झारखंड में बीते 29 दिसंबर को हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो, कॉन्ग्रेस और राजद की सरकार बनी थी। सोरेन के शपथ लेने के 4 घंटे के भीतर ही पहली कैबिनेट बैठक में पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़े मामले वापस लेने का फैसला किया गया था। इस आंदोलन के दौरान जमकर हिंसा हुई थी। अपहरण, गैंगरेप जैसी घटनाओं को अंजाम दिया गया था। बावजूद इसके सियासी फायदे के लिए सरकार ने दर्ज एफआईआर की वापसी फैसला लिया। अब इसका असर दिखना शुरू हो गया। इस फैसले को महीना भर भी नहीं हुआ है कि राज्य में पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा 7 ग्रामीणों की हत्या कर लाश जंगल में फेंक देने की खबर आई है।
घटना पश्चिम सिंहभूम जिले के गुदड़ी की है। यहाँ पत्थलगढ़ी समर्थकों ने इसका विरोध करने वाले बुरुगुलीकेरा ग्राम पंचायत के उपमुखिया समेत सात ग्रामीणों की हत्या कर दी। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पत्थलगड़ी समर्थक इन्हें अगवा कर जंगल में ले गए फिर बेरहमी से हत्या कर दी। मृतकों में उपमुखिया और अन्य 6 ग्रामीण शामिल हैं।
Jharkhand Police: Following the standard operating procedure, heavy police force is camping in Gulikera village. Further reinforcements have also been called. Since it is a big tip off, police is taking all necessary measures. https://t.co/oLezHIYsDf
— ANI (@ANI) January 21, 2020
घटना मंगलवार (जनवरी 21, 2019) दोपहर की बताई जा रही है, हालाँकि पुलिस को इसकी देर से सूचना मिली। फिलहाल इलाके में भारी संख्या में पुलिस की तैनाती कर दी गई है। मामले की जाँच की जा रही है। झारखंड पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि हर जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। स्थानीय अधिकारियों ने सात लोगों की मौत की पुष्टि की है। झारखंड के एडीजी (ऑपरेशन) मुरारी लाल मीणा ने बताया कि बुरुगुलीकेरा से 3 किमी दूर से सभी शव बरामद किए गए हैं। पूरा इलाका पहाड़ियों से घिरा है।
https://platform.twitter.com/widgets.js#UPDATE ADG (operations) Murari Lal Meena: All seven bodies recovered from a place 3 km away from Gulikera village. The etnire area is surrounded by hills. #Jharkhand https://t.co/VWfHjn3m1B
— ANI (@ANI) January 22, 2020
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रविवार (जनवरी 19, 2019) को पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़े लोगों ने ग्रामीणों के साथ एक मीटिंग की थी। बैठक में कुछ ग्रामीणों ने पत्थलगड़ी का विरोध किया था। इससे दो गुटों में विवाद हो गया और फिर मारपीट भी हुई थी। तभी से दोनों गुटों में तनाव हो गया और अब इस वारदात को अंजाम दिया गया।
झारखंड के पूर्व डीजीपी गौरी शंकर रथ ने दैनिक जागरण को बताया, “पत्थलगड़ी से संबंधित मुकदमे वापस लिए जाने का फैसला सरकार का नीतिगत फैसला है। जिस आंदोलन में रक्तपात हुआ हो, भीड़ हिंसक रही हो, पथराव हुआ हो, तीर-धनुष चले हों, वैसे मुकदमे वापस नहीं होने चाहिए। इससे ऐसे तत्वों का मनोबल बढ़ेगा जो भविष्य के लिए चुनौती पैदा करेंगे।”
गौरतलब है कि पत्थलगड़ी आंदोलन की शुरुआत खूँटी से ही हुई थी। झारखंड में आदिवासी हितों के नाम पर राजनीति करने वाले हेमंत सोरेन ने चुनाव से पूर्व ही स्पष्ट कह दिया था कि उनकी सरकार बनते ही पत्थलगड़ी हिंसा के आरोपितों पर से सभी केस हटा लिए जाएँगे और उन्होंने किया भी। मसलन वो दोपहर 2:19 पर शपथ लेते हैं और 5: 45 शाम में कैबिनेट की पहली मीटिंग में ही FIR वापसी का फैसला लेते हैं।
3 महीने पुराने फेसबुक पोस्ट पर 5 घंटे उपद्रव, विहिप कार्यकर्ता के मोहल्ले में हरवे-हथियार ले घुसे
फीका ही रहा मोरहाबादी का मेला, उद्धव की तरह हेमंत सोरेन भी नहीं जमा सके कर्नाटक जैसा रंग