Friday, April 26, 2024
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आतंकियों की तरह FIR, क्या आयुर्वेद पर काम करना गुनाह है? – बाबा रामदेव ने पूछा- ‘सिर्फ कोट-टाई वाले करेंगे रिसर्च?’

"क्या हिंदुस्तान में योग के लिए काम करना गुनाह है? क्या सिर्फ कोट और टाई पहनने वाले ही रिसर्च करने के हकदार हैं, धोती वाले नहीं कर सकते? क्या कुछ लोगों ने रिसर्च का ठेका ले रखा है?"

अपने खिलाफ जारी ‘विच हंट’ से परेशान बाबा रामदेव ने पूछा है कि उनके साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है जैसा आतंकवादियों के साथ किया जाता है? कोरोनिल दवा पर उपजे विवाद के बीच ‘पतंजलि आयुर्वेद’ के सर्वेसर्वा और योगगुरु रामदेव ने अपने ख़िलाफ़ कई राज्यों में हुए FIR पर बोलते हुए उन्होंने अपनी पीड़ा साझा की। हरिद्वार में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बाबा रामदेव ने इन FIR और कोरोनिल विवाद पर जवाब दिया।

बाबा रामदेव ने कहा कि वो और उनकी टीम योग और आयुर्वेद से लोगों को स्वस्थ जीवन जीने की शिक्षा दे रही है लेकिन फिर भी उन पर सवाल उठाए जा रहे हैं। आयुष मंत्रालय ने भी ‘पतांजलि आयुर्वेद’ के बारे में कहा है कि उसने कोविड-19 के क्षेत्र में अच्छी पहल की है। बाबा रामदेव ने कहा कि इस बयान से विरोधियों के इरादे नाकाम हो गए हैं। साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि कोरोना से निपटने की दिशा में उन्होंने जो भी कार्य किए हैं, वो सब भविष्य में भी जारी रहेगा।

बाबा रामदेव ने जानकारी दी कि गिलोय, अश्वगंधा तुलसी की सुनिश्चित मात्रा लेकर कोरोनिल तैयार की गई है। साथ ही उन्होंने बताया कि दालचीनी और अन्य से श्वासारी वटी तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि सब आधुनिक विज्ञान की प्रक्रिया के तहत हो रहा है। उन्होंने बताया कि इसके लिए कई तरह के अलग-अलग लाइसेंस प्राप्त करने पड़े हैं, जिसके लिए यूनानी और आयुर्वेद मंत्रालय से अनुमति लेनी होती है।

कोरोनिल पर बाबा रामदेव की ताज़ा प्रेस कॉन्फ्रेंस (साभार: जी हिंदुस्तान)

बाबा रामदेव कोरोनिल को लेकर अपने खिलाफ हुए कई सारे FIR से भी व्यथित दिखे। उन्होंने पूछा कि क्या हिंदुस्तान में योग के लिए काम करना गुनाह है? उन्होंने अगला सवाल दागा कि क्या सिर्फ कोट और टाई पहनने वाले ही रिसर्च करने के हकदार हैं, धोती वाले नहीं कर सकते? बता दें कि वामपंथियों ने बाबा रामदेव व ‘पता जाली आयुर्वेद’ के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार अभियान चला रखा है। इस पर उन्होंने कहा:

मेरे खिलाफ कई FIR दर्ज कराई गई। दवा बनाकर क्या मैंने कोई गुनाह कर दिया है? अगर आप सत्कार नहीं कर सकते तो कम से कम तिरस्कार तो मत कीजिए। अभी तो हमने एक कोरोना के बारे में क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल का डाटा देश के सामने रखा तो एक तूफान सा उठ गया। सारे के सारे ड्रग माफिया, मल्टीनेशनल कंपनी माफिया, भारतीय और भारत विरोधी ताकतों की जड़ें हिल गईं। जिस तरह से देशद्रोहियों के विरुद्ध मुक़दमे दर्ज होते हैं, ठीक उसी तरह मुकदमे दर्ज कराए गए। ये मानसिकता हमे कहाँ लेकर जाएगी? मैं और आचार्य बालकृष्ण पिछले 35 वर्षो से साथ मिल कर काम कर रहे है। हम दोनों सामान्य परिवार से आते हैं, इसीलिए कुछ लोगो को मिर्ची लगती है।”

बाबा रामदेव ने एक के बाद एक तर्क देकर दुष्प्रचार फैलाने वालों की बोलती बंद की। योगगुरु ने कहा कि उन्होंने पिछले 3 दशक से कई लोगों को निरोग बनने का प्रशिक्षण दिया है। उन्होंने दावा किया कि सोशल मीडिया पर यह बात भी फैला दी गई थी कि एक हफ्ते में बाबा जेल जाने वाले हैं। बकौल बाबा रामदेव, उनकी जाति और धर्म को लेकर भी आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की गईं। उन्होंने कहा कि ‘पतंजलि आयुर्वेद’ ने कोरोनिल दवा से जुड़ी पूरी रिसर्च आयुष मंत्रालय को सबमिट कर दी थी, जिसे कोई भी देख सकता है।

बाबा रामदेव ने जानकारी दी कि उनकी संस्था ने योग एवं आयुर्वेद पर 10 हज़ार करोड़ का ढाँचा तैयार किया है। साथ ही बताया कि सारे रिसर्च पैरामीटर के अनुरूप ही किए गए हैं। बकौल बाबा रामदेव, क्लिनिकल ट्रायल में पाया गया कि चीजें कंट्रोल हो रही हैं। उन्होंने जानकारी दी कि जिन्हें 6 लेवल तक बीमारी बढ़ गई थी, वो लेवल एक-दो तक आ गए। उन्होंने पूछा कि क्या कुछ लोगों ने रिसर्च का ठेका ले रखा है?

इधर पतंजलि द्वारा निर्मित कोरोनिल को आयुष मंत्रालय ने बतौर इम्युनिटी बूस्टर मंगलवार (जून 30, 2020) को अप्रूव करते हुए उन्हें लाइसेंस दे दिया। हालाँकि मंत्रालय ने पतंजलि को यह स्पष्ट किया कि वह कोरोनिल को कोरोना वायरस का उपचार बताकर नहीं बेच सकते। मंत्रालय ने यह भी कहा कि बाबा रामदेव की दिव्य योग फार्मेसी कोरोनिल की पैकेजिंग पर कोरोना का उल्लेख कहीं भी नहीं कर सकती और न ही उससे संबंधित चित्र छाप सकती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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