कल (शुक्रवार, 6 दिसंबर, 2019 को) बाबरी मस्जिद के ढाँचे के ध्वंस का दिन है। 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में हिंदूवादी कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद के ढाँचे को तोड़ डाला था। जहाँ हिंदूवादी और राष्ट्रवादी इसे ‘शौर्य दिवस’ के रूप में मनाते हैं, वहीं सेक्युलरवादियों और इस्लामी समर्थकों के लिए यह ‘काला दिवस’ और ‘शोक दिवस’ होता है। पिछले महीने ही आए अयोध्या के फैसले के चलते इस बार प्रशासन बहुत ज़्यादा सतर्कता बरत रहा है, ताकि किसी भी पक्ष की भावनाएँ आहत होने से हिंसा न भड़क उठे। एहतियातन हैदराबाद में धारा 144 लागू कर दी गई है।
Sec 144 in city ahead of Babri anniversary https://t.co/HJo55X3SCs
— TOI Hyderabad (@TOIHyderabad) December 4, 2019
हैदराबाद पुलिस द्वारा जारी यह आदेश आज (गुरुवार, 5 दिनसंबर, 2019) से शनिवार (7 दिसंबर, 2019, परसों) तक जारी रहेगा। इसके तहत शाम को 6 बजे से सुबह के 6 बजे तक निषेधाज्ञा लागू रहेगी और लोग किसी भी प्रकार के धरने, प्रदर्शन, रैली (मोटरसाइकिल रैली को शामिल करते हुए) या बैठक में हिस्सा नहीं ले सकते। मज़हबी द्वेष उत्पन्न करने, समुदायों या विभिन्न समुदाय के लोगों के बीच वैमनस्य पैदा करने, या फिर अन्य किसी भी तरह से सार्वजनिक शांति एवं कानून-व्यवस्था को भंग करने वाले चित्रों, प्रतीक चिह्नों, झंडों पर मनाही होगी।
गौरतलब है कि 9 नवंबर, 2019 के अपने ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यों वाली संविधान बेंच ने राम जन्मभूमि स्थल का पूरा मालिकाना हक हिन्दुओं दिया था। साथ ही मस्जिद बनाने के लिए दूसरे पक्ष को अलग से 5 एकड़ ज़मीन देने के निर्देश केंद्र सरकार को दिए थे। इस पीठ की अध्यक्षता तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई ने की थी और इसमें जज जस्टिस अब्दुल नज़ीर भी शामिल थे। पीठ ने अपना फैसला सर्वसम्मति से दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ़ कर दिया था कि दूसरा पक्ष विवादित ज़मीन के भीतरी हिस्से पर अपना दावा साबित करने में विफल रहा और सारा विवाद भीतरी हिस्से को लेकर ही है। इसीलिए इलाहबाद हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए पूरा स्थल हिन्दुओं को दे दिया था।
इस फैसले के बाद हिन्दुओं से लेकर देश की न्यायपालिका तक पर विषवमन करने वाले नेताओं में ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तिहाद अल मुसलमीन के प्रमुख अकबरुद्दीन ओवैसी सबसे आगे रहे थे, जो हैदराबाद से लोकसभा सांसद भी हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा था कि खैरात में पाँच एकड़ जमीन नहीं चाहिए।