दिल्ली क्राइम ब्राँच, एनआईए व अन्य एजेंसियों से मिले इनपुट पर यूपी एटीएस आतंकवादियों के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है। इसी कड़ी में यूपी एटीएस ने छत्तीसगढ़ के दुर्ग से आईएसआईएस (ISIS) समूह के एक और आतंकी वजीहुद्दीन अली खान को गिरफ्तार किया है। वजीहुद्दीन अली खान उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में पीएचडी कर रहा है। इसके साथ ही वह छात्रों को पढ़ाता भी है। उससे जुड़े दो छात्रों को यूपी एटीएस ने कुछ समय पहले ही अलीगढ़ से पकड़ा था। अब वजीहुद्दीन को दुर्ग से गिरफ्तार किया, जहाँ वो छिपने के लिए भागा हुआ था।
ऑपइंडिया को पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, गिरफ्तार आतंकी वजीहुद्दीन मूल रूप से छत्तीसगढ़ के दुर्ग का रहने वाला है। वो एएमयू में पीएचडी करने के साथ ही जूनियर छात्रों को सामाजिक विज्ञान विषय (इतिहास, भूगोल और नागरिक शास्त्र) पढ़ाता था। उसके छात्रों में हिंदू छात्र भी शामिल हैं। खास बात ये है कि उसकी विचारधारा से जुड़े हुए लोग वजीहुद्दीन को ‘अमीर’ कहते थे। इसका मतलब ‘शासक’ होता है।
यूपी एटीएस ने इस सप्ताह की शुरुआत में एएमयू से वजीहुद्दीन के दो सहयोगियों- अब्दुल्ला अर्शलान और माज़ बिन तारिक को गिरफ्तार किया था। ये दोनों ISIS के पुणे मॉड्यूल से जुड़े थे। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब एटीएस अर्शलान और तारिक से पूछताछ कर रही थी तो वजीहुद्दीन का नाम सामने आया था। एटीएस ने बताया है कि वजीहुद्दीन लगातार अपने आईएसआईएस हैंडलर के संपर्क में था और वो आतंकी हमलों की योजना बना रहा था। उस पर और अधिक मुस्लिमों को जिहाद के लिए प्रोत्साहित करने और उन्हें आईएसआईएस से जोड़ने की जिम्मेदारी भी थी।
यूपी एटीएस का दावा है कि एएमयू में वजीहुद्दीन ही आईएसआईएस का मुख्य आतंकी था, जिसने दोनों को ISIS आतंकी बनने के लिए तैयार किया था। वो आईएसआईएस के लिए ओजीडब्ल्यू (ओवर ग्राउंड वर्कर) के तौर पर भी काम कर रहा था। इसमें से अर्शलान पेट्रोलियम और केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक है और तारिक बीकॉम कर रहा है।
अर्शलान और माज बिन तारिक की गिरफ्तारी के बाद यूपी एटीएस ने जब प्रेस रिलीज जारी की तो उसमें साफ तौर पर बताया गया था कि पुणे आईएसआईएस मॉड्यूल से जुड़े आतंकियों- शाहनवाज आलम उर्फ शफी उज्जमा और रिजवान का एएमयू के SAMU (स्टूडेंट्स ऑफ एएमयू) ग्रुप के साथ गहराई से जुड़ाव था। कट्टरपंथी मुस्लिम युवाओं के ग्रुप सामू (SAMU) से जुड़ा शाहनवाज और रिजवान आईएसआईएस के लिए भर्तियाँ कर रहे थे। SAMU ग्रुप का मुखिया वजीहुद्दीन था। उसे सामू से जुड़े इस्लामिक कट्टरपंथी ‘अमीर’ कहते थे।
वजीहुद्दीन और बाकी दोनों गिरफ्तार आतंकियों के पास से आईएसआईएस के जिहादी साहित्य बरामद हुए हैं। इसे वो अन्य छात्रों के साथ शेयर कर रहे थे। बता दें कि पुणे आईएसआईएस मॉड्यूल में गिरफ्तार शाहनवाज, रिजवान और अरशद वारसी अयोध्या, अक्षरधाम मंदिर और चाबड़ हाउस पर आतंकी हमले की योजना बना रहे थे। ये सभी एक-दूसरे के संपर्क में थे। शाहनवाज, रिजवान और अरशद की गिरफ्तारी के बाद ही यूपी एटीएस ने एएमयू से जुड़े उनके कनेक्शन की जाँच तेज कर दी थी।
ISIS का पुणे मॉड्यूल और दिल्ली दंगों का कनेक्शन: आतंकी अरशद और शरजील इमाम
NIA ने 3 अक्टूबर 2023 को जिन तीन जिहादियों को गिरफ्तार किया था, वो आईएसआईएस के पुणे मॉड्यूल से जुड़े थे। इसमें शाहनवाज पुणे से भागकर दिल्ली में छिपा हुआ था। उसे छिपाया था अरशद वारसी ने, जो शरजील इमाम का साथी है। शाहनवाज झारखंड के हजारीबाद का रहने वाला है। वो आईएसआईएस के हैंडलर के साथ मिलकर देश के अलग-अलग हिस्सों में हमलों की तैयारी कर रहा था। इसके लिए उसने पूरी टीम तैयार कर ली थी। पुणे से भागने के बाद उस पर 3 लाख का ईनाम भी घोषित किया गया था। हिंदू लड़की से शादी करने वाले शाहनवाज के पास से बम और आईईडी बनाने में लगने वाले सामान भी बरामद हुए थे।
शाहनवाज (31) पहली बार 2016 में दिल्ली आया था। वो हिज्ब-उत-तहरीर नाम के रेडिकल संगठन से जुड़ा था और शाहीन बाग जाकर उसकी तकरीरें सुना करता था। शाहीन बाग में आने के बाद वो आईएसआईएस से जुड़ गया। यहाँ पर वह रिजवान से मिला और दोनों दोस्त बन गए। खास बात ये है कि शाहनवाज को पनाह देने वाला अरशद वारसी भी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से बी.टेक की पढ़ाई करने के बाद साल 2016 में ही दिल्ली आया था। फिर दोनों दोस्त बन गए।
अरशद वारसी जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से ‘प्रबंधन में इस्लामी सिद्धांत’ पर पीएचडी कर रहा था। वो शरजील इमाम के साथ दिल्ली दंगों की प्लानिंग में भी शामिल रहा था। उसने शाहनवाज को पनाह दी थी और दोनों एएमयू के आईएसआईएस मॉड्यूल के साथ जुड़े थे। दोनों के पाकिस्तानी हैंडलर भी एक थे और आईएसआईएस का भी हैंडलर एक ही था। दिल्ली पुलिस ने 2020 के हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों में 2700 पन्नों की चार्जशीट में 700 पन्नों पर सिर्फ इन दंगों से इनके जुड़ाव की क्रोनोलॉजी ही समझाई है।
ये क्रोनोलॉजी ऐसे समझें कि- 4 दिसंबर 2019 को सिटिजनशिप एमेंडमेंट बिल (सीएबी) को संसद के दोनों सदनों में रखा गया। इसके अगले ही दिन यानी 5 दिसंबर 2019 को शरजील इमाम ने मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू (MSJ) नाम का ग्रुप बनाया। इस पूरे ग्रुप को बनाने का आईडिया भी उसी का था। इस ग्रुप की चैट दिल्ली पुलिस ने हासिल की है, जिसमें साफ पता चला है कि शरजील इमाम और अरशद वारसी (जामिया का ही पीएचडी स्टूडेंट) दोनों लगातार संपर्क में थे। वहीं, शरजील इमाम स्टूडेंट्स ऑफ जामिया (SOJ) नाम के ‘रेडिकल कम्युनल ग्रुप’ से भी जुड़ा था।
दिल्ली जंगों की जाँच और चार्जशीट दायर करने के दौरान भी लगा कि अरशद वारसी एक ‘भटका हुआ मासूम नौजवान’ छात्र है, जो संगत की वजह से ऐसे खूँखार आतंकियों के बीच रह रहा हो। हालाँकि अब साफ हो चुका है कि अरशद वारसी कोई मासूम लड़का नहीं, बल्कि खुद ही आईएसआईएस का खूँखार आतंकी है, जो दिल्ली दंगों की प्लानिंग और हिंसा से जुड़ी चीजों के कोर्डिनेशन में शुरुआत से ही जुड़ा हुआ था।
दिल्ली दंगों को लेकर चार्जशीट में शरजील इमाम और अरशद की चैट शामिल है, इसे यहाँ पढ़ सकते हैं।
कौन है वजीहुद्दीन खान, जिसे यूपी एटीएस ने छत्तीसगढ़ से पकड़ा?
आतंकी वज़ीउद्दीन मूलतः छत्तीसगढ़ के दुर्ग का ही रहने वाला है और वह AMU से पीएचडी कर रहा था। वज़ीउद्दीन अलीगढ़ में अपने जूनियर छात्रों को सामाजिक विज्ञान (इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र) विषय पढ़ाता था। इनमें हिंदू छात्रों की भी अच्छी तादाद होती थी। वज़ीउद्दीन को उसकी विचारधारा से जुड़े लोग ‘अमीर’ कह कर पुकारते थे। अमीर शब्द मुस्लिमों में बादशाह की उपाधि माना जाता है।
ऑपइंडिया ने मई 2023 में ‘अल हया मिन अल्लाह’ नाम के एएमयू ग्रुप के साथ उसके संबंधों को दुनिया के सामने रखा था। वो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों को एक साथ मिलकर ‘अल्लाह के रास्ते’ पर चल रहा था। ये ग्रुप 2019 में बना और विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में ‘हया’ कार्यक्रम के जरिए छात्रों को इस्लाम की शिक्षा दे रहा था, जिसमें पुरुषवादी सोच, सर्वोच्चतावादी और घोर सांप्रदायिक एजेंडा शामिल था। यह एक महीना लंबा कार्यक्रम था, जिसमें लोकतंत्र की खिलाफत की जाती थी।
वजीहुद्दीन पर ऑपइंडिया की बड़ी स्टोरी यहाँ पढ़ें, जो मई 2023 में ही प्रकाशित की गई थी। वजीहुद्दीन ‘हया’ के नाम पर छात्रों को उत्तेजित करता था और ‘अल्लाह’ के दिखाए रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करता था। वह कुरान को ही मुस्लिमों का संविधान बताता था। उसी स्पीच की सामू के फेसबुक पेज पर भी शेयर किया गया था। ये वो समय था, जब दिल्ली में सीएए के खिलाफ कथित प्रदर्शन चल रहे थे। वो एंटी-सीएए प्रदर्शनों में जोर-शोर से शामिल होता था। यही नहीं, वो पीएफआई और शरजील इमाम का भी समर्थक है। 26 सितंबर 2022 की उसकी ये पोस्ट काफी कुछ कहती है।
वजीहुद्दीन और अरशद वारसी का कनेक्शन
वजीहुद्दीन का फेसबुक प्रोफाइल अभी या तो लॉक्ड है या फिर उसे यूपी एटीएस की छापेमारी के दौरान बंद कर दिया गया, लेकिन उसका और अरशद वारसी का कनेक्शन साफ तौर पर दिखता है। अरशद वारसी उसे अपने कई पोस्ट में ‘अमीर’ के तौर संबोधित करता है और उसे समर्थन देता है।
अरशद वारसी ने 6 दिसंबर को वजीहुद्दीन अली खान की स्पीच को शेयर किया और SAMU की तारीफ की। ये वीडियो 6 दिसंबर 2019 का है, जो बाबरी विध्वंस की बरसी का दिन होता है। उसके खिलाफ एएमयू में प्रदर्शन किया गया था। यहाँ पर हिंदुओं के खिलाफ नारेबाजी भी हुई थी और भड़काऊ पोस्ट के मामले में 2 छात्रों पर कार्रवाई भी की गई थी।
इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि चीन के पैसों पर चलने वाला वेबसाइट न्यूजक्लिक, वामपंथी एजेंडा पोषित स्क्रॉल, वायर जैसे संस्थानों ने SAMU के प्रदर्शन का बचाव किया था, जिसमें वजीहुद्दीन ने भाषण दिया था और अरशद वारसी ने जिसे शेयर किया था। फिलहाल दोनों आईएसआईएस आतंकवादी के तौर पर गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
खास बात ये है कि अरशद वारसी इन प्रदर्शनों से पहले भी 4 मई 2019 को वजीहुद्दीन की तारीफ करने वाले पोस्ट फेसबुक पर कर चुका था। ये प्रोफाइल अभी एक्सेस नहीं की जा सकती, लेकिन वारसी ने इसका समर्थन किया था, जिसमें हिंदुओं और यहूदियों को ‘काफिर’ के तौर पर ट्रीट करने की बात कही गई थी।
अरशद वारसी और वजीहुद्दीन सीएए विरोधी प्रदर्शनों से पहले से संपर्क में थे। साल 2018 में वारसी ने वजीहुद्दीन की फेसबुक प्रोफाइल ब्लॉक करने की शिकायत की थी और इसके पीछे की वजह बताई थी कि उसने ‘संघी आतंकवाद’ के खिलाफ जुमा खुतबा का वीडियो शेयर किया था।
मई 2018 में एएमयू में जिन्ना की तस्वीर का मामला सामने आया था, जिसके खिलाफ प्रदर्शन हुए थे और एएमयू में कट्टरपंथियों की पकड़ इतनी है कि उन्होंने प्रदर्शन कर रहे जिन्ना विरोधी छात्रों पर हमला किया था। इसी दौरान एएमयू में ‘आजादी’ वाले आपत्तिजनक नारे लगाए गए थे। वजीहुद्दीन एएमयू के अंदर साप्ताहिक ‘दावा’ मीटिंग में सालों तक शामिल होता रहा है।
ये सारे तथ्य इस बात को चीख-चीख कर बताते हैं कि वजीहुद्दीन और अरशद वारसी सालों से एक-दूसरे से जुड़े हुए थे, कम से कम 2018 से तो खुले तौर पर। दोनों आईएसआईएस के ऑपरेटिव हैं और दोनों ही सीएए-विरोधी आंदोलनों में एएमयू और जामिया में शामिल थे।
वजीहुद्दीन-अरशद वारसी और दिल्ली दंगों का लिंक
उपरोक्त जानकारियों से ये साफ है कि अरशद वारसी दिल्ली में हिंसा की शुरुआत से शरजील के साथ रहा। वो 6 दिसंबर को वजीहुद्दीन के पोस्ट शेयर करता है। ये वही समय है, जब दिल्ली दंगों का बीज बोया जा रहा था। अरशद का पोस्ट ये बताता है कि वो न सिर्फ वजीहुद्दीन का समर्थन कर रहा था, बल्कि वो पर्सनल लेवल पर भी उससे जुड़ा था। यही नहीं, वजीहुद्दीन के दो साथियों- अर्शलान और माज की गिरफ्तारी के दौरान यूपी एटीएस भी इस लिंक को जोड़ चुकी है कि शाहनवाज और अरशद से मिले लिंक के बाद एएमयू और सामू से जुड़े आईएसआईएस आतंकियों की गिरफ्तारी की गई है।
उदाहरण के तौर पर इस लिंक का जुड़ाव इस बात से समझें कि 7 दिसंबर 2019 को शरजील इमाम ने कहा कि वो ‘यूनाइटेड अंगेस्ट हेट’ द्वारा बुलाए गए प्रदर्शनों में शामिल होगा। इसका खुलासा अरशद वारसी के साथ उसकी वॉट्सऐप चैट से भी हुआ है। वैसे प्रदर्शन में शामिल होना गलत नहीं है, लेकिन यहाँ पर 7 दिसंबर को ही शरजील इमाम कहता है कि वो अगले सप्ताह कुछ ‘बड़ा’ प्लान कर रहा है और इसके लिए उसे दिल्ली यूनिवर्सिटी, एएमयू और अन्य जगहों से छात्रों को एमएसजे की मदद से इकट्ठा करना होगा।
इसी के बाद अरशद वारसी टेफला ढाबा पर एमएसजे ग्रुप की कोर कमेटी के सदस्यों की बैठक के मिनट्स शेयर करता है। इसमें सिंपल बात कही गई थी कि यूनाइटेड अगेंट्स हेट के प्रदर्शन को पूरी तरह से सफल बनाना है और इसमें मुस्लिमों के साथ ही गैर-मुस्लिम छात्रों को भी जुटाना है। यहाँ ये ध्यान देने वाली बात है कि उसी सप्ताह जामिया से दंगों की शुरुआत हुआ, तो दिल्ली के अन्य हिस्सों के साथ ही उत्तर प्रदेश तक फैल गई।
हिंसा के दौर की शुरुआत 15 दिसंबर को दिल्ली में हुई, जब मुस्लिमों की भीड़ की अगुवाई ओखला से आम आदमी पार्टी का विधायक और दिल्ली वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान ने किया। इस दौरान ‘हिंदुओं से आजादी’ के नारे भी लगाए गए। हिंसक प्रदर्शनों के दौरान बसों को फूँक दिया गया। उसी रात दिल्ली पुलिस ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कैंपस में घुसकर ऑपरेशन चलाया और हिंसक तत्वों को वहाँ से निकलने पर मजबूर कर दिया।
इसके दो दिन बाद सीलमपुर में भीषण दंगे भड़क उठे। दिल्ली पूरे युद्ध के मैदान में तब्दील हो गई। स्कूल बसों पर हमले किए गए और उन्हें आग के हवाले कर दिया गया। भीड़ ने पुलिस पर पत्थरबाजी की और अंकित जैसे आईबी अधिकारी को दर्दनाक तरीके से मौत के घाट उतार दिया गया।
खास बात ये है कि 8 दिसंबर को शरजील इमाम, योगेंद्र यादव और अन्य लोगों की एक अंडरग्राउंड मीटिंग हुई थी, जिसके बारे में चार्जशीट में पूरी जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि मीटिंग में चक्का जाम करने की योजना को अंतिम रूप दिया गया। यहीं पर ये तय हुआ कि शरजील इमाम दिल्ली और दिल्ली से बाहर के छात्रों के साथ सड़कों पर उतरेगा। इस मीटिंग का खुलासा भी शरजील इमाम और अरशद वारसी की चैट से ही हुई।
इसी मीटिंग के दिन ‘CAB TEAM’ नाम से एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया गया, जिसमें योगेंद्र यादव, उमर खालिद, शरजील इमाम, नदीम खाम, परवेज आलम जैसे लोग थे। इसी के बाद दिल्ली में लगभग हर दिन हिंदुओं के खिलाफ हिंसा बढ़ती चली गई, जिसकी परिणति दिल्ली के साल 2020 के हिंदू-विरोधी दंगों के रुप में हुई।
इस मामले में अभी तक की जानकारी के मुख्य अंश
- एनआईए ने 3 अक्टूबर 2023 को तीन आईएसआईएस आतंकवादियों को गिरफ्तार किया – झारखंड के हजारीबाग के निवासी शाहनवाज आलम (31); लखनऊ से मोहम्मद रिज़वान अशरफ (28); और झारखंड के गढ़वा जिले से मोहम्मद अरशद वारसी।
2. यूपी एटीएस ने कहा है कि शाहनवाज और रिजवान SAMU (एएमयू छात्र समूह) से करीबी तौर पर जुड़े हुए थे और आईएसआईएस के लिए भर्ती कर रहे थे।
3. ये तीनों- शाहनवाज, रिजवान और अरशद वारसी अयोध्या, अक्षरधाम मंदिर और चाबड़ हाउस में आतंकी हमले की योजना बना रहे थे।
4. अरशद वारसी के पास अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से बीटेक की डिग्री है और वर्तमान में वह जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) से पीएचडी कर रहा है। वह ‘प्रबंधन में इस्लामिक सिद्धांत’ पर शोध कर रहा है। इसके चलते वो जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय दोनों से ही जुड़ा है।
5. अरशद वारसी पुणे मॉड्यूल के मास्टरमाइंड शाहनवाज से बेहद करीब से जुड़ा है। ये वारसी ही है, जिसने पुणे से फरार होने के बाद शाहनवाज को दिल्ली में छिपाया, जबकि एनआईए ने उसके सिर पर इनाम रखा था।
6. अरशद वारसी दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों के मास्टरमाइंडों में से एक शरजील इमाम से करीबी तौर पर जुड़ा हुआ था।
7. दिल्ली दंगों की चार्जशीट में शरजील इमाम और अरशद वारसी के बीच हुई व्हाट्सएप चैट को शामिल किया गया है।
8. शरजील इमाम और अरशद वारसी 5 दिसंबर 2019 से जुड़े हुए थे, जब सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई जा रही थी। वारसी के साथ इन चैट्स में इमाम ने “कुछ बड़ा करने” खासतौर पर हिंसा के लिए कहा था।
9. अरशद वारसी ने 6 दिसंबर 2019 को ही फेसबुक पर वजीहुद्दीन अली खान और SAMU की तारीफ की थी। ये दिन बाबरी विध्वंस की बरसी का दिन होता है।
10. शरजील इमाम और अरशद वारसी की ओर से जो पर्चे छपवाए जा रहे थे, उनमें इस्लाम और बाबरी को लेकर सांप्रदायिक संदेश भी थे।
11. अरशद वारसी और शरजील इमाम ने 7 दिसंबर 2019 को दिल्ली में हिंसा की योजना बनाने के लिए बैठक की थी।
12. दिल्ली में हिंसा फैलाने के लिए 8 दिसंबर को एक अंडरग्राउंड मीटिंग हुई थी जिसमें उमर खालिद, शरजील इमाम और योगेन्द्र यादव मौजूद थे। उस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि शरजील इमाम चक्का जाम का आयोजन और नेतृत्व करेगा।
13. इसी के बाद 15 दिसंबर 2019 से दिल्ली में हिंसा भड़क उठी।
14. इसके बाद से लगभग हर रोज दिल्ली में हिंदुओं पर इस्लामिक कट्टरपंथियों ने हमले किए और फिर फरवरी 2020 में इस हिंसा ने वीभत्स रूप धारण कर लिया।
15. आईएसआईएस आतंकी के तौर पर जिस वजीहुद्दीन अली खान को अब गिरफ्तार किया गया है, वो कुछ समय पहले तक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से जुड़ा था और पूरी तरह से सक्रिय था। ऑपइंडिया ने मई 2023 में ‘अल हया मिन अल्लाह’ नाम के एएमयू ग्रुप के साथ उसके संबंधों को दुनिया के सामने रखा था।
16. वजीहुद्दीन अली खान ने 26 सितंबर 2022 को भी अपने फेसबुक पोस्ट में शरजील इमाम का समर्थन किया था।
17. अरशद वारसी, वजीहुद्दीन अली खान और अन्य आतंकवादी आईएसआईएस और पाकिस्तान के आईएसआई हैंडलर्स से जुड़े रहे।
इन बातों से ये साफ है कि दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगों के तार कई तरह से आईएसआईएस से जुड़ चुके हैं। अब आईएसआईएस आतंकवादी अरशद वारसी की गिरफ्तारी, आईएसआईएस आतंकवादी वजीहुद्दीन अली खान की गिरफ्तारी, उनके कनेक्शन और शरजील इमाम के लिंक जब सामने आ चुके हैं।
ऐसे में ये जरूरी हो जाता है कि दिल्ली पुलिस और एनआईए साल 2020 के हिंदू विरोधी दंगों में आतंकी कनेक्शन और आईएसआईएस की भागीदारी की जाँच करें। साल 2020 में दिल्ली दंगों में कई हिंदुओं ने अपनी जान गँवा दी थी।
मूल रूप से यह रिपोर्ट अंग्रेजी में नुपूर जे शर्मा द्वारा लिखी गई है। इसे पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।