सुप्रीम कोर्ट में उस समय सभी की नजरें भारत के सबसे लोकप्रिय वरिष्ठ अधिवक्ताओं में से एक हरीश साल्वे की तरफ घूम गईं, जब उन्होंने एक महिला का केस मुफ्त में लड़ने के लिए हामी भर दी। हुआ यूँ कि एक रिटायर्ड सैन्य अधिकारी की पत्नी सुप्रीम कोर्ट में एक मामले को लेकर आईं और उन्होंने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे से आग्रह किया कि उनके मामले में एक वकील को एमिकस क्यूरी (Amicus Curiae) बना दिया जाए।
दरअसल, जो आरोपित वकील रखने की वित्तीय स्थिति में नहीं हैं, उन्हें सरकारी खर्च से कोर्ट ही वकील मुहैया करा देता है और इस प्रकार सुनवाई आगे बढ़ती है। केस में किसी भी स्टेज में एमिकस क्यूरी को बहाल किया जा सकता है। कई मामलों में कोर्ट की सहायता के लिए ऐसी नियुक्ति होती है। इस शब्द का अर्थ ही होता है – न्यायालय का मित्र। सम्बंधित मामले में वो कोर्ट को क़ानूनी पहलुओं की जानकारी देता है।
इसी तरह उक्त महिला ने भी सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि उनके पास वकील को देने के लिए रुपए नहीं हैं। महिला ने बताया कि उसकी बेटी लंदन में रहने के लिए भी संघर्ष कर रही है। साथ ही पूछा कि क्या इस मामले में एमिकस क्यूरी के रूप में हरीश साल्वे को नियुक्त किया जा सकता है? हरीश साल्वे से जब CJI ने पूछा कि क्या वो इसके लिए तैयार हैं, तो उन्होंने सकारात्मक जवाब दिया।
याचिकाकर्ता महिला ने एक बार फिर कहा कि उसके पास पैसे नहीं हैं। इसके बाद हरीश साल्वे ने कहा कि वो इस केस में एमिकस क्यूरी के रूप में नहीं, बल्कि याचिकाकर्ता की तरफ से बतौर अधिवक्ता पैरवी करेंगे। उन्होंने कहा कि वो ये सार्वजनिक भलाई के लिए कर रहे हैं, याचिकाकर्ता को रुपयों को लेकर तनाव लेने की कोई ज़रूरत नहीं है। इसके बाद याचिकाकर्ता महिला ने कहा – “ओह! सत्य हमेशा विजयी होता है।“
CJI: Will you appear for her?
— Bar & Bench (@barandbench) November 24, 2020
Petitioner: I dont have money..
Salve: I will appear as the lawyer. Not amicus..don’t worry about fine. Its pro bono
Petitioner: oh! Truth always wins#SupremeCourt
विभिन्न खबरों की मानें तो हरीश साल्वे एक सुनवाई के लिए 15-30 लाख रुपयों के बीच फी लेते हैं और कई बार ये बात इस पर निर्भर करता है कि केस कितना जटिल है और क्लाइंट कौन है। रतन टाटा की भी वो पहली पसंद थे। मुकेश अम्बानी के खिलाफ जब राम जेठमलानी और मुकुल रोहतगी जैसे वकील थे, तब हरीश साल्वे ने उन्हें केस जिताया था। सामान्यतः सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने वाले साल्वे ज़रूरत पड़ने पर हाईकोर्ट्स में भी सुनवाइयों में हिस्सा लेते हैं।
तलोजा जेल से रिहा होने के बाद रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी ने भी लाइव शो में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे के प्रति आभार व्यक्त किया था। साल 2018 के सुसाइड केस में बेल दिलाने के लिए हरीश साल्वे ने ही उनके केस को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया था और अपने तर्कों से वो अर्णब को जमानत दिलाने में सफल भी हुए। उन्होंने बताया कि साल्वे ने उनका केस कोर्ट में लड़ने के लिए न्यूज नेटवर्क से 1 रुपया भी नहीं लिया।
सितम्बर 2019 में पूर्व केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बाँसुरी ने कुलभूषण जाधव को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मौत की सज़ा से बचाने वाले भारत के वकील हरीश साल्वे को उनकी फीस का वह एक रुपया भेंट किया, जो अपनी आकस्मिक मृत्यु के महज़ कुछ घंटे पहले स्वराज ने साल्वे से आकर अगले दिन ले जाने के लिए कहा था। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पाकिस्तान के खिलाफ दलीलें देकर हरीश साल्वे ने जाधव को फाँसी के फंदे से बचाया था।