मध्य प्रदेश के धार जिले में मंगलवार (26 मार्च 2024) को बड़ी संख्या में हिन्दू श्रद्धालुओं ने भोजशाला पहुँच कर पूजा-अर्चना की। इस दौरान हनुमान चालीसा का पाठ और सरस्वती स्तुति के साथ हवन और आरती हुई। इस बीच हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के आदेश पर भोजशाला का वैज्ञानिक सर्वे जारी है। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की टीम ने लगातार पाँचवें दिन भोजशाला में पहुँचकर साक्ष्य जुटाए। सर्वे के दौरान किसी भी प्रकार की फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी पर प्रतिबंध है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार (26 मार्च 2024) की सुबह से श्रद्धालुओं का भोजशाला में पहुँचने का सिलसिला शुरू हो चुका है। यहाँ हर मंगलवार को हिन्दू समुदाय के लोग पूजा-अर्चना करते हैं। बताया जा रहा है कि इस बार श्रद्धालुओं की भीड़ अन्य दिनों की अपेक्षा लगभग 4 गुना अधिक है। भोजशाला के गर्भगृह में माता वाग्देवी की तस्वीर रखी गई। फिर यहाँ फूल और अक्षत चढ़ा कर पूजन किया गया। इसके बाद सरस्वती स्त्रोत और हनुमान चालीसा का पाठ होने के साथ आरती और हवन किया गया।
श्रद्धालुओं में महिलाओं की भी बड़ी तादाद रही। उन्होंने यहाँ भजन गया। श्रद्धालुओं के प्रवेश के दौरान भोजशाला पर सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए। गेट पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती के साथ मेटल डिटेक्टर भी लगाए गए हैं। मुख्य मार्ग पर बैरिकेड किया गया है, जिसमें से एक-एक व्यक्ति को प्रवेश करवाया जा रहा है। दर्शन करने आए लोगों के मोबाइल फोन बाहर ही जमा करवा लिए गए हैं। इस बीच ASI की टीम द्वारा भोजशाला के सर्वे का काम लगातार जारी है।
#WATCH | Hindus devotees after performing puja at the Bhojshala complex in Dhar of Madhya Pradesh
— ANI (@ANI) March 26, 2024
As per an arrangement in 2003, Hindus perform puja at the complex on Tuesdays from sunrise to sunset while Muslims offer namaz on Fridays from 1 pm to 3 pm. pic.twitter.com/tN2vxNW3OO
ASI की टीम ने भोजशाला में मौजूद स्तम्भ पर एक प्राचीन आकृति पर खास रसायन लगाकर उसका स्केच कागज पर लिया। इसी स्तम्भ को खुरच कर इसका हल्का सा मटेरियल भी लिया गया है। श्रद्दालुओं द्वारा ASI की टीम की कार्रवाई का वीडियो बनाकर वायरल ना किया जा सके, इसके लिए भोजशाला में व्यू कटर भी लगवाया गया है। बताते चलें कि ASI की टीम मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के आदेश पर लगातार 5 दिनों से भोजशाला का सर्वेक्षण कर रही है। यहाँ खुदाई के साथ मौजूद साक्ष्यों की कार्बन डेटिंग भी करवाई जा रही है।
बता दें कि भोजशाला 11वीं सदी का एक स्मारक है, जो ASI द्वारा संरक्षित हैं। हिंदू इसे वाग्देवी (माँ सरस्वती) का मंदिर मानते हैं और मुस्लिम इसे कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं। भोजशाला का विवाद दशकों पुराना है, लेकिन साल 2022 में इंदौर हाई कोर्ट में दायर एक याचिका के बाद अब इसमें नया मोड़ आ गया है। याचिका में माँ सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करने और पूरे परिसर की फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी करवाने की माँग की गई थी।