Sunday, October 13, 2024
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गर्ल्स स्कूल का प्रिंसिपल जावेद अहमद शाह, आतंकियों का मददगार-पढ़ाता जिहाद का पाठ: J&K प्रशासन ने नौकरी से निकाला

जावेद अहमद शाह की आतंकियों के ओवरग्राउंड वर्कर के तौर पर काम कर रहा था। जमाते इस्लामी और हुर्रियत का कट्टर समर्थक है। 2016 में आतंकी बुरहान वानी को मार गिराए जाने के बाद घाटी में हुए हिंसक प्रदर्शनों में उसकी अहम भूमिका थी।

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने दो कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। इनके नाम हैं- फिरोज अहमद लोन और जावेद अहमद शाह। लोन जेल उपाधीक्षक के पद पर था। वहीं शाह अनंतनाग जिले के बीजबेहाड़ा गवर्नमेंट गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल में प्रिंसिपल था। सरकारी सेवा की आड़ में दोनों आतंकियों की मदद और जिहाद का प्रसार करने में लगे थे। इसकी वजह से इन्हें संविधान के अनुच्छेद 311 (2)(सी) के तहत सेवा मुक्त किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार जावेद अहमद शाह की शिक्षा विभाग में नियुक्ति बतौर लेक्चरर 1989 में हुई थी। प्रमोशन पाने के बाद वह बीजबेहाड़ा के स्कूल का प्रिंसिपल बन गया। वह आतंकियों के ओवरग्राउंड वर्कर के तौर पर काम कर रहा था। जमाते इस्लामी और हुर्रियत का कट्टर समर्थक है। 2016 में आतंकी बुरहान वानी को मार गिराए जाने के बाद घाटी में हुए हिंसक प्रदर्शनों में उसकी अहम भूमिका थी। अपने स्कूल ​सहित अन्य संस्थानों में हुर्रियत के हड़ताली कैलेंडर को लागू कराने में भी उसकी अहम भूमिका थी। वह स्कूल की छात्राओं को भी जिहादी पाठ पढ़ाता था। उनके शारीरिक शिक्षा पर रोक लगा रखी थी, क्योंकि इसे वह इस्लाम के खिलाफ मानता था। स्कूल में अपने संबोधन के दौरान वह अक्सर आतंकियों को सही ठहराता और छात्राओं को कट्टरपंथी विचारधारा अपनाने के लिए उकसाता था।

उसके साथ सेवा से बर्खास्त किया गया फिरोज अहमद लोन 2007-08 में सरकारी सेवा में बहाल हुआ था। 2012 में जेल विभाग में बतौर उपाधीक्षक तैनाती के दौरान उसने अपने पद का इस्तेमाल कर आतंकियों की मदद की। जेल में बंद आतंकियों की ओवरग्राउंड वर्करों के साथ बैठक का प्रबंध करता था। रिपोर्ट में बताया गया है कि वह हिजबुल मुजाहिदीन का सक्रिय सदस्य था और कई युवकों को आतंकी ट्रेनिंग के लिए गुलाम कश्मीर भेजने में भी मदद की। वह हिज्बुल मुजाहिद्दीन के कमांडर रियाज नायकू के लिए काम करता था। नायकू मई 2020 में मार गिराया गया था।

रिपोर्ट के अनुसार लोन की सरकारी सेवा में बहाली तब हुई थी जब उमर अब्दुल्ला राज्य के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। इसी तरह शाह सेवा में तब आया जब उमर के पिता फारूक अब्दुल्ला सीएम थे। गौरतलब है कि इस साल अब तक 29 सरकारी कर्मचारी आतंकी कनेक्शन की वजह से जम्मू-कश्मीर में सेवा से बर्खास्त किए जा चुके हैं। इनमें अलगाववादी नेता रहे सैयद अली शाह गिलानी का पोते अनीस-उल-इस्लाम भी शामिल है। उसके साथ-साथ डोडा के एक शिक्षक को भी सरकारी नौकरी से निकाल बाहर किया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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