमाम मुस्लिम संगठनों से कर्नाटक बंद के लिए अपील की। उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी कर फतवे को ध्यान से पढ़ने और बंद में भागीदार बनने की अपील की। उल्लेखनीय है कि सगीर ने कर्नाटक बंद का ऐलान ऐसे समय में किया है, जब हिजाब विवाद के चलते पूरे राज्य में 21 मार्च तक धारा 144 लागू है। 

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार (15 मार्च 2022) को अपने 129-पृष्ठ के आदेश में कहा कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है। कोर्ट ने राज्य सरकार के 5 फरवरी के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसके तहत स्कूल/कॉलेज परिसर में ऐसे किसी भी धार्मिक कपड़े के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया था, जिससे शांति, सद्भाव और सार्वजनिक व्यवस्था के बिगड़ने का खतरा हो।

बता दें कि मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जे एम खाजी की पूर्ण पीठ का गठन तब किया गया जब उडुपी के एक कॉलेज की कुछ छात्राओं ने कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और शैक्षणिक संस्थानों की कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति माँगी थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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