Friday, April 26, 2024
Homeदेश-समाजनौकरी सरकार की, चाकरी आतंकियों की: हिजबुल सरगना सलाहुद्दीन के दोनों बेटे कर रहे...

नौकरी सरकार की, चाकरी आतंकियों की: हिजबुल सरगना सलाहुद्दीन के दोनों बेटे कर रहे थे फंडिंग, हटाने पर बिफरीं महबूबा

ऐसा नहीं है कि सुरक्षा व ख़ुफ़िया एजेंसियों में उसके दोनों बेटों की हरकतों की जानकारी नहीं थी, बल्कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटने से पहले जिन राजनीतिक दलों का राज था, उनका उन्हें संरक्षण प्राप्त था।

भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में लगा हिजबुल मुजाहिदीन का सरगना मोहम्मद यूसुफ शाह उर्फ सैयद सलाहुद्दीन फ़िलहाल पाकिस्तान में छिप कर बैठा हुआ है। वहीं सरकारी नौकरी में उसके दोनों बेटे जम्मू कश्मीर में हवाला के जरिए वित्त जुटा कर गिरोह का भरण-पोषण करने में लगे थे। बिना हथियार उठाए उन्होंने कई कश्मीरी युवकों से बंदूक उठवा दिया और आतंकी हमलों के लिए वित्त भी मुहैया कराया।

ये दोनों लगातार अपने अब्बा और आतंकी संगठन के एजेंडों को आगे बढ़ाने में लगे थे। सलाहुद्दीन के दोनों बेटों सैयद अहमद शकील व शाहिद यूसुफ उन 11 कर्मचारियों में शामिल हैं, जिन्हें राष्ट्रद्रोह का आरोप लगा कर नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। सलाउद्दीन NIA की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शामिल तो है ही, अमेरिका ने भी उसे ग्लोबल आतंकी घोषित कर रखा है। वो 1990 में ही पाकिस्तान भागा था।

ऐसा नहीं है कि सुरक्षा व ख़ुफ़िया एजेंसियों में उसके दोनों बेटों की हरकतों की जानकारी नहीं थी, बल्कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटने से पहले जिन राजनीतिक दलों का राज था, उनका उन्हें संरक्षण प्राप्त था। उसके खिलाफ सबूत भी थे, लेकिन कार्रवाई के लिए भेजी गई फाइलों को दबाया जाता रहा। सैयद अहमद शकील शेरे कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (सौरा) में 1990 के दौरान चोर दरवाजे से बतौर लैब टेक्नीशियन तैनात किया गया था। 

उसने 6 आतंकियों का वित्तीय पोषण किया। वहीं सलाहुद्दीन का दूसरा बेटा शाहिद यूसुफ भी चोर दरवाजे से ही वर्ष 2007 में कृषि विभाग में नियुक्त हुआ था। उसने 9 बार हवाला से रुपए जुटाए। शाहिद युसूफ अपने अब्बा का गलत नाम लिख कर दुबई भी गया था। वो उत्तर कश्मीर के आतंकी नजीर अहमद कुरैशी से भी दुबई मिला था। टेरर फंडिंग मामले में जाँच के बाद सुरक्षा एजेंसियों को पता चला।

शाहिद को एजाज अहमद बट्ट से भी रुपए मिल रहे थे। एजाज बट्ट उसके अब्बा सलाहुद्दीन का करीबी है। शाहिद उससे फंड्स प्राप्त करने के लिए विभिन्न पहचान पत्रों का इस्तेमाल कर रहा था। एजाज भी 1990 में पाकिस्तान भागा था और वहीं से आतंकियों की फंडिंग करता है। इन दोनों पर सरकारी सेवा में रहते राष्ट्र के खिलाफ युद्ध की साजिश का आरोप है। चूँकि ये सरकारी कर्मचारी थे, ये आसानी से ये सब कर रहे थे।

इन दोनों को बरखास्त किए जाने के विरोध में जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने भी बयान दिया है। उनका कहना है कि पिता के गुनाहों की सज़ा बेटों को कैसे दी जा सकती है, जब कोई जाँच ही नहीं हुई। सच्चाई ये है कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल से लेकर NIA तक की जाँच में उनकी करतूतें पता चल गई थीं। साथ ही उन्होंने 11 कर्मचारियों को निकाले जाने के फैसले को भी ‘आपराधिक’ करार दिया। उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति को बंधक बनाया जा सकता है, पर विचारों को नहीं।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

बंगाल के मेदिनीपुर में भाजपा कार्यकर्ता के बेटे की लाश लटकी हुई, TMC कार्यकर्ताओं-BJP प्रदेश अध्यक्ष के बीच तनातनी: मर चुकी है राज्य सरकार...

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के बीच बंगाल भाजपा ने आरोप लगाया है कि TMC के गुंडे चुनाव को प्रभावित कर रहे हैं।

नहीं होगा VVPAT पर्चियों का 100% मिलान, EVM से ही होगा चुनाव: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की सारी याचिकाएँ, बैलट पेपर की माँग भी...

सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट वेरिफिकेशन की माँग से जुड़ी सारी याचिकाएँ 26 अप्रैल को खारिज कर दीं। कोर्ट ने बैलट पेपर को लेकर की गई माँग वाली याचिका भी रद्द कीं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe